9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: डाॅ0 राम मनोहर लोहिया

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शुक्रवार, 3 जनवरी 2025

डाॅ0 राम मनोहर लोहिया

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प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में हम डाॅ0 राम मनोहर लोहिया द्वारा किये गए महत्वपुर्ण कार्यों तथा उनके जीवन संघर्ष एवं आज़ादी के दौरान उनके द्वारा दिये गए महत्वपुर्ण योगदान के बारे में चर्चा करेंगे।वे भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रमुख नेता एवं भारतीय समाजवादी आन्दोलन के संस्थापक थे। लोहिया जी ने अपना सम्पुर्ण जीवन एक क्रांतीकारी नेता के रुप में बिताया तथा कई बार जेल गये। उन्होने समज को एक नयी दिशा देने का प्रयास किया ताकि देश तक्की के रास्ते पर आगे बढ़ सके। उन्होने अपना सारा जीवन देश हित ने निक्षावर कर दिया तथा अजीवन शादी नही की। जब वे स्वर्ग सिधारे तो न उनके पास न कोई सम्पत्ती थी और न ही कोई घर था उनके अन्तिम संस्कार के समय जय प्रकाश नारायण ने उन्हे गरीबो का मसीहा कह कर सम्बोधित किया।.

जीवन परिचय

उनका जन्म 20 मार्च 1910 को फैजाबाद जीले के अम्बेड़कर नगर में हुआ था। उनके पिता का नाम हीरालाल था जो की पेशे से अध्यापक थे और उनकी माता का नाम चन्दा देवी था। जब लोहिया जी मात्र ढाई साल के थे तभी इनकी माता का देहांत हो गया था। कुछ समय बाद वर्ष 1925 में बम्बई आ गये और इनका दाखिला एक मारवाड़ी हाईस्कूल में करवा दिया।.1924 में मात्र 14 वर्ष की उम्र में उन्होने कांग्रेस के गया अधिवेशन में एक प्रतिनिधि के रुप में भाग लिया।.अधिवेशन के दौरान वे गांधी जी की विचार धारा से काफी प्रभावित हुए और उनके आदेशा अनूसार स्वयं खादी पहने लगे। दरअसल गांधी जी वेिदेशी मूल की वस्तुओं का परित्याग करने के पक्ष में थे ताकि देश तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ सके और अंग्रेजो को एक सबक मिल सके।.1925 में आपने मैट्रीक की परीक्षा 70 प्रतीशत अंको के साथ प्रथम श्रेणी में पास की। इसके बाद 1927 में बनारस हिन्दु विश्व विद्यालय से इण्टर की परीक्षा उत्तीर्ण करी।1928 में इन्होने साईमन कमीशन आन्दोलन में भाग लिया जहां इनकी पहली बार मुलाकात पं.जवाहर लाल नेहरु जी से हुयी।इसके बाद 1929 में कलकत्ता के विद्यासागर महाविद्यालय से बी.ए.की परीक्षा उत्तीर्ण करी।इसके बाद वे विदेश शिक्षा ग्रहण करने चले गये 1932 में नमक का अर्थशास्त्र पर शोध प्रबन्ध लिखकर डाक्टरेट की उपाधि धारण की।.यह कार्य उन्होने अपने समय के जानेमाने अर्थशास्त्री प्रोफोसर सोम्बाट के मार्गदर्शन में पूर्ण किया।.
  • 1933 में लोहिया जर्मनी से भारत लौटे और भारतीय राजनीति के मुख्य पहलु को समझा और कहां-आर्थिक और गैर बराबरी,जातिपाति जुडवा राक्षस है अगर एक से लड़ना है तो दूसरे से भी लड़ना जरुरी है।
  • उन्होने भारत में विद्ममान पूंजीवाद और साम्यवाद विचार धारा कि अलोचना की और समाजवादी विचार धारा को परिभाषित करते हुए इसकी नयी परिभाषा दी- उन्होने कहा ऊंचो केबारे में क्रोध समाजवाद नही वहीं निचो के बारे में लगाव भी समाजवाद नही। उन्होने कहा शोषण के विरोध में क्रोध और छोटों के प्रति करुणा का भाव ही समाजवाद है।.
1934 में आचार्य नरेन्द्रेव के नेतृत्व में कांग्रेस सोशलीस्ट पार्टी की स्थापना की,समाजवादी आस्था की वजह से राम मनोहर लोहीया इस पार्टी में शामिल हो गये।.अतः कांग्रेस के मुख्य पत्र कांग्रेस सोशलिस्ट का सम्पादन करने लगे।.
1935  में कांग्रेस पार्टी ने लखनऊ अधिवेशन में एक विदेशी विभाग की स्थापना की,इस विभाग के सचिव के रुप में लोहिया जी को चुना गया।.1988 में आपसी मतभेद के कारण लोहिया जी ने इस पद से त्याग पत्र दे दिया।1941 में दुसर् विश्व युध्द के शुरु होने के बाद राम मनोहर लोहिया ने युध्द विरोध आन्दोलन की अगुवाई की। परिणाम स्वरुप इन्हे गिरफ्तार कर लिया गया,इ्न्हे दो साल की सजा हुयी। मगर 1941 में गांधी जी द्वारा इनकी गिरफ्तारी का विरोध किये जाने पर इन्हे छोड़ दिया गया।.1942में इन्होने भारत छोड़ो अन्दोलन में सक्रिय रुप से भाग लिया तथा कांग्रेस रेडियो नाम से एक गुप्त रेडियो स्टेशन की स्थापना की। 
इस स्टेशन के माध्यम से उन्होने ब्रिटीश सरकार विरोधी उग्र और उत्तेजक प्रचार-प्रसार करके आन्दोलनकारियो का गुप्त रुप से प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान किया। जिसके कारण इनके लिए एक बार फिर गिरफ्तारी का फरमान जारी हो गया,अग्रेजों से बचने के लिए इन्हे नेपाल जाना पड़ा,जहां पर इन्हे जय प्रकाश नरायण जैसे नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। लोहिया जी जेल से फरार होने में सफल रहे और एक बार फिर भारत लौट आये। 1944 में इन्हे फिर से गिरफ्तार किया गया मुम्बई में। मगर गांधी जी के समर्थन से अप्रैल 1946 में इन्हे रिहा कर दिया गया। इसके बाद गांधी जी ने पुर्तगाली सरकार के खिलाफ अन्दोलन किया,जिसमें अन्दोलन की मांग थी की पुर्तगाली सरकार द्वारा गोवा राज्य को छोड़ दिया जाये। परिणास्वरुप लोहिया जी को एक बार फिर से जेल जाना पड़ा।.मगर इस बार भी गांधी जी समर्थन से गोवा सरकार को लोहिया जी को छोडना पडा।.

