प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में हम देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद के बारे
में चर्चा करेंगे तथा उनके द्वारा किये गये महत्वपुर्ण कार्यों के बारे मे
विचार करेंगे।.राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति,एक महान स्वतंत्रता सेनानी,वकील,पत्रकार और विद्वान थे। उन्हें सम्मान से 'राजेन बाबू' कहकर बुलाया जाता था।प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सिवान जिले के जीरादेई गाँव में हुआ था। उनके पिता,महादेव सहाय,संस्कृत और फारसी के विद्वान थे,और उनकी माँ कमलेश्वरी देवी थीं। राजेंद्र प्रसाद ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के
लॉ डिपार्टमेंट से शिक्षा प्राप्त की।.उन्होंने कलकत्ता सिटी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में भी कार्य
किया।.मात्र 5 वर्ष की अल्प आयु से ही उनका शिक्षा में रुझान होने लगा क्योंकि अपनी
इसी उम्र के दौर में उन्होने फारसी की शिक्षा लेना प्रारम्भ कर दिया था।.
स्वतंत्रता अन्दोलन में योगदान
राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे।.1917 में,
वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए और चंपारण सत्याग्रह में भाग लिया। वे
गांधी जी की निष्ठा,समर्पण,देश के प्रति उनके प्रेम से बहोत प्रभावित थे।
गांधी जी ने जब विदेशी समानों तथा कार्यस्थलों के बहिष्कार की मुहिन चलायी थी
तब राजेन्द्र प्रसाद ने अपने बेटे मृत्युन्जय प्रसाद जो कि एक मेधावी छात्र
थे, कोलकत्ता विश्वविद्यालय से निकालकर,बिहार विद्यापिठ में डाल दिया और
गांधी जी का समर्थन किया। .उन्होंने 1930
में 'नमक सत्याग्रह'
और 1942 में 'भारत छोड़ो आंदोलन' में सक्रिय रूप से भाग लिया,
जिसके कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।उन्होंने तीन बार,
1934, 1939 और 1947
में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनके लेख देश तथा सर्चलाइट नामक समाचार पत्रिकाओं प्रकाशित हुआ करते थे।.
देशी पत्रीकाओ पर विदेशी सरकार द्वारा बहोत से प्रतिबंध लगाये जाते रहते थे
जिसके परिणामस्वरुप पत्रीका संचालक द्वारा सरकार के हरजाने के रुप में भारी
रकम देनी पड़ती,रकम न दिये जाने पर पत्रीका संचालन का काम गैरकानूनी करार
दिया जाता था। अतः राजेन्द्र प्रसाद भारतीय जनता से अथवा स्वयं के सहयोगीयो द्वारा
पत्रीकाओं के लिए धन जुटाने का कार्य किया करते थे।.
संविधान निर्माण और राष्ट्रपति पद
राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे और उन्होंने भारत के संविधान को
बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।26 जनवरी 1950
को भारत गणराज्य बना और वे देश के पहले राष्ट्रपति बने। उन्होंने 1952 से 1962
तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और देश के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण
योगदान दिया।
अन्य योगदान
11 दिसंबर 1946 में उन्हें संविधान सभा का स्थायी सदस्य चुना गया।. राजेंद्र प्रसाद 1946
और 1947
में भारत के पहले मंत्रिमंडल में कृषि और खाद्य मंत्री भी रहे।1914
में बंगाल और बिहार में आई भीषण बाढ़ के दौरान,
उन्होंने राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर मदद की।1934
में बिहार में भूकंप आने पर उन्होंने बिहार सेंट्रल रिलीफ कमेटी बनाकर 38 लाख रुपये से अधिक की राशि जुटाई।
साहित्यिक कार्य
राजेंद्र प्रसाद एक उच्च कोटि के साहित्यकार भी थे। उन्होंने कई समाचार
पत्रों का संपादन किया और अंग्रेजी और हिंदी में अनेक पुस्तकें लिखीं। उनकी
कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं:
- इंडिया डिवाइडेड
- एट द फ़ीट ऑफ महात्मा गांधी
- राजेंद्र प्रसाद-आत्मकथा
- चंपारण में सत्याग्रह
- पुरस्कार और निधन
1962
में राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें भारत रत्न से सम्मानित
किया गया। सेवानिवृत्त होने के कुछ दिन बाद ही उनकी पत्नी राजवंशी देवी का
देहांत हो गया। अपनी मृत्यु के एक महीने पहले जब उन्होने राष्ट्रपति सहाब के
पत्र लिखा तो वे अपनी व्यथा बताते हुये लिखती है कि कुछ कर पाने कि शक्ति खतम
हो गयी है,मुझे लगता है कि मेरा अंतिम समय निकट है,अपको मेरी अंतिम राम,राम
।.28 फरवरी 1963
को पटना के सदाक़त आश्रम में उनका निधन हो गया।राजेंद्र प्रसाद का जीवन सादगी और उच्च विचारों से भरा हुआ था,
और उन्होंने भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय लिखा।
