प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में धरती पे पाये जाने वाले सबसे बड़े जीव तथा उन पर हुयी प्रमुख खोजों के बारे में तथा धरती पर उनके विलुप्त होने के प्रमुख कारणों के बारे में जानकारी इकट्ठा करेंगे।.पृथ्वी पर अब तक का सबसे बड़ा जानवर ब्लू व्हेल है। ब्लू व्हेल आज भी जीवित है और लंबाई में 100 फीट (30 मीटर) तक और वजन में 200 टन तक पहुँच सकती है।
ब्लू व्हेल
ब्लू व्हेल का वैज्ञानिक नाम बैलनोप्टेरा मस्कुलस है। ब्लू व्हेल कॉर्डेटा संघ के अंतर्गत आती है।मादा ब्लू व्हेल आमतौर पर नर से बड़ी होती हैं।ब्लू व्हेल दुनिया भर के महासागरों में पाई जाती है।ब्लू व्हेल के प्राथमिक आहार में क्रिल नामक छोटे झींगा जैसे जानवर होते हैं।ब्लू व्हेल कम आवृत्ति वाले स्वरों के माध्यम से संवाद करती हैं जिन्हें "गीत" के रूप में जाना जाता है। ब्लू व्हेल को मानवीय गतिविधियों से महत्वपूर्ण खतरों का सामना करना पड़ा है और इसे लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इतिहास में और भी बड़े जानवर रहे हैं जो अब विलुप्त हो चुके हैं। सबसे विशाल भूमि जानवरों में से एक अर्जेंटीनासॉरस था, जो लगभग 90 मिलियन वर्ष पहले जीवित रहा था। ऐसा माना जाता है कि यह डायनासोर 100 फीट (30 मीटर) तक लंबा होने तक का अनुमान लगाया है और इसका वजन लगभग 100 टन अनुमानित है।
ब्लू व्हेल (Blue whale) वर्तमान में पृथ्वी पर मौजूद सबसे बड़ा ज्ञात जानवर है। हालांकि, भारत में पहले ब्लू व्हेल से भी बड़े जानवर पाए जाते थे, इसके बारे में निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन भारत में पाए जाने वाले कुछ विशाल जानवरों के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:
- सॉरोपोड डायनासोर: सॉरोपोड डायनासोर, जो कि शाकाहारी डायनासोरों का एक समूह है, प्राचीन काल में पृथ्वी पर हावी थे। ये विशेष रूप से अपनी लंबी गर्दन और विशाल आकार के लिए जाने जाते हैं। सॉरोपोड्स की पहचान उनके छोटे सिर, लंबे शरीर और स्तंभ के आकार के पैरों से होती है।सॉरोपोड डायनासोर, जो लगभग 10 करोड़ साल पहले जुरासिक और क्रेटेशियस युगों के बीच पाए जाते थे, वे इतिहास में जमीन पर पाए जाने वाले सबसे बड़े जानवर थे। अर्जेंटीना में पाए जाने वाले आर्जेंटीनौसॉरस (Argentinosaurus) नामक सॉरोपोड का वजन लगभग 76 मीट्रिक टन था।
भारत में सॉरोपोड्स का इतिहास
हाल ही में, भारत में पहली बार डाइक्रियोसॉरिड सॉरोपोड के अवशेष मिले हैं, जो लगभग 16।.7 करोड़ साल पुराने हैं। यह खोज राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में की गई थी और इसे थारोसॉरस इंडिकस नाम दिया गया है। यह जीवाश्म डिप्लोडोकॉइड्स समूह से संबंधित है, जो लंबे शरीर और गर्दन वाले डायनासोरों का एक समूह है।
सॉरोपोड्स की विशेषताएँ
आकार: सॉरोपोड्स में कुछ प्रजातियाँ इतनी बड़ी थीं कि उनका वजन 100 टन तक हो सकता था।गर्दन: इनकी गर्दन लंबी होती थी, जिससे ये ऊँचाई पर स्थित पत्तों और वनस्पतियों को खा सकते थे।जीवाश्म: भारत में अब तक मिले अन्य डायनासोरों के जीवाश्मों की तुलना में डाइक्रियोसॉरिड्स का यह पहला उदाहरण है।सॉरोपोड डायनासोर अपने विशाल आकार और अद्वितीय शारीरिक संरचना के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत में हाल की खोजें इस बात का प्रमाण हैं कि प्रागैतिहासिक समय में यहाँ भी ऐसे विशाल जीव रहते थे, जो वर्तमान समय के जानवरों से बहुत भिन्न थे।
- भारतीय गैंडा: भारतीय गैंडा, जिसे एक सींग वाला गैंडा भी कहा जाता है, विश्व का चौथा सबसे बड़ा जलचर जीव है। एक अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में जंगली हालात में केवल 3000 से कुछ अधिक भारतीय गैंडे बचे हैं, जिनमें से लगभग 2000 भारत के असम में पाए जाते हैं।.