कांग्रेस पार्टी से अलगाव

1946 मे देश विभाजन,संविधान सभा के गठन के कांग्रेस पार्टी के रवइये से क्षुब्द होकर लोहीया जी ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया क्योंकि वे देश विभाजन के पक्ष में नही थे। इसके बाद उन्होने खुुद की सोशलिस्ट पार्टी को सक्रीय किया। इस पार्टी के माध्यम से कयी जनहीत कारी और जनाधिकार रक्षक आन्दोलन को सफलता पुर्वक चलाया गया। आज़ादी के बाद 1962 तक समाजवादी आन्दोलन का संचालन करते रहे। इसी बीच 1952 से लेकर 1962 तक वे कयी बार पंडित जवाहर लाल नेहरु के खिलाफ चुनाव में खड़े हुये मगर उन्हे सफलता नही मिली। 1963 में आमारोह के उप चुनाव को जीतकर वे पहली बार लोकसभा पंहुचे।.ससंद में उन्होने नेहरु जी की बनायी हुयी कयी नीतियों तथा कार्यो की जम कर आलोचना की। उन्होने नेहरु को जन विरोधी करार दिया। 1964 मंहगाई,भाई भतीजावाद,भ्रष्टाचार और लालफिता जैसे शाही  मुद्दो पर अलग-अलग दलो से मिलकर देश व्यापी बंदी का आयोजन किया और आम जनता को इनके बारे में जागरुक किया।.1967 के चुनाव में इन्होने गैर कांग्रेसी आधार पर पार्टीयों का गठबंधन करके कांग्रेस हटाओ देश बचाओ का नारा दिया। नतीजाजन देश कुछ हिस्सों में गैर कांग्रेसी सरकार स्थापित हो गयी।

इस प्रकार से इनका गैर कांग्रेसी भारत सरकार का वादा पुर्ण हुआ और गैर कांग्रेसी सरकार एक शक्ति के रुप मेंं उभरने में सक्षम हुयी।.1966 में ही इनकी तबीयत खराब होना प्रारम्भ हो गयी थी जांच को दौरान पता चला कि इनकी गर्दन में भयंकर रोग है जिसे आपरेश के दौरान ही ठीक किया जा सकता है। 30 सितम्बर 1967 में इनका आपरेशन दिल्ली मेें हुआ।.मगर आपरेशन के बाद भी इनकी तबीयत में कोई सुधार नही हुआ। अतः 12 अक्टुबर 1967 में इनका निधन हो गया। इन्होने आजीवन शादी नही की और न ही इनके पास कोई निजी सम्पत्ति थी। लोहिया जी के अन्तिम संस्कार के समय जयप्रकाश नरायाण ने उन्हे गरीबों का मसीहा कहा था।.