विरासत
राजेन्द्र प्रसाद के तीन बेटे मृत्युजंय प्रसाद,धनजंय प्रसाद,जनार्दन प्रसाद
था तथा उनकी कोई बेटी नही थी।.राजेन्द्र प्रसाद की पौत्री का नाम तारा सिन्हा
है जोकि वर्तमान समय मे महिला चरखा सिमिती की अध्यक्ष है।. 2014 से लगातार
राजेन्द्र प्रसाद के जन्म दिवस के मेधा दिवस के रुप में मनाने कि मांग कर
रहीं है,हलांकि की सरकार द्वारा उनके विचार को पुरी तरह से नकार दिया गया है।
सरकार ने 150वीं जयती समारोह में इस बात पर विचार करने के लिए आने समय पर
छोड़ दिया है।. उनके पौत्र तथा उनके वंशज अशोक जान्हवी प्रसाद जी पेशे से
जानेमाने मानोचिकत्सक एवं वैज्ञानिक है। उन्होने बाईपोलर डिसओर्डर लिथीयम से
ज्यादा सुरक्षित विकल्प के रुप में उसी के सह रुप सोडियम वलप्रोरेट की खोज की
थी।. अपनी इस खोज के चलते उन्होने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खयाती भी हासिल की
है।. जान्हवी प्रसाद जी अमेरिका की अकैडमी आफ आर्ट एण्ड साइंस के एक सम्मानित
सदस्य भी है।.
उनके नाम पर बने स्थल
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्मारक व समाधि स्थल: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और उनके स्मारक व समाधि स्थल की खस्ता हलात को लेकर पटना हाईकोर्ट में दायर एक लोकहित याचिका में हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त वकीलों की तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को दी। इस दौरान द्वारा कोर्ट ने उस कमेटी को दायर किये केस से संबंधित सभी पक्षों को रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध कराने का आदेश दिया।
- राजेन्द्र स्मृति संग्रहालय: राजेन्द्र स्मृति संग्रहालय में राजेंद्र प्रसाद से सम्बंधित चीजें हैं1।
- जीरादेई: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई है।
- इनमें कुछ अन्य संस्थान और सड़कें भी हैं, जो डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर उनके सम्मान में स्थापित किए गए हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी
डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी यह विश्वविद्यालय पहले राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था। 7 अक्टूबर 2016 को, राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा को डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में परिवर्तित कर दिया गया। यह रूपांतरण भारत सरकार के आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा किया गया था।- यह कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के अधीन एक सार्वजनिक केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय है।
- विश्वविद्यालय समस्तीपुर जिला, बिहार में पूसा में है. यह खुदीराम बोस पूसा रेलवे स्टेशन से उत्तर दिशा में 10 कि.मी; समस्तीपुर मुख्यालय से पश्चिम दिशा में 20 कि.मी, दरभंगा से दक्षिण-पश्चिम दिशा में 46 कि.मी; और मुजफ्फरपुर से पूर्व दिशा में 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी एक बहु-परिसर विश्वविद्यालय है, जिसके तीन परिसर पूसा (समस्तीपुर), ढोली (मुजफ्फरपुर) और पिपराकोठी (पूर्वी चंपारण) में हैं।
- यह विश्वविद्यालय बिहार के लगभग 60% भौगोलिक क्षेत्र और 70% जनसंख्या को समर्पित है।
- विश्वविद्यालय विभिन्न स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा कार्यक्रम प्रदान करता है।
- विश्वविद्यालय में कई कॉलेज हैं, जिनमें कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, तिरहुत कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, कॉलेज ऑफ फिशरीज, कॉलेज ऑफ कम्युनिटी साइंस, कॉलेज ऑफ बेसिक साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज, पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, स्कूल ऑफ एग्रीबिजनेस एंड रूरल मैनेजमेंट, और पं. दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री शामिल हैं।
- विश्वविद्यालय में कई अन्य संस्थान और केंद्र विश्वविद्यालय में प्राय: स्थित किए गए हैं, जिनमें गन्ना अनुसंधान संस्थान, स्टार्ट अप सुविधा केंद्र, उत्कृष्टता केंद्र, और केला अनुसंधान केंद्र सम्मिलित हैं ।
- विश्वविद्यालय अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। किसान मेला का आयोजन भी विश्वविद्यालय द्वारा कराया जाता है।
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