- शिवालिक जीवाश्म: शिवालिक पहाड़ियों में तृतीयक काल के कई जीवाश्म पाए गए हैं, जिनमें मैस्टोडॉन, दरियाई घोड़ा, गैंडा, सिवाथेरियम और कई अन्य विशाल स्तनधारियों के अवशेष शामिल हैं।
- वासुकी नाग: हाल ही में, वैज्ञानिकों ने गुजरात में वासुकी इंडिकस नामक एक प्राचीन सांप के जीवाश्म खोजे हैं।. अनुमान है कि यह सांप 36 से 50 फीट लंबा था और इसका वजन लगभग 1 टन था।. यह खोज इसे अब तक के सबसे बड़े ज्ञात सांपों में से एक बनाती है।.
वासुकी नाग के जो जीवाश्म गुजरात के कच्छ जिले में मिले हैं, वे लगभग 4।.7 करोड़ साल पुराने हैं।. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह विशाल सर्प लगभग 36 से 50 फीट लंबा था।. यह खोज दर्शाती है कि भारत में कभी विशालकाय सांप मौजूद थे।.हालांकि, ब्लू व्हेल की तुलना में, वासुकी इंडिकस बहुत छोटा था।. ब्लू व्हेल 100 फीट तक लंबी हो सकती है और इसका वजन 200 टन तक हो सकता है।. इसलिए, वासुकी इंडिकस ब्लू व्हेल से काफी छोटा था।.वासुकी नाम हिंदू पौराणिक कथाओं में नागों के राजा से लिया गया है।.
- मैमथ
हाथियों के एक विलुप्त समूह से संबंधित हैं। इनका वैज्ञानिक नाम 'मैमुथस प्राइमिजीनियस' (Mammuthus primigenius) है। ये विशालकाय हाथी सदृश जीव थे। मैमथ लगभग 3 लाख से 10 हजार साल पहले तक पाए जाते थे।शारीरिक विशेषताएँ
वूली मैमथ बड़े होते थे, लेकिन बहुत ज्यादा विशालकाय नहीं होते थे, ये आज के अफ्रीकी हाथियों के आकार के बराबर होते थे।इनके शरीर पर दो तरह के बाल होते थे: लंबे बाल जो जैकेट की तरह उन्हें कवर करते थे और छोटे-छोटे बाल जो उन्हें गर्म रखने में मदद करते थे।इनके कान छोटे होते थे, जो उन्हें गर्म रखने में मदद करते थे।इनके बड़े-बड़े दांत आज के हाथियों की तरह नीचे की तरफ न होकर ऊपर की ओर घूमे रहते थे, जिससे वह जमीन को खोद सकते थे और पेड़ों की छाल को रगड़ सकते थे।मैमथ के दांतों की रिंग को देखकर उनकी उम्र का पता लगाया जा सकता था, ठीक उसी तरह जैसे पेड़ की रिंग देखकर उसकी उम्र का पता लग सकता है।
आहार- मैमथ आज के गायों की तरह घास खाते थे।वास-मैमथ अफ्रीका, यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में आबाद थे। साइबेरिया के टुंड्रा प्रदेश में बर्फ में दबे मैमथ पाए गए हैं।खोज-कनाडा के युकोन में एक बेबी वूली मैमथ की हाल ही में खोज हुई है, जो लगभग 30 हजार साल पुराना था। उत्तरी अमेरिका में अब तक की ये सबसे महत्वपूर्ण खोज मानी जा रही है, क्योंकि इस मैमथ का शरीर पूर्ण है, यानी इसके शरीर पर स्किन भी है। ताजा- रूसी वैज्ञानिकों ने 50 हज़ार साल पुरानी एक बेबी मैमथ खोजी, जिसका नाम याना रखा गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि याना दुनिया में सबसे संरक्षित मैमथ है।.
प्रजातियाँ
मैमथ की कुछ प्रमुख प्रजातियाँ:
- अफ्रीकी मैमथ (Mammuthus africanavus)
- आर्मेनियाई मैमथ (Mammuthus armeniacus)
- कोलंबियाई मैमथ (Mammuthus columbi)
- पिग्मी मैमथ (Mammuthus exilis)
- शाही मैमथ (Mammuthus imperator)
- जैफरसोनियाई मैमथ (Mammuthus jeffersonii)
- स्टेपी मैमथ (Mammuthus trogontherii)
वैज्ञानिकों ने मैमथ के जीवाश्म से DNA निकाल कर उसके वंशवृक्ष की अहम जानकारी निकाली है जिससे पता चला है कि कोलंबियन मैमथ ऊनी मैमथ के एक उसके अन्य पूर्वज की संकर प्रजाति के जीव थे।
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