9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: रामप्रसाद बिस्मिल

यह ब्लॉग खोजें

लेबल

in

गुरुवार, 30 जनवरी 2025

रामप्रसाद बिस्मिल

ramprasad-bismil
प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में हम महान क्रांतिकारी नेता रामप्रसाद बिस्मिल के जीवन तथा उनके द्वारा किये गए महत्वपुर्ण कार्यों के बारे में चर्चा करेंगे। रामप्रसाद बिस्मिल एक प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी,कवि और लेखक थे,जिन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रारंभिक जीवन

परिवार- बिस्मिल का जन्म मुरलीधर और मूलमती के घर 11 जून 1897 हुआ। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में हुआ था। उनके परिवार का संबंध ब्राह्मण जाति से था। शिक्षा- उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शाहजहाँपुर में प्राप्त की और बाद में आर्य समाज से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का निर्णय लिया।

क्रांतिकारी गतिविधियाँ

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA)- 1920 में,उन्होंने सचिंद्र नाथ सान्याल और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर इस संगठन की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकना था।

मैनपुरी षड्यंत्र (1918)

बिस्मिल ने इस षड्यंत्र में भाग लिया, जिसमें वे और उनके साथी अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करने का प्रयास कर रहे थे।।मैनपुरी षड्यंत्र 1918 एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का था, जिसे रामप्रसाद बिस्मिल और उनके सहयोगियों ने चलाया। यह षड्यंत्र एक महत्वपूर्ण कदम था ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष की दिशा में।

पृष्ठभूमि
मैनपुरी षड्यंत्र का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकना था। 1915-16 में,कुछ क्रांतिकारियों ने मैनपुरी में एक संगठन की स्थापना की, जिसका प्रमुख केंद्र मैनपुरी था। इस संगठन ने "मातृवेदी" नाम से कार्य करना शुरू किया और इसके सदस्य ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष की योजना बनाने लगे।

महत्वपूर्ण घटना
क्रांतिकारी गतिविधियाँ- रामप्रसाद बिस्मिल और उनके साथी, जैसे पंडित गेंदालाल दीक्षित,ने मैनपुरी में क्रांतिकारी गतिविधियों को तेज किया। उन्होंने सरकारी खजाने को लूटने और ब्रिटिश अधिकारियों को निशाना बनाने की योजना बनाई।

पुलिस की कार्रवाई- 1918 में, पुलिस ने बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने के लिए छापे मारे। इस दौरान बिस्मिल ने कई बार गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत जीवन बिताया।

सजा और परिणाम
मैनपुरी षडयंत्र में कई क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया और उन पर दायर किया। बिस्मिल को 1920 में आम माफ़ी के अंतर्गत रिहा किया गया, लेकिन यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।

महत्व
यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का बहुत महत्वपूर्ण कदम है। जिसके अंदरगत ही,कूँकोरी काण्ड और अन्य क्रांतिकारता गतिविधियों का मार्ग प्रशस्त है।इस प्रकार,मैनपुरी षड्यंत्र न केवल रामप्रसाद बिस्मिल जैसे महान क्रांतिकारियों के साहस का प्रतीक है,बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति युवा पीढ़ी की जागरूकता और भागीदारी को भी दर्शाता है।

काकोरी कांड (1925)

यह घटना बिस्मिल की सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों में से एक थी,जिसमें उन्होंने सरकारी खजाने को लूटने का प्रयास किया।काकोरी कांड (1925) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के निकट काकोरी नामक स्थान पर हुआ। इस घटना को हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारियों ने अंजाम दिया,जिसके उद्देश्य से यह हस्ताक्षर था ब्रिटिश सरकार के खजाना लूट लेना। इस बजाय वहाँ से स्वतंत्रता संग्राम के लिए धन प्राप्त करना।

योजना- इस वारदात का प्लान रामप्रसाद बिस्मिल और उनके साथियों ने बनाया था। उन्होंने सरकारी खजाने को लूटने के लिए एक ट्रेन पर हमला करने का निर्णय लिया।क्रांतिकारी- मुख्य प्रमुख भागीदार रामप्रसाद बिस्मिल,अशफाक उल्ला खान,चंद्रशेखर आजाद,राजेंद्र लाहिड़ी और अन्य प्रमुख क्रांतिकारियों का था। यह कुल मिलाकर दस क्रांतिकारियों की जांच बतायी है।

