प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में हम महान नायक जयप्रकाश नारायण द्वारा किये गए महत्वपुर्ण कार्यो तथा उनके नाम पर बने महत्वपुर्ण कार्य स्थल तथा भारत सरकार द्वारा उन्हे प्रदान किये गए महत्वपुर्ण पुरस्कार सम्मान के बारे में चर्चा करेंगे। जयप्रकाश नारायण, जिन्हें "लोक नायक" या जेपी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सिद्धांतकार, समाजवादी, विचारक और राजनीतिक नेता थे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
उनका जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताब दियारा में हरसू दयाल और फूल रानी देवी के घर हुआ था।वे महात्मा गांधी के बारह प्रेरितों में से एक थे, जो अन्याय के खिलाफ गांधीवादी शैली की क्रांतिकारी कार्रवाई की वकालत करते थे।
स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका
सविनय अवज्ञा आंदोलन-जयप्रकाश नारायण गांधीवादी विचारों से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-31) में भाग लिया।1932 में दूसरे चरण में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया और आंदोलन का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी संभाली।उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का कार्यवाहक महासचिव नियुक्त किया गया और उन्होंने पूरे देश में आंदोलन को निर्देशित किया।उन्होंने कांग्रेस के एक भूमिगत कार्यालय का आयोजन किया और आंदोलन को सक्रिय रखने के लिए भूमिगत रूप से काम किया।।जयप्रकाश नारायण को 1932 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा में सक्रिय रूप से भाग लेने के जुर्म में,मद्रास में गिरफ्तार किया गया और सेंट्रल जेल में रखा गया।गांधीजी ने उन्हें सबसे दृढ़ कार्यकर्ताओं में से एक कहा था।
भारत छोड़ो आंदोलन-भारत छोड़ो आंदोलन में जयप्रकाश नारायण ने सक्रिय रूप से भाग लिया और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, जयप्रकाश नारायण ने अन्य नेताओं के साथ मिलकर भूमिगत प्रतिरोधी गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई।जब वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, तो जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया और अरुणा आसफ अली जैसे लोगों ने आंदोलन का नेतृत्व किया।उन्होंने ब्रिटिश शासन से लड़ने के लिए "आज़ाद दस्ता" (स्वतंत्रता ब्रिगेड) का गठन किया।उन्होंने कांग्रेस के एक भूमिगत कार्यालय का आयोजन किया और आंदोलन को सक्रिय रखने के लिए भूमिगत रूप से काम किया।1942 में उन्हें हजारीबाग जेल में डाल दिया गया था, लेकिन वे वहां से भाग निकले और सरकार के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध संगठित करने का प्रयास किया। हालांकि, 1943 में उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और कई साल जेल में बिताए।इस आंदोलन का उद्देश्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था और जयप्रकाश नारायण ने इसमें बढ़-चढ़कर योगदान दिया।
स्वतंत्रता के बाद और सामाजिक सुधार
1948 में, उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी दल का नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिलकर समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की।.19 अप्रैल 1954 में, गया, बिहार में उन्होंने विनोबा भावे के सर्वोदय आन्दोलन के लिए जीवन समर्पित करने की घोषणा की।.1957 में उन्होंने लोकनीति के पक्ष में राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया।.1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में पुन: सक्रिय रहे।.1974 में किसानों के बिहार आन्दोलन में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफे की मांग की।.उन्होंने अहिंसा के महत्व को समझा और इसे अंतिम हथियार के रूप में स्वीकार किया।.उन्होंने सामाजिक सुधारों के लिए काम किया।.उन्होंने सामाजिक परिवर्तन के साधन के रूप में हिंसा की निरर्थकता पर ज़ोर दिया।.उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, एक समाजवादी विचारक के रूप में भूमिका निभाई और राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक न्याय की वकालत की।.उन्होंने सामाजिक आंदोलनों में भाग लिया।.उन्होंने एक आदर्श समाज की खोज की।.उन्होंने सामाजिक सुधारों के लिए अहिंसा के महत्व को समझा।. उन्होंने सत्ता के लिए किसी शोरगुल के बिना देश में संपूर्ण क्रांति की शुरुआत की।.उन्होंने गांधी के मूल्यों को आधार मानकर संपूर्ण क्रांति की बात की।.वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे।.
गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन किया।.उनके नेतृत्व में पीपुल्स फ्रंट ने गुजरात राज्य का चुनाव जीता[1].1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अन्तर्गत जे॰ पी॰ सहित ६०० से भी अधिक विरोधी नेताओं को बन्दी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गयी।.7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया।.1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया।.इन सुधारों के माध्यम से, जयप्रकाश नारायण ने भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया.1947 और 1953 के बीच, उन्होंने ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जो भारतीय रेलवे में सबसे बड़ा श्रम संघ था।उन्हें सर्वोदय आंदोलन और जेपी आंदोलन के लिए जाना जाता है।1950 और 1960 के दशक में, वे भूदान आंदोलन में शामिल थे, जिसका उद्देश्य दिलों को बदलकर सामाजिक परिवर्तन लाना था।
संपूर्ण क्रांति
1974 में, उन्होंने "संपूर्ण क्रांति" का विचार प्रस्तुत किया, जो सात क्रांतियों का संयोजन था: राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक। इस क्रांति का उद्देश्य सर्वोदय आदर्शों के अनुसार समाज को बदलना था।संपूर्ण क्रांति जयप्रकाश नारायण (जेपी) का विचार और नारा था, जिसका आह्वान उन्होंने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए किया था। 5 जून 1974 को पटना के गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया ।
संपूर्ण क्रांति में शामिल सात क्रांतियाँ:
1. राजनैतिक क्रांति: इस क्रांति का उद्देश्य राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव लाना था, ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो और लोगों की भागीदारी बढ़े.
2. आर्थिक क्रांति: आर्थिक क्रांति का लक्ष्य आर्थिक समानता लाना और निजी पूंजी की विषमताओं को दूर करना था। इसके साथ ही, योजनाबद्ध तरीके से उत्पादन बढ़ाना भी इसका एक हिस्सा था।
3. सामाजिक क्रांति: सामाजिक क्रांति का उद्देश्य समाज में व्याप्त बुराइयों, जैसे जातिवाद, दहेज प्रथा और भेदभाव को खत्म करना था। इसका नारा था "जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो"।
4. सांस्कृतिक क्रांति: इस क्रांति का उद्देश्य सांस्कृतिक मूल्यों में बदलाव लाना था, ताकि समाज में नई सोच और विचारधारा को बढ़ावा मिल सके।
5. बौद्धिक क्रांति: बौद्धिक क्रांति का लक्ष्य शिक्षा प्रणाली में सुधार करना और ज्ञान के प्रसार को बढ़ावा देना था।
6. शैक्षणिक क्रांति: इस क्रांति का उद्देश्य शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाना और शिक्षा प्रणाली को अधिक उपयोगी और प्रासंगिक बनाना था।
7. आध्यात्मिक क्रांति: आध्यात्मिक क्रांति का लक्ष्य नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना और व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना था।
जेपी का मानना था कि क्रांति तभी सफल होगी जब व्यक्ति का जीवन, समाज की रचना और राज्य की व्यवस्था बदलेगी।पटना के गांधी मैदान में उपस्थित लाखों लोगों ने जात-पात, तिलक, दहेज और भेदभाव छोड़ने का संकल्प लिया था। जयप्रकाश नारायण, जिनकी हुंकार पर नौजवान सड़कों पर निकल पड़ते थे, घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। संपूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केंद्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था।हालांकि जयप्रकाश नारायण ने राजनीति छोड़ सामाजिक तौर पर काम करना शुरू कर दिया था, जिसमें सर्वोदय और भूदान जैसे आंदोलन शामिल थे, लेकिन उन्होंने भारतीय राजनीति को बदल दिया। उन्होंने गांधी के मूल्यों को आधार मानकर संपूर्ण क्रांति की बात की और कभी भी कोई पद नहीं लिया।दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर संजीव कुमार के अनुसार, जेपी ने चार क्षेत्रों में क्रांति की बात की - राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक। उनका मानना था कि इंसान की जिन्दगी में बिना बदलाव के आया परिवर्तन किसी भी प्रकार के क्रांति नही कहलाया सकता है।.
