प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में हम शब्द शक्ति के बारे में बात करने जा रहे है। हमारे शास्त्रों एवं ग्रंथों में इनका महत्वपूर्ण स्थान है, आप ये कह सकते है कि प्रत्येक मंत्र एवं ग्रंथ बिना शब्दों के संयोजन से पुर्ण हो ही नहीं सकता।. अतः प्रत्येक शब्द में स्वयं की उच्चारण शक्ति होती है,जो हमारे क्षेत्र विशेष को प्रभावित करती है।. इस तथ्य को प्रमाणीकरण के लिए जापानी वैज्ञानिक Dr. Masaru Emoto की 1990 की रिसर्च Massages From Water पर प्रकाश डालेंगे।.
शब्दों का महत्व
इस बात को एक उदाहरण से समझते है- अकसर हमारे घर में य समाज में पुजा-पाठ य हवन आदि के लिए पण्डित को आमंत्रित किया जाता है, मुख्य तौर पर नये गृह प्रवेश के लिए य नये रोजगार के उद्घाटन समारोह के लिए। दोस्तों हवन आदि कराने का मु्ख्य उद्देश्य सुख-शांति से होता है। मंत्रों के उच्चारण द्वारा उस क्षेत्र विशेष की आ बो -हवा को पवित्र किया जाता है तथा नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाया जाता है। अतः उपरोक्त आयोजनों में पण्डित द्वारा गलत मंत्रों का उच्चारण किया जाता है तो क्या होगा।. तो इसका सामान्य सा अर्थ है कि जैसे सही उच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है,वहीं गलत उच्चारण पर नकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा।.
एक अन्य उदाहरण से देखें तो जिस प्रकार दिन के साथ रात है, सच के साथ झूठ है,सुबह के साथ शाम है उसी प्रकार सकारात्मक के साथ नकारात्मक साथ-साथ चलती है यह प्रकृति का नियम है। अतः नकारात्मक एवं सकारात्मक ऊर्जा के जागृति करने में शब्दों का विशेष महत्व है।.देस्तों शब्द शक्ति को जो लोग अभी भी कुछ नहीं समझते उनके लिए जापानी वैज्ञानिक Masaru Emoto खोज एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस वैज्ञानिक ने अपनी रिसर्च Massages From water से यह प्रमाणित किया की, शब्द शक्ति हमारे जीवन में क्या प्रभाव डालती है।.
Dr.Masaru Emotu
इनका जन्म 22 जुलाई 1943 में जापान के योकोहामा में हुआ था। इन्होंने दावा किया कि पानी हमारी वास्तविकता का खाका है, इन्होंने कहा कि भावनात्मक ऊर्जा यानी जो हम वर्तमान समय में सोचते है और बोलते है तथा कंपन पानी की भौतिक संरचना को बदल सकती है। इन्होंने जल क्रिस्टल प्रोग्राम में विभिन्न शब्दों,चित्रों व संगितों के लिए गिलास में रखे पानी द्वारा उजागिर करके दिखाना तथा पानी को जमा कर उसकी सूक्ष्म फोटोग्राफी द्वारा बर्फ सौन्दर्य गुणों की जांच करना शामिल था।.
उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार के पानी को पराबैंगनी प्रकाश तथा कुछ विद्युत चुम्बकीय तरंगों के संपर्क में लाकर इन परिवर्तनों को समाप्त भी किया जा सकता है।.
पानी में चावल का प्रयोग
इस प्रयोग को करने के लिए उन्होंने पानी के तीन गिलास को लिए, जिसमें सामान्य मात्रा में चावल को डाला गया उसके बाद गिलास को पानी से भर दिया गया। उसके पश्चात इन गिलासों के तीन अलग-अलग स्थानों पर रखा गया। मासारु मोटो रोज इन तीनो गिलास के पास जाते, पहले गिलास के पास जाने के बाद उसका धन्यवाद करते, दूसरे गिलास के पास जाकर उसे अपशब्द अथवा गाली देते इसी प्रकार तीसरे गिलास के पास जाकर उसे देख कर चले आते। इस प्रकार उन्होंने लगातार 30 दिनों तक किया। तीसवें दिन परिणाम यह निकला कि पहले गिलास का चावल अंकुरित होने लगा, वहीं दूसरे गिलास का चावल काला पड़ गया, और अंतिम गिलास के चावल सड़ गयें।.
इस शोध के कई संस्करण 1999 में उनके द्वारा प्रकाशित किये गये । इस सभी शोध प्रक्रिया को Massages From water नामक शीर्षक की पत्रिका में प्रकाशित किया गया जो अपने समय काल में अत्यधिक बेची जाने वाली पत्रिका का खिताब हासिल करती थी।. दोस्तों इस शोध को किए लगभग 26 साल से अधिक का समय बीत चुका है मगर यह आज भी उतना ही महत्व रखती है जितना तब रखती थीं।.
मस्तिष्क हमारे शरीर का एक खास अंग है जो कि हमारी भावना, विचार, स्पर्श, स्मृति, दृष्टि, श्वास, तापमान और एवं हमारे शरीर की प्रत्येक कार्य क्षमता को नियंत्रित करता है। इसकी संरचना की बात करें तो एक सामान्य मस्तिष्क का वजन 3 पाउंड होता है यह 60 प्रतिशत वसा , 40 प्रतीशत पानी जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और लवण का मिश्रण होता है से मिलकर बनता है।. अतः पानी की उपलब्धता बताती है कि हमारा दिमाग भी सुने य कहें गये शब्दों द्वारा प्रभावित होता है य प्रतिक्रिया करता है।.
अतः आज का हमारा लेख पाठकों को यह समझाने का प्रयास कर रहा है कि जो भी आप बोलते है वे सोच समझ कर बोलें हर शब्द में एक नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा निवास करती है। इसके साथ ही अगर आप हिन्दू धर्म से है तो मंत्रों का सही उच्चारण करें। उच्चारण कर्ता को सदैव यह ध्यान देना चाहिए कि गलत मंत्र के उच्चारण से गलत प्रभाव पड़ सकता है।.
सोर्स-wikipedia,hopkinsmedicine,org,drbrookesturat.com,masaru.emoto.net,youtube.com
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