लूट का विवरण
9 अगस्त 1925 रात,क्रांतिकारियों ने सहारनपुर से लखनऊ जा रही ट्रेन को काकोरी रेलवे स्टेशन पर पकड़कर सरकारी खजाना उठा लिया। इसमें जर्मनी में बनी माउज़र पिस्तौल का सहारा लिया गया था। वे इन पिस्तौल को पहले से ही प्राप्त कर लिए थे।

परिणाम
आरेस्ट- काकोरी कांड के बाद,ब्रिटिश सरकार ने इस घटना की जांच शुरू की और कई क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया। पेनल्टी-पुलिस ने 5000 रुपये का इनाम भी घोषित किया। कई क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई,जिनमें रामप्रसाद बिस्मिल,अशफाक उल्ला खान और राजेंद्र लाहिड़ी शामिल थे। इनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नई ऊर्जा भर दी।

महत्व
काकोरी कांड ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी गतिविधियों को एक नई दिशा दी। यह घटना न केवल ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ा हमला था, या इसने युवाओं को जीवन में देशभक्ति और स्वतंत्रता की भावना को भी जगाया। यह काकोरी कांड आज भी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।

गिरफ्तारी और फांसी

बिस्मिल को 1927 में ही गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया। अंततः उन्हें 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई। उनकी अंतिम इच्छा थी कि "ब्रिटिश साम्राज्य का सर्वनाश" हो।

उनकी महत्वपुर्ण रचनाए

बिस्मिल ने हिंदी और उर्दू में बहुत सारी कविताएँ लिखी हैं। उनके लेखन में देशभक्ति और स्वतंत्रता की भावना प्रकट होती है। उन्होंने "मेरा जनमनामक कविता लिखी,जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनकी गहरी भावनाओं को दर्शाती है।उनकी कई रचनाएँ आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। यहाँ उनकी कुछ महत्वपूर्ण रचनाओं का उल्लेख किया गया है।
1.सरफ़रोशी की तमन्ना- यह कविता स्वतंत्रता संग्राम के समय बहुत लोकप्रिय हुई और इसे क्रांतिकारियों ने गान मानते है। इसमें बिस्मिल ने अपना बलिदान देशभक्ति की भावना को व्यक्त किया है।
2.मेरा रंग दे बसंती चोला- इस कविता में मातृभूमि के प्रति प्रेम और बलिदान की भावना को दर्शाया गया है। यह गीत शहीदों की वीरता का प्रतीक है और आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है।
3.जेल की रात- यह कविता बिस्मिल द्वारा उनके जेल में बिताए गए समय के दौरान लिखी गई थी। इसमें उन्होंने अपने मन के भावों को व्यक्त किया है, जो उनके बलिदान और देशभक्ति को दर्शाता है।
4.गुलामी मिटा दो- इस कविता में उन्होंने गुलामी के खिलाफ आवाज उठाई है और स्वतंत्रता की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
5.ऐ मातृभूमि! तेरी जय हो- यह कविता मातृभूमि की वंदना करती है और उसमें भक्ति तथा समर्पण की भावना प्रकट होती है।
6.हे मातृभूमि-इस कविता में बिस्मिल ने मातृभूमि के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त किया है।
7.फूल- यह कविता जीवन के नश्वरता और उसके अर्थ पर विचार करती है,जिसमें बिस्मिल ने मानव जीवन की मूल्यवानता को दर्शाया है।
रामप्रसाद बिस्मिल की ये रचनाएँ न केवल उनकी देशभक्ति को दर्शाती हैं,बल्कि उन्होंने युवाओं में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरूकता और प्रेरणा भी पैदा की। उनके लेखन ने भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

विरासत

रामप्रसाद बिस्मिल को आज भी एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है। उनके बलिदान और साहस ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है,और उनका नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर रहेगा।.

सोर्स-विकीपिडीया,panchjanya,drishtiias,janstta,leverageedu,textbook,tricitytoday

कोई टिप्पणी नहीं: