9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: भारत में शिक्षा का विकास

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गुरुवार, 7 नवंबर 2024

भारत में शिक्षा का विकास

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प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में हम भारत में आधुनिक शिक्षा के विकास तथा अंग्रेजो द्वारा भारत में शिक्षा सुधारों पर प्रकाश डालेंगे।. इसके साथ ही हम यह देंखने का प्रयास करेंगे कि वास्तव में भारत ब्रिटीश शिक्षा निती का भारतीय शिक्षा प्रणाली पर क्या असर पड़ा।.इसके साथ ही हम वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर भी प्रकाश डालने का प्रयास करेंगे।.

चार्ल्स वुड़ डिस्पेच 1854

1833 के अधिनियम के तहत नयी शिक्षा निती बनाने के लिए 1लाख रुपये कि राशी प्रदान कि गई थी।. भारत में आधुनिक शिक्षा का जन्मदाता श्रेय चार्ल्स ग्रांट को दिया जाता है।. इतिहास के पन्नों को खंगहालने पर हमें पता चलता है कि 1854 ई0 में चार्ल्स वुड़ डिस्पेच कि स्थापना हुई थी इस समय लार्ड डलहौजी का ही कार्यकाल चल रहा था अतः डलहौजी के कार्यकाल में ही शिक्षा के विकास का दुसरा चरण प्रारम्भ होता है।.कम्पनी नें 19 जुलाई 1854 में नयी शिक्षा निती की घोषणा की जिसके तहत लंदन विश्वविद्यालय की तरह ही भारत के कलकत्ता,चेन्नई तथा मुम्बई क्षेत्र में विश्व विद्यालयों कि स्थापना कि गई।.अतः जिसके परिणामस्वरुप वुड डिस्पैच को भारतीय शिक्षा निती का मैग्नाकार्टा कहा जाता है।.इस अधिनियम के तहत सरकार ने पाशचात्य शिक्षा,कला,दर्शन,विज्ञान,साहित्य तथा देशी भाषा को बढ़ावा दिया।.मगर उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी ही रखा।.दरसल अंग्रेज हमें स्वयं की तरह अंग्रेज बनाना चाहते थे।.वे चाहते थे कि अंग्रेज चाहते थे कि हम मानसिक तौर पर और धार्मिक रुप से अंग्रेज बन जाये।. चार्ल्स ग्रांट द्वारा किताब लिखी गयी थी जिसका नाम था ब्रिटीश एशियाई प्रजा की सामाजिक स्थीति।. यानि उसे पता था कि वो हमें अपना मानसिक गुलाम कैसे बना सकता है।. इसके लिए उन्होंने हमारी शिक्षा निति ही नही बदली बल्की ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार भी बहुत तेजी से किया, ईसाई कालेजों में पढ़ने वाले लोगों को स्लारशीप तथा फ्री भोजन की व्यावस्था कराई जाती थी तथा विदेशी स्कुलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए रिसर्वेशन भी प्रदान किया जाता था।.इसके साथ ही 1854 के वुड़ डिस्पेच में पहली बार महीला शिक्षा का समर्थन किया।. अतः वुड़ डिस्पैच का सम्बन्ध विश्वविद्यालय कि शिक्षा से सम्बन्धित था स्कुली शिक्षा से इसका किसी भी प्रकार का कोई सम्बन्ध नही था।.

हंटर आयोग 1882

इस आयोग  ने 1882 से 1883 तक कार्य किया।. इस आयोग के अध्यक्ष W.W. Hunter था इसके आलवा इस आयोग के 20 सदस्य थे जिनमें 8 भारतीय भी थे जिसके कारण इसे प्रथम भारतीय शिक्षा निती भी कहा जाता है।.हंटर कमिशन कि रिपोर्ट में प्राथमिक शिक्षा के विकास पर जोर दिया गया।.इसी समय काल में यानि 1882 में पंजाब विश्वविद्यालय कि तथा 1887 में प्रयागराज विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी।.इस समयकाल का दौरान भारत का गवर्नर जनरल(वायसराय)  लार्ड रिबन था।।

रैले आयोग 1902

1902 में सरटामस रैले की अध्यक्षता में इस कमिशन कि स्थापना कि गई जिसका मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों कि स्थिती की समीक्षा करना तथा कार्यशैली में सुझाव देना इसका मुख्य कार्य था।. इस समती में दो भारतीय सदस्य सैयद हुसैन बिलसामी तथा जास्टेस गुरुदास बनर्जी भी शामिल थे।. प्राथिमीक एवं माध्यमिक शिक्षा नीति से इस आयोग की परिधि  से दुर रखा गया।. इसके बाद 1904 में विश्व विद्यालय आयोग  की स्थापना की गई थी।. जिसका जिक्र हमारे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 भाग क में किया गया है।.

हार्गोट समिति

इस समिती का मुख्य लक्ष्य प्राथमिक शिक्षा पर बल देना था इस समिति ने प्राथमिक शिक्षा की आनिवार्यता की निंदा की क्योंकि इनका मानना था कि मि़डील स्कूल तक कि शिक्षा के बाद ग्रामिण छात्रों को व्यावसायिक और आद्यौगिक शिक्षा दी जानी चाहिए।. ताकि व्यवसाय के अवसरों को बढ़ाया जा सके।.इसके आलावा इस समिति द्वारा अन्य बदलाव जैसे सरकारी कर्मचारीयों की संख्या बढ़ाने कि मांग,विद्यालयों कि संख्या बढ़ाने कि बजाय उनका सोकन कररना,मौसम और स्थानीय जरुरतों के हिसाब से स्कूल को घंंटों और छुट्टियों को तय करना,उच्च शिक्षा के लिए संम्बद्ध विश्वविद्यालयों की स्थापना करने की मांग को समाने रखा।.उपरोक्त सभी कार्यों अलावा समिति ने यह भी प्रस्ताव रखा कि छात्रों कि उनकी क्षमता और योग्यता के अनुसार विश्वविद्यालयों में प्रवेश देना चाहिए।.इसके साथ ही समिति ने यह भी कहा कि बेरोजगारी के कम करने के लिए विश्वविद्यालयों में तकनीकी शिक्षा का प्रावधान करना चाहिए।.

मौलिक शिक्षा योजना

इस समिती की रुपरेखा डा0 जाकिर ने तैयार कि थी ताकि मौलिक यानि प्रारम्भीक शिक्षा के महत्वपुर्ण बिदुंओं पर  ध्यान दिया जा सकें।.इसे सविंधान के 86वें सशोंधन के तहत अनुच्छेद 21 क में जोड़ा गया।. जिसके तहत निःशुल्क शिक्षा तथा अनिवार्य बाल शिक्षा पर जोर दिया गया जिसे तहत यह कानून तथा आरटीआई अधिