प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन तथा उनके जीवन की उपलब्धीयों एवं उनके किये कार्यों पर प्रकाश डालेंगे। इसके साथ ही हम उनके नाम पर बने विश्वविद्यालय तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा इस संस्था द्वारा किये गये महत्वपुर्ण कार्यो पर प्रकाश डालेंगे।.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय
उपाध्याय जी एक प्रमुख हिंदी एवं बंगाली कवी होने के साथ ही वे एक प्रमुख भारतीय दार्शनीक विचारक और राजनीतिज्ञ भी थे। वे भारत में वर्तमान समय में शासन करने वाली पार्टी यानि भारतीय जनता पार्टी के नेता थे जिसका प्राचीन नाम भारतीय राजसंघ था। उपाध्याय जी अपनी एकात्म मानववाद की विचार धारा के लिए सबसे प्रसिध्द थे,बताते चलें कि एकात्म मानववाद सम्यवाद और पूंजीवाद दोनों की आलोचना करता है। इसके साथ ही यह राजनीतिक कार्यवाही और राज्यशक्ति के लिए एक समग्र विकल्प दृष्टिकोण प्रदान करता है।.
जीवन परिचय
उपाध्याय जी का जन्म 25 सितम्बर 1916 में राजस्थान के जयपुर में अजमेर रेलवे लाइन पास धनकिया नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता भागवती प्रसाद एक ज्योतिष थे वे जलेसर रोड़ स्टेशन के सहायक स्टेशन मास्टर थे तथा उनकी माता एक सामान्य ग्रहणी थीं। 3 वर्ष की अल्पआयु में इनके पिता जी का देहांत हो गया जिसके कारण परिवार की स्थीति दयनीय हो गयी इनकी माता जी अपने पति की मृत्यु के दुःख से बिमार रहने लगी धीरे-धीरे बिमारीयों ने उनके शरीर को अपनी गिरफ्त में लिया अतः क्षय रोग से ग्रसीत होने के कारण 8 अगस्त 1924 को इनकी माता जी का देहान्त हो गया। इस समय उपाध्याय जी मात्र 7 वर्ष के थे। इनके भाई भी थे जिनका नाम जिनका निधन 8 नवंबर 1934 में हो गया था। माता की मृत्यु के बाद इनके पालन पोषण इनके मामा जी और मामी ने किया। मगर वे भी ज्यादा दीन तक जीवित न रह सके। 1926 में इनके नाना चुन्नीलाल का तथा 1935 में इनकी नानी का स्वर्गवास हो गया।.
आठवी कि परीक्षा उत्तर्ण करने बाद इन्होंने राजस्थान के कल्याण हाईस्कूल सीकर से 10वी बोर्ड परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया। इसके बाद 1937 में इण्टरमीडियट परीक्षा में पुनः प्रथम स्थान हासिल किया। 1939 में कानपुर के सनातन धर्म पी0जी0 कालेज से बी0ए0 की परीक्षा उत्तर्ण की। बहन रामादेवी कि बिमारी के कारण वे एम0 ए0 कम्पलीट ने कर सके, इसके 1941 में बी0टेक0 की परीक्षा उत्तर्ण करी।. कानपुर में बी0ए0 करने के दौरान ही वे अपने सहयोगी मित्र बालूजी महाशब्दे के सहयोग से वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सम्पर्क में आये। अपनी पढ़ाई पूर्ण करने का बाद इन्होंने संघ का दो वर्ष का प्रशिक्षण कार्य पुर्ण किया। कानपुर में ही इन्हे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डाॅ0 हेडगोवर का सन्नीकटता और उनके विचारों का समझने का मौका मिला।. संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनिति में आये।. जिसके परिणाम स्वरुप 19 अक्टूबर 1951 में डाॅ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में भारतीय जन संघ की स्थापना करी गयी।.जो वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी के नाम से जानी जाती है।. 1967 तक उपाध्याय जी भारतीय जन संघ के महामंत्री रहे। इसके बाद 1967 में ही कालीकट अधिवेशन में ही वे भारतीय जन संघ के अध्याक्ष चुने गये।.
11 फरवरी 1968 में मात्र एक मुगलसराय रेलवे स्टेशन के पास उनकी मौत भारत लाल तथा राम अवध दो लुटेरों द्वारा ट्रेन से धक्का देने के कारण हुई थी। दरअसल उपाध्याय जी ने उन्हे चोरी करते हुए देख लिया और पुलिस को शिकायत करने की धमकी दी थी।. जिसके परिणामस्वरुप उनके द्वारा पुलिस के डर कि वजह से उपाध्याय जी को ट्रेन से धकेल दिया। उपाध्याय जी सियाल्दाह एक्सप्रेस से पटना जा रहें थे।.
महत्वपुर्ण कार्य
- 1940 में हिन्दु पुनरुथान के आदर्शों को फैलाने के लिए मासिक पत्रिका राष्ट्रीय धर्म की शुरुआत की।
- 1967 में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने।
- 1937 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का जीवन भर प्रचारक रहने की कसम खाई।
- उनकी रचना एकात्म मानववाद की विचारधारा राजनीतिक कार्यवाई और राजशक्ति के लिए एक समग्र विकल्प दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- इसके साथ ही इन्होने पंचजन्य,स्वदेश जैसी पत्रीकाओं का भी शुभ आरम्भ किया।.
- उपाध्याय जी प्रशासनीक परीक्षा भी उत्तर्ण की थी मगर अंग्रेजो की चाकरी करना पसन्द न किया।.
इनके नाम पर बने स्थल
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय- इसकी स्थापना 1970 में श्रीमती बुजी द्वारा कानपुर के नवाबगंज में करी गयी थी।
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावटी विश्व विद्यालय- इस विद्यालय की स्थापना राजस्थान के सिकर में श्री कालराज मिश्र ने 1912 में करी थी।
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय- इसकी स्थापना उत्तर प्रदेश सरकार ने 1957 की थी जिसके कुलाधिपति उत्तर प्रदेश के राज्यपाल जी थे।.
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय करनाल-इसकी स्थापना हरियाणा सरकार द्वारा 2016 की गई जिसके लिये लगभग 645 करोड़ का बजट पास किया गया था।. इसका सम्बधं राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से है।.
R.S.S
इसका पुरा नाम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ है जिसकी स्थापना 27 सितम्बर 1925 में डाॅ0 केशव बलीराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। इस संघ का मुख्य लक्ष्य हिन्दू समाज को एकजूट करना था तथा हिन्दू राष्ट्रीय की स्थापना के लिए चरित्र प्रशिक्षण प्रदान करना था। अपने प्रारम्भीक समय मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने ब्रिटीश राज का समर्थन किया तथा स्वतंत्रता अन्दोलन में किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नही निभाई।.अपको बताते चले की R.S.S की चरमपंथी संगठन के रुप में अलोचना करी गई है,कुछ विद्वानों का मनना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग नफरत और हिंसा को बढ़ावा देते है। संघ का मुख्यालय महाराष्ट्र में अवस्थीत है।.
सोर्स विकीपिड़ीया,अमर उजाला,टाईम्स आफॅ इण्डिया,न्युज़ नेशन टीवी डाटकाम।.
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