प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में हम भारतीय चुनाव आयोग द्वारा जारी है tender vote,challenge vote तथा इनसे संबंधित अधिनियमों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही हम section 49 p और section 42 के बारे में जानेंगे।साथ ही हम यह जानने की कोशिश करेंगे की उपर्युक्त धाराओं तथा अनुच्छेद का लाभ मतदाता कैसे उठा सकता है।.
टेंडर वोट
इस प्रकार के वोट सिर्फ हाईकोर्ट के आदेश पर ही गिने जाते है इसलिए किसी खास स्थिती मेंं य चुनाव आयोग के नतीजे फसंने पर ही टेंडर वोट कि गिनती की जाती है। चुनाव अयोग ने सेक्शन 42 को तहत टेंडर वोट का प्रवधान किया है। जो पिठासीन अधिकारी की जांच के आधार पर दिया जाता है।टेंडर वोट का दावा करने वाले मतदाता को पिठासीन अधिकारी द्वारा पुछे जाने वाले सभी सवालों का सही जवाब मिलने पर ही वोट देने की अनुमति दी जाती है।अपनी पहचान की जांच करने के बाद मतदाता अपना वोट वेलेट पेपर पर देता है जिसे पिठासीन अधिकारी अपने हस्ताक्षर करके स्वयं के पास रख लेता है जिसे सभी वोटों की गिनती के बाद गिना जाता है। हालांकि इसे गिनने और न गिनने का अधिकार चुनाव आयोग अपने पास सुरक्षित रखता है।.
चेंलेज वोट
हर मतदान केंन्द्र पर चैलेंज वोट का प्रवधान होता है।लोकिन इस प्रकार के वोट का इस्तेमाल मतदान करने के लिए नही,बल्कि किसी अन्य व्यक्ति को मतदान देने से रोकने के लिए किया जाता है।आपको बताते चले कि इस प्रकार के मतदान का प्रयोग किसी आम व्यक्ति य नागरिक द्वारा नहि किया जा सकता है बल्कि इसके डालने का अधिकार चुनाव एजेंट के पास होता है।बताते चले कि मतदान केंन्द्र पर पीठासीन अधिकारी के साथ ही चुनाव एजेंट भी बैठते हैं जिनका मुख्य कार्यं मतदाता को पहचानने का होता है। इनका चुनाव पार्टी य उम्मीदवार द्वारा किया अपनी ओर से किया जाता है ताकि चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखी जा सकें।अतः चेलेंज वोट का इस्तेमाल फर्जी वोटों की रोकथाम के लिए किया जाता है।.
section 42
- इसका संचालन चुनाव संचालन नियम,1961 की धारा 42 द्वारा प्रस्तुत किया गया है। धारा 42 के अधिनियम को चार चरणों में बांटा गया है।1.यदि कोई व्यक्ति स्व्यं को विशिष्ट निर्वाचक के रुप में प्रस्तुत करता है और किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ऐसे निर्वाचक के रुप में मतदान कर दिए जाने के बाद मतपत्र के लिए आवेदन करता है तो वह अपनी पहचान से संबंधित ऐसे प्रशनों को जो पीठासीन अधिकारी पुछे,संतोष जनक उत्तर देने पर,इस नियम के निम्नलिखित उपबंधो के अधीन रहते हुए,किसी मतपत्र पर,जिसे इन नियमों के आधार पर निविदा मतपत्र कहा गया है।मतदाता उसी प्रकार हकदार होगा जैसे किसी अन्य निर्वाचक द्वारा लगाया जाता है।.
- 2.ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को,निविदत्त मतपत्र दिए जाने से पहले प्रारुप 15 में दी गयी सूची में उससे सम्बन्धित प्रविष्टि के सामने अपना नाम हस्ताक्षरित करना होगा।.
- प्रस्तुत मतपत्र मतदान केन्द्र पर प्रयोग होने वाले अन्य मतपत्रो के समान ही होगा। सिवाय इसके क ऐसा प्रस्तुत मतपत्र मतदान केन्द्र पर प्रयोग के लिए जारी किए गए मतपत्रों के बंडल में क्रमानुसार अंतिम होगा।ख.ऐसे प्रस्तुत मतपत्र और प्रतिपूर्ण के पीछे पीठासीन अधिकारी द्वारा अपने हाथ से प्रस्तुत मतपत्र शब्द अंकित किये जायेंगे और उनके यानि अधिकारी के हस्ताक्षर होंगे।.
- इस प्रकार के वोट को मतदाता,मतदान कक्ष में प्रस्तुत मतपत्र पर निशान लगाने और उसे मोड़ने के बाद,उसे मतपेटी में ड़ालने के बजाय पीठासीन अधिकारी को देगा,जो उसे इस प्रयोजन के लिए विशेष रुप के लिफाफे में रखेगा। परन्तु अगर मतदाता किसी राजनितिक पार्टी का सदस्य है तब पीठासीन अधिकारी उस व्यक्ति के मतदान को लिफाफे में रखने से पहले उस राजनितीक पार्टी य दल के प्राधिक्रत अभिकर्ता को यह सत्यापित करने की अनुमति देगा कि निर्वाचक ने अपना मत किस उम्मीदवार को दिया है।.
Section 49 p
हाल ही में आई विजय थलापती की मूवी सरकार में सेक्शन 49 p का ज़िक्र काफ़ी जोरों शोरों से हुआ जिसके चलते जनता में भी यह जोश भर गया की आने वाले चुनाव में वे भी इस सेक्शन का इस्तेमाल अपना वोट देने के लिए करेंगे। हालंकि इसमें कोई बुराई नही मगर मूवी देख कर चैलेंज वोट की मांग करना आपको भारी पड़ सकता है।क्योंकि इस प्रकार के वोट की गिनती करने का अधिकार चुनाव आयोग अपने पास सुरक्षित रखता है बोहत ही खास प्रिस्थितियों में इस प्रकार के वोट की गिनती की जाती है।धारा 49 पी के इस्तेमाल तब किया जाता है जब किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आप का वोट डाल दिया गया हो तब मतदाता 49 पी के नियमों का पालन करते हुए इसका इस्तेमाल करके एक विशेष वोट डालने की मांग कर सकता है।इस प्रकार के वोट को डालने का अधिकार तभी मिलता है जब आप स्वयं की प्रमाणिकता और पीठासीन अधिकारी द्वारा पूछे गए सभी सवालों का सही जवाब देते है।यह वोट हमेशा वॉलेट पेपर पर दिया जाता है भले ही evm मशीन के दौरान वोटिंग हो रही हो।इस प्रकार के वोट को पीठासीन अधिकारी अपने पास सुरक्षित रखता है इसे वोटिंग बाक्स में नहीं डाला जाता।इस प्रकार के वोट की गिनती सभी वोटों की गणना होने के बाद ही की जाती है।.
यह अधिनियम चुनाव संचालन नियम 1961 की धारा 49 पी 1 के अंतर्गत संरक्षित है।.अधिनियम के मुख्य बिंदू
नियम कहता है की यदि कोई व्यक्ति जो स्वयं को विशिष्ठ निर्वाचक बताता है,किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ऐसे निर्वाचक के रूप में मतदान कर दिए जाने के बाद मतदान करने की अनुमति चाहता है,तो उसे,उसकी पहचान से संबंधित ऐसे प्रश्नों का,जो पीठासीन अधिकारी पूछे,संतोषजनक उत्तर देने पर,मतदान इकाई के माध्यम से मतदान करने की अनुमति देने के बजाय,एक प्रस्तुत मत पत्र दिया जायेगा जो ऐसे डिजाइन होगा और जिसकी विशिष्टयां ऐसी भाषा में होंगी,जिन्हे निर्वाचन आयोग विनिर्दिष्ट करें,के तहत वोट दे सकता है।इस प्रकार के वोट के पीछे पीठासीन अधिकारी टेंडर बैलेट पेपर लिखकर अपना हस्ताक्षर करेगा। अतः इसकी गिनती किसी खास नतीजे के फंसने पर टेंडर इसकी गिनती की जाती है।.
मुख्य सोर्स
indiankanoon.org,nbt,tv9hindi
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