 लोहिया द्वारा किये गये कार्य

उन्होने समजवाद की परिभाषा देते हुये कहा कि समाजवाद गरीबी के समान बटवारे का नाम नही है बल्कि समृध्दि के ज्यादा से ज्यादा विस्तार का नाम है उनका मानना था कि बिना समता के समृध्दि असंभव है और बिना समृद्धि के समता बेकार है। उनका मानना था कि आर्थीक बराबरी होने पर जाति व्यवस्था अपने आप समाप्त हो जायेगी। उनके विचार थे कि जातिव्यवस्था पर लड़ाई घृणा से नही विश्वास के महौल में होनी चाहिए।.उन्होने जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए देश के समाने सप्त क्रांती का दर्शन रखा।.जो इस प्रकार है
  1. पुरुष और महिलाओं में समानता 
  2. रंगभेद को खतम करना
  3. जन्म और जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करना
  4. विदेशी जुल्म को खतन करना और विश्व सरकार का निर्माण करना
  5. आर्थिक आसमानता मिटाना
  6. हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाना और सिविल न फरमानी का सिद्धांत दिया
  7. तथा एशियाई समाजवादीयों को अपनी नीति खुद बनाने कि प्रेरणा दी क्योंकि उनके हिसाब से युरोपिय समाजवाद की नीति एशियाई देशों के लिए सही नही थी।.

नवसमाजवाद कि परिकल्पना

लोहिया जी ने नव समाजवाद की परिकल्पना देते हुए तीन मुलो का निर्धारण किया।1.सभी उद्योगो,कम्पनीयों,बैंको और बिमा कम्पनीयों का राष्ट्रीकरण होना चाहिए। 2.पुरे विश्व में मानव के जीवन स्तर सुधार के लिए एक कमेटी बनानी चाहिए।3.और एक विश्व संसद की स्थापना की मांग को शामिल किया।.लोहिया का समाजवाद समानता,स्लतंत्रता और न्याय पर आधारित था।.वे इस बात के पक्षधर थे कि समाजवाद से ही विश्व शांति और मानव कल्याण के उद्देश्य को हासिल किया जा सकता है।.

तीन आने बनाम पन्द्रह आने की बहस

1963 के चुनाव के जरिये लोहिया जी लोकसभा पहुंचे तथा इस बहस के दौरान लोहीया जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरु जी निरुत्तर कर दिया था।.उन्होने कहा किस तरह देश का एक आम आदमी तीन आने पर अपना गुजर करता है वहीं प्रधानमंत्री के कुत्ते पर रोज़ाना तीन अना खर्च होता है वहीं प्रधानमंत्री पर रोज़ाना 25000 रुपये खर्च होता है तमाम विवादों और सवालों के बावजूद लोहीया अपने बात पर पुर साहस के साथ अड़ीग रहे। उनका संघर्ष सिर्फ टकराने के लिए नही बल्कि नयी रचना और नया विमर्श खड़ा करने लिये होता था।.उन्होने अपनी सहयोगीयों को जेल,फालड़ा,वोट जैसे प्रतीक दिये थे यहां जेल का प्रतीक संघर्ष है तथा फावड़ा का प्रतीक रचना है एवं वोट का प्रतीक लोकतंत्र से है।.

चौखंबा राज्य की योजना

उन्होने सत्ता को केन्द्रीकरण करने की बजाय 4 भागों में विभाजन किया जिसमें उन्होने गांव,जिला,प्रांतीय और केन्द्रीय सरकारको शामिल किया। उनका मानना था कि किसी देश का उत्थान वहां की जनता की चेतना और राजनीतिक जागरुकता पर निर्भर करता है।.

उनके आर्थिक विचार

  • उन्होने मुल्य और दामबंदी का समर्थन किया। उन्होने ऐसी व्यावस्था बनाने का समर्थन किया जिसमें उत्पाद के साधनो के मालीक जनता का शोषण न कर सकें और उचित मूल्य पर जनता के जीवन जीने के लिए साधन,सेवक और सामग्री उपलब्घ कराने के वीचार शामिल थे। उनका विचार था कि ऐसा करने के लिए हमें आर्थिक और सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन करने पडेंगे।.सरकारी लुट,पूंजीपतीयो के मुनाफे और बडे किसानो के हितो पर जम कर प्रहार करने होगें।.उन्होने सुझाव दिया कि बंदुक धारियों कि तरह ही अन्न और भू सेनाऔ का गठन होना चाहिए।.
  • उनका कहना था कि जो लोग कहते है कि राजनीति को रोजी-रोटी की समस्या से अलग रखो,तो ये कहना उनका अज्ञान है राजनीति का अर्थ और प्रमुख उद्देश्य ही लोगो का पेट भरना है। उनका कहना था कि जिस राजनीति से लोगो का पेट नही भरता वो असल में भ्रष्ट और पापी राजनीति है।
  • उन्होने भूमि वितरण पर अपने विचार देते हुये कहाकि इनमें अधिक से अधिक और कम से कम भूमि के स्वामी में एक और तीन का अनुपात होना चाहिए।
  • वे बड़े उद्योगों कि जगह छोटे उद्योगो को प्राथमिकता देने के पक्ष में थे जिसमें सभी को रोजगार मिल सके।.