इंदिरा गांधी का विरोध
वहीं प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने का 1970 के दशक के मध्य में जिक्र किया जाता रहा. उन्होंने तख्तापलट बुलाया तथा "संपूर्ण क्रांति" की विशेषता से सक्रिय रहे.1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा गांधी को चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने के बाद, नारायण ने उनसे और मुख्यमंत्रियों से इस्तीफा देने और सेना और पुलिस से असंवैधानिक आदेशों की अवहेलना करने का आह्वान किया।उन्होंने 100,000 लोगों की भीड़ इकट्ठा की और रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता सिंहासन खाली करो कि जनता आती है का पाठ किया। उस समय उनकी गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति के कारण उन्हें रिहा कर दिया गया था।
पुरस्कार और मान्यता
जन सेवा के लिए मैग्सेसे पुरस्कार (1965)।उनके सामाजिक सेवा के लिए भारत रत्न (मरणोपरांत 1999)।जयप्रकाश नारायण का जीवन स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और राजनीतिक सुधार के लिए लड़ने के लिए समर्पित था, जिसने उन्हें भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बना दिया।जयप्रकाश नारायण पर लिखी गई कुछ महत्वपूर्ण किताबें इस प्रकार हैं:
द ड्रीम ऑफ रेवोल्यूशन: ए बायोग्राफी ऑफ जयप्रकाश नारायण:इस पुस्तक को इतिहासकार बिमल प्रसाद और लेखिका सुजाता प्रसाद ने लिखा है। यह जयप्रकाश नारायण की जीवनी है, जिसमें उनके जीवन से जुड़े किस्से और ऐसी कहानियाँ हैं जो पहले कभी नहीं बताई गईं।.
लोकतंत्र आपातकाल और जय प्रकाश नारायण: यह पुस्तक 1975-77 के आपातकाल और जे.पी. आंदोलन पर केंद्रित है, जिसका नेतृत्व जयप्रकाश नारायण ने किया था।.
जयप्रकाश की जीवनी:रामवृक्ष बेनीपुरी, जो एक राष्ट्रवादी मित्र और हिंदी साहित्य के लेखक थे, ने जयप्रकाश नारायण की जीवनी लिखी।.
इसके अतिरिक्त, जयप्रकाश नारायण ने स्वयं भी कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:राजनीति से लोकनीति की ओर,अगस्त सन ४२ का महान विप्लव,पत्र व्यवहार भाग ३,भारतीय राज्य व्यवस्था की पुनर्रचना का एक सुझाव,भूदान दीपिका,समाजवाद से सर्वोदय की ओर,युग की महान चुनौती,भारतीय राज्य-व्यवस्था (की पुनर्रचना का एक सुझाव),मेरी जेल डायरी,साम्यवाद का बिगुल,बिहारवासियों के नाम चिट्ठी,बिहार की महिलाये।.
जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर
जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित है, और हाल ही में यह राजनैतिक विवाद का केंद्र बन गया है.यहां JPNIC के बारे में कुछ मुख्य बातें हैं:
अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट: JPNIC का निर्माण समाजवादी पार्टी के शासनकाल में 2012 में शुरू हुआ था, और इसे अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है।. इसका उद्देश्य दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर के तर्ज पर एक विश्व स्तरीय सुविधा केंद्र बनाना था।.निर्माण और लागत : रियल एस्टेट कंपनी शालीमार ने इसका निर्माण किया था।. अनुमानित लागत 860 करोड़ रुपये थी।.सुविधाएं : 18-मंजिला इमारत में कई सुविधाएं हैं, जिनमें शामिल हैं: पार्किंग, जयप्रकाश नारायण पर आधारित एक संग्रहालय, बैडमिंटन कोर्ट, लॉन टेनिस कोर्ट, 100 कमरों का गेस्ट हाउस और एक ऑल-वेदर स्विमिंग पूल।. इसकी छत पर एक हेलीपैड भी है।.निर्माण में रुकावट और जांच : 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनने के बाद, JPNIC के निर्माण में कथित अनियमितताओं की जांच शुरू हुई और निर्माण कार्य रुक गया।. लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) इसकी जांच कर रहा है।विवाद : समाजवादी पार्टी (सपा) का आरोप है कि योगी सरकार JPNIC को बेचना चाहती है, और यह समाजवादियों के सम्मान से जुड़ा मुद्दा है।अखिलेश यादव ने जयप्रकाश नारायण की जयंती पर JPNIC में प्रवेश करने से रोके जाने पर सरकार की आलोचना की है[1][3]. उनका यह भी आरोप है कि सरकार इसे बेचने की तैयारी कर रही है।वर्तमान स्थिति : निर्माण कार्य रुक जाने के बाद, यह इमारत खस्ताहाल हो रही है और परिसर में झाड़ियाँ उग आई हैं।
सोर्स-wikipedia,tv9hindi,zeenews.india,ndtv,eduaction.vikaspedia,textbook,pib.gov
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