प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में हम विनायक दामोदर सावरकर के जीवन तथा उनके द्वारा किये गये महत्वपुर्ण कार्यों तथा उनके जीवन संघर्ष एवं भारत की आज़ादी में उनके महत्वपुर्ण योगदान के बारे में चर्चा करेंगे। इसके साथ ही गांधी जी की हत्या के आरोप में जेल जाने के पिछे के कारण के बारे में तथा उनके द्वारा लिखी गई महत्वपुर्ण कृतियों के बारे में चर्चा करेंगे।.इसके साथ ही हम विनायक जी द्वारा लिखी सुप्रसिद्ध किताबों के बारे में चर्चा करेंगे।.
प्रारम्भिक जीवन
इन्हें वीर सावरकर के नाम से भी जाना जाता है उन्हें यह नाम श्री गणेश वैशम्पायन द्वारा दिया गया। इनका जन्म 28 मई 1883 में महाराष्ट्र में नासिक के निकट भागूर गांव में हुआ था। वे एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ,लेखक,वकिल,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,इतिहासकार,समाजसुधारक,ओजस्वी वक्ता,दूरदर्शी राजनेता थे। इन्हे हम वीर सावरकर के नाम से भी जानते है। इनके पिता जी का नाम दामोदर पन्त था तथा इनकी माता जी का नाम रामाबाई थी। वे तीन भाई-बहन थे। इनके बड़े भाई का नाम गणेश उर्फ बाबाराव नारायण दामोदर था तथा बहन नैनाबाई थीं। इन्होने अपनी युवा अवस्था से ही राष्ट्रीय हीत की गतिविधियों में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया था। इन्होने अपनी कानून की पढाई यूनाइटेड किंगडम से की वहीं से वे इंडिया हाउस में रहने के कारण क्रांतिकारी संगठन से जूडे।.जब वे मात्र 9 वर्ष के थे तभी उनकी माता रामाबाई का देहांत हैजा रोग के कारण हो गया था और जब वे 16 वर्ष के हुये तब उनके पिता जी का देहांत प्लेग माहामारी के कारण 1899 हो गया।.
इसके बाद घर के पालन पोषण का जिम्मा इनके बड़े भाई बाबा राव जी ने सम्भाला, बाबाराव जी ने ही इन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया। विनायक जी अपने बड़े भाई से बहुत प्रभावित थे अतः उनके सहयोग के कारण उन्होने हाईस्कूल की परीक्षा नासिक के स्कूल से 1901 में उत्तीर्ण की। इसी अपने क्षेत्र के करीबी मित्रों के साथ मिलकर मित्र मेलें का आयोजन भी किया,जिससे लोग काफी प्रभावित हुए आज़ादी के लड़ाई अपना समर्थन देने के लिए आगे आये। इसी बीच 1901 में ही उनकी शादी यमुनाबाई से हो गई। इनके ससुर जी ने भी इनकी आगे की पढ़ाई के लिये इनका समर्थन किया परिणास्वरुप पुणे के फग्युर्सन कालेज से बी0ए0 की परीक्षा उत्तीर्ण की।.इनकी दो सन्ताने थी इनकी बेटी का नाम प्रभात चपलूनकर था तथा बेटे का नाम विश्वास सावरकर था।. 1 फरवरी 1966 में तेज ज्वर के कारण उनकी मौत हो गई।.
उनपर लगे महत्वपुर्ण आरोप
1.गांधी हत्या कांड
महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1848 में नाथूराम गोडसे द्वारा की गयी उनकी हत्या के बाद मजिस्ट्रेट किशन चन्द की देखरेख में जांच कमेटी बिठाई गईं ताकि आरोपियों का पता लगाया जा सके,कमेटी का मानना था कि बिना किसी प्लान के हत्या को आजांम देना संभव नही था। अतः भरीसभा में गांधी जी पर गोली चलाने के लिए जरुर किसी संगठन कि सोची समझी चाल रही होगी। जिसके परिणास्वरुप 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया जिनमे विनायक सावरकर का भी नाम शामिल था। मगर सबुतों के आभाव में उन्हें 1949 में रिहा कर दिया गया।. इस घटना ने सावरकर कि छवी पर गहरे दाग छोड़े जिससे उनका आगे का जीवन प्रभावित हुआ।.आलोचकों द्वारा यह भी कहा जाता है कि वह देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे यानि भारत में सिर्फ हिंदू ही रहेंगे न की सभी धर्मों के लोग,इसके विपरीत महात्मा गांधी बंटवारा चाहते ही नही थे। विचारों के आपसी टकराव के कारण घटना हुईं। इस बात के परिमाणीकरण के लिए आलोचक इनकी किताब हिन्दुत्व का उदाहरण देते है।. हत्या के आरोपी 8 लोगो के नाम इस प्रकार है नाथूराम गोडसे,नारायण डी. आप्टे,रामकृष्ण करकरे,दिगंबर बड़गे,गोपाल गोड़से,मदनलाल पाहवा,शंकर किस्तैया,विनायक सावरकर आदि।.