उनके नाम पर बने महत्वपुर्ण स्मारक

  1. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी-सर्वप्रथम यह मात्र एकस्कूल था। जिसे यू.पी.सरकार द्वारा 1975 में विश्व विद्यालय का दर्जा प्रदान किया। यह उत्तर प्रदेश के आयोध्या जिले में आवस्थीत है। प्रारम्भीक समय में यहां चार विभागों कि स्थापना कि गई थी जो इस प्रकार है 1.इतिहास विभाग,सांस्कृतिक और पुरात्तत्व विभाग,गणित एवं संख्यायकी विभाग,ठोस आवस्था और भौतिकी विभाग। विद्यालय के कुवपति उत्तर प्रदेश सरकार थी तथा उप कुलपति प्रोफेसर प्रतिभा गोयल जी थीं।वर्तमान समय में इस विभाग के अन्तर्गत 9 पीजी विभाग कैंपस इंस्टीटयूट आप इंजीनिरिंग के 5 लाख नियमित और नीजि छात्रों को शिक्षा प्रदान कि जाती है। सर्वप्रथम इस विश्वविद्यालय के कुलपति का नाम डाॅ.सुरेन्द्र सिंह को नियुक्त किया गया था। प्रारम्भ में इस विश्व विद्यालय का नाम अवध विश्वविद्यालय था जिसे 1993-94के बीच स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डाॅ.राम मनोहर लोहिया की समृति में बदल दिया गया।.अपने प्रारम्भीक समय में यह फैजाबाद के सिविल लाईन में एक किराये की इमारत ेमें अपना कार्य प्रारम्भ किया था।.विश्वविद्यालय के औपचारिक कार्यक्रम के लिये भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया 1976 में शुरु हुई।.अत उस समय के तात्कालीन कुलपति तथा राज्य के राज्यपल श्री जी.डी.तापसे ने 2 मई 1978 को विश्व विद्यालय के वर्तमान परिसर के निर्माण कि नींव रखी।.
  2. डाॅ.राम मनोहर लोहिया इंस्टीटयूट आफ मेडीकल साइंस- इसकी स्थापन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2006 में लखनऊ मेें करायी गयी। इस हास्पिटल को हम डाॅ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के नाम से भी जानते है।.वर्तमान समय में इस मेडिकल कालेज के निदेशक प्रोफेसर सि.एम. सिंह जी है।.इस कालेज में कुल 19 विभाग है।.
  3. राम मनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली-अपने स्थापना के वर्तमान समय में यह अस्पताल विलिंगटन होस्पिटल के नाम से जाना जाता था,जिसे ब्रिटीश सरकार ने अपने कर्मचारीयों के इलाज के लिए स्थापित किया था। तब यह कुल 54 बेड की व्यवस्था से पुर्ण था।.1954 में इसका नियंत्रण स्वतंत्र भारत सरकार के अन्तर्गत आया जिसके बाद से इस आस्पताल का निरन्तर विकास होता रहा।.आगे चलकर इसमें कुल 1533 बेड़ कि व्यव्सथा की गई।वर्तमान समय में अस्पताल परिसर कुल 30 एकड फैला हुआ है।.यहां दिल्ली तथा दिल्ली से बाहर से आए रोगीयों का इलाज होता है।.इस अस्पताल द्वारा प्रति वर्ष 18 लाख रोगीयों का इलाज किया जाता है वर्तमान समय में अस्पताल में 67000 रोगियों को भर्ती करने की क्षमता है तथा आपातकाल विभाग में 2.75 लाख रोगियों को सेव उपलब्ध करायी जाती है।इसी प्रकार यह लगभग प्रतिवर्ष 5000 सीटी स्कैन तथा 1.70 लाख एक्सरे एवं 28 लाख प्रयोगशाला संबंधित जांच उपलब्ध कराता है।.
सोर्स विकिपीडिया,राज्य सभा टीवी

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