9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: मैनपुरी शड़यंत्र

शुक्रवार, 28 मार्च 2025

मैनपुरी शड़यंत्र

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प्रस्तवना

मैनपुरी षड्यन्त्र भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण घटना है, जो 1918 में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुई थी। यह षड्यन्त्र उस समय के क्रांतिकारियों द्वारा ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह की योजना बनाने का प्रयास था। 

पृष्ठभूमि

इस घटना का मुख्य कारण ब्रिटिश राज के प्रति बढ़ता असंतोष और स्वतंत्रता की आकांक्षा थी। मैनपुरी में क्रांतिकारी संगठन मातृवेदी की स्थापना की गई, जिसमें प्रमुख नेता जैसे मुकुन्दी लाल, दम्मीलाल, और राम प्रसाद 'बिस्मिल' शामिल थे। इन लोगों ने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए एक योजना बनाई थी, लेकिन इस योजना की सूचना अंग्रेज अधिकारियों को मिल गई, जिसके परिणामस्वरूप कई प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार किया गया.

शड़यन्त्र के मुख्य पात्र

राम प्रसाद 'बिस्मिल'- वे इस षड्यन्त्र के प्रमुख नेता थे और बाद में काकोरी काण्ड में भी शामिल हुए। बिस्मिल ने 'मातृवेदी' नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की और अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्हें 1927 में फांसी दी गई।.

मातृवेदी संघठन

मातृवेदी एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन था, जिसकी स्थापना 1916 में राम प्रसाद बिस्मिल और गेंदालाल दीक्षित द्वारा की गई थी। यह संगठन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रिय रहा और इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करना था।

मुख्य विशेषताएँ

स्थापना- मातृवेदी की स्थापना 1916 में हुई, और यह संगठन चंबल क्षेत्र में सक्रिय था।
उद्देश्य- इसका मूल उद्देश्य भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा देना था। संगठन ने अपने सदस्यों को संगठित करने और सरकारी खजाने को लूटने जैसे कार्यों के लिए प्रेरित किया।
प्रचार- राम प्रसाद बिस्मिल ने 28 जनवरी 1918 को मातृवेदी का एक इस्तहार प्रकाशित किया, जिसमें देशवासियों से अपील की गई थी कि वे अंग्रेजों का विरोध करें और देश को आजाद करें.

क्रांतिकारी गतिविधियाँ- मातृवेदी ने कई महत्वपूर्ण योजनाएँ बनाई, जिनमें से एक मैनपुरी षड्यन्त्र था, जिसमें बिस्मिल और दीक्षित को गिरफ्तार किया गया था। इस संगठन के सदस्य सशस्त्र संघर्ष में विश्वास रखते थे और उन्होंने कई बार सरकारी खजाने को लूटने का प्रयास किया.मातृवेदी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसके सदस्यों ने अपने जीवन का बलिदान देकर देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।

पंडित गेंदालाल दीक्षित- वे मैनपुरी के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे और 'शिवाजी समिति' के संस्थापक सदस्य रहे। उन्होंने बिस्मिल के साथ मिलकर कई योजनाएँ बनाई और क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया.

मुकुन्दी लाल- वे भी इस षड्यन्त्र में शामिल थे और बाद में काकोरी काण्ड में भाग लिया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली.

दम्मीलाल, कढ़ोरीलाल गुप्ता, सिद्ध गोपाल चतुर्वेदी, गोपीनाथ, प्रभाकर पाण्डे, चन्द्रधर जौहरी, और शिवकृष्ण- ये सभी अन्य प्रमुख क्रांतिकारी थे जिन्होंने मैनपुरी षड्यन्त्र में भाग लिया और विभिन्न सजा भुगती.

मुख्य घटनाएँ

क्रांतिकारी गतिविधियाँ- मैनपुरी षड्यन्त्र के तहत क्रांतिकारियों ने प्रतिबंधित साहित्य का वितरण किया और सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई। राम प्रसाद 'बिस्मिल' ने इस दौरान "देशवासियों के नाम" शीर्षक से एक पैम्फलेट भी प्रकाशित किया.

गिरफ्तारी और मुकदमा- इस षड्यन्त्र के खुलासे के बाद कई क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया। बिस्मिल सहित कुछ नेताओं को विभिन्न सजाएँ दी गईं, मुकुन्दी लाल को आजीवन कारावास, बिस्मिल को अंततः फाँसी की सजा सुनाई गई.

मातृवेदी संगठन की स्थापना- पंडित गेंदालाल दीक्षित के नेतृत्व में "मातृवेदी" नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था। इस संगठन में मुकुन्दी लाल, दम्मीलाल, और राम प्रसाद 'बिस्मिल' जैसे प्रमुख क्रांतिकारी शामिल थे।

प्रतिबंधित साहित्य का वितरण- क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित किताबें और साहित्य वितरित किया। राम प्रसाद 'बिस्मिल' ने "देशवासियों के नाम" शीर्षक से एक पैम्फलेट प्रकाशित किया, जिसमें उनकी कविता "मैनपुरी की प्रतिज्ञा" भी शामिल थी।

धन जुटाने के प्रयास- संगठन के लिए धन जुटाने हेतु सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई गई। इसके तहत कुछ डकैतियाँ भी डाली गईं, जिससे पुलिस सतर्क हो गई और क्रांतिकारियों की खोज शुरू हुई।

दलपत सिंह की मुखबिरी- मैनपुरी के दलपत सिंह नामक व्यक्ति ने अंग्रेजों को षड्यंत्र की सूचना दी, जिसके कारण संगठन समय से पहले टूट गया।

महत्व

मैनपुरी षड्यन्त्र ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ प्रदान किया। यह घटना न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में युवा क्रांतिकारियों को प्रेरित करने में सहायक सिद्ध हुई। यदि यह षड्यन्त्र सफल होता, तो शायद कई अन्य प्रमुख क्रांतिकारी घटनाएँ जैसे काकोरी कांड भी प्रभावित होती। इस प्रकार, मैनपुरी षड्यन्त्र भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसने भारतीय युवाओं में स्वतंत्रता की भावना को जागृत किया और उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संगठित होने के लिए प्रेरित किया।

सोर्स- wikipedia,drishti ias.jansatta.com,testbook,patrika.com

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