2.अपने राजनीतिक विचारों के कारण सावरक पुणे के फ्गूस्न कालेज से निष्कासित किये गये थे।.
3.गांधी हत्याकांड को लेकर इन पर कपुर कमीशन बिठाई गई थी जिसके कारण इन पर निडल आफ सस्पेंशन नही हटा।.
4.ब्रिटीस सरकार को माफी नामा लिखने का आरोप-1910 में नासिक कलेक्टर जैक्शन कि हत्या के जुर्म में उन्हे गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप था कि जीस रिवालवर से कलेक्टर कि हत्या हुई है वो सावरकर ने लंदन से अपने भाई गणेश को भिजवाई थी, इस घटना से पहले सावरकर ने अपनी किताब ( द इण्डियन वार आफ इंडीपेंडेन्स ) को लीख चुके थे जिसमें उन्होने अंग्रेजों का कडा विरोध किया था। ब्रिटीश सरकार की नींदा करने के कारण सरकार ने इस किताब को प्रतिबंधित कर दिया था। अतः हत्या के आरोप मे पकड़े जाने पर उन्हे ब्रिटीश सरकार द्वारा काला पानी की सज़ा सुनाई गयी। मात्र दो महीने कि सज़ा काटने के बाद सावरकर ने अंग्रेजो को मर्सी पटीशन डालना प्रारम्भ कर दिया था। उन्होने कुल 6 बार क्षमा याचिका डाली जिसके परिणास्वरुप 1918 को सावरकर को रिहा कर दिया गया,आलोचको का कहना है कि एक क्रांतिकारी को यह शोभा नही देता। मांगने को क्षमा याचिका देकर भगत सिंह भी जेल से बाहर आ सकते थे मगर उन्होने ऐसा नही किया।.
5.आलोचको ने वीनायक सावरकर पर यह भी आरोप लगाया कि रिहा होने के बाद उन्हें ब्रिटीश सरकार की तरफ से 60रुपये महीना कि पेन्शन मिला करती थी एक क्रांतिकारी होकर अपने दुश्मन से ही पेंशन पाकर वे कैसे उनके खिलाफ जाते।.क्योंकि वे डिवाइड एंड रुल की नीति को निभाने का वादा निभा रहे थे इसी शर्त भी उन्हे जेल से रिहा किया गया था
महत्वपुर्ण कार्य
- हिन्दु राष्ट्रवादी विचारधारा को विकसीत करने का श्रेय विनायक जी को ही जाता है वे भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बनाने चाहते थे चूंकि भारत में कई धर्म सम्रदाय के लोग रहते है जिसके कारण भारत हिंदु राष्ट्र बनाने कि उनकी विचार धारा की बहुत से लोग आलोचना करते है। उन्होने कई किताबे लिखी जिनमें से उनकी किताब द इंडियन वार आफ इण्डिपेडेंस को ब्रिटीश सरकार द्वारा प्रतिबंधित भी किया गया था।
- विनायक जी की अन्य महत्वपुर्ण किताबों कि श्रेणी में 1.मेरा आजीवन कारावास 2.1857 का स्वतंत्रता समर 3.हिंदुत्व 4.कालापानी 5.मोपला (जो कि 1921 में हिंदुओ के नरसंहार की कहानी बयां करती है) आदि है।.
- अपने प्रभावशाली भाषण के चलते वे सदैव चर्चा में रहते थे उनके लेख उस समय का आखबार तथा पत्रीकाओं मे छपते थे उनके लेख व भाषण उस समय के अखबार सोशियोलाजिस्ट,तलवार एवं कलकत्ता के युगांतर में भी छपते थे।.
- 15 अगस्त 1947 मे इन्होने सावरकर सदान्तों में भारतीय तिरंगा और भगवा ध्वज लहराया जिसके कारण वे इस समय का पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय बन गये। अतः पत्रकारों द्वारा पुछे जाने पर उन्होने कहा की हमें स्वराज प्राप्ती की खुशी भी है मगर विभाजन का दुःख भी है। उनका मानना था कि राज्य कि सिमा नदीयों,पहाड़ों से निर्धारित नही कि जा सकती बल्की देश के युवाओं के धैर्य और शोर्य से निर्धारित की जाती है।
- 8 अक्टूबर 1949 में पूणे विश्वविद्यालय ने उन्हें डी0 लिट0 की उपाधि से नवाज़ा गया।.
- 1904 में अभिनव भारत नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की थी।.
- सोर्स-विकिपीडीया,बी.बी.सी न्युज़,आजतक न्यूज़।
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