प्रस्तवना
मैनपुरी षड्यन्त्र भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण घटना है, जो 1918 में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुई थी। यह षड्यन्त्र उस समय के क्रांतिकारियों द्वारा ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह की योजना बनाने का प्रयास था।
पृष्ठभूमि
इस घटना का मुख्य कारण ब्रिटिश राज के प्रति बढ़ता असंतोष और स्वतंत्रता की आकांक्षा थी। मैनपुरी में क्रांतिकारी संगठन मातृवेदी की स्थापना की गई, जिसमें प्रमुख नेता जैसे मुकुन्दी लाल, दम्मीलाल, और राम प्रसाद 'बिस्मिल' शामिल थे। इन लोगों ने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए एक योजना बनाई थी, लेकिन इस योजना की सूचना अंग्रेज अधिकारियों को मिल गई, जिसके परिणामस्वरूप कई प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार किया गया.
शड़यन्त्र के मुख्य पात्र
मातृवेदी संघठन
मुख्य घटनाएँ
क्रांतिकारी गतिविधियाँ- मैनपुरी षड्यन्त्र के तहत क्रांतिकारियों ने प्रतिबंधित साहित्य का वितरण किया और सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई। राम प्रसाद 'बिस्मिल' ने इस दौरान "देशवासियों के नाम" शीर्षक से एक पैम्फलेट भी प्रकाशित किया.
गिरफ्तारी और मुकदमा- इस षड्यन्त्र के खुलासे के बाद कई क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया। बिस्मिल सहित कुछ नेताओं को विभिन्न सजाएँ दी गईं, मुकुन्दी लाल को आजीवन कारावास, बिस्मिल को अंततः फाँसी की सजा सुनाई गई.
मातृवेदी संगठन की स्थापना- पंडित गेंदालाल दीक्षित के नेतृत्व में "मातृवेदी" नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था। इस संगठन में मुकुन्दी लाल, दम्मीलाल, और राम प्रसाद 'बिस्मिल' जैसे प्रमुख क्रांतिकारी शामिल थे।
प्रतिबंधित साहित्य का वितरण- क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित किताबें और साहित्य वितरित किया। राम प्रसाद 'बिस्मिल' ने "देशवासियों के नाम" शीर्षक से एक पैम्फलेट प्रकाशित किया, जिसमें उनकी कविता "मैनपुरी की प्रतिज्ञा" भी शामिल थी।
धन जुटाने के प्रयास- संगठन के लिए धन जुटाने हेतु सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई गई। इसके तहत कुछ डकैतियाँ भी डाली गईं, जिससे पुलिस सतर्क हो गई और क्रांतिकारियों की खोज शुरू हुई।
दलपत सिंह की मुखबिरी- मैनपुरी के दलपत सिंह नामक व्यक्ति ने अंग्रेजों को षड्यंत्र की सूचना दी, जिसके कारण संगठन समय से पहले टूट गया।
महत्व
मैनपुरी षड्यन्त्र ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ प्रदान किया। यह घटना न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में युवा क्रांतिकारियों को प्रेरित करने में सहायक सिद्ध हुई। यदि यह षड्यन्त्र सफल होता, तो शायद कई अन्य प्रमुख क्रांतिकारी घटनाएँ जैसे काकोरी कांड भी प्रभावित होती। इस प्रकार, मैनपुरी षड्यन्त्र भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसने भारतीय युवाओं में स्वतंत्रता की भावना को जागृत किया और उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संगठित होने के लिए प्रेरित किया।
सोर्स- wikipedia,drishti ias.jansatta.com,testbook,patrika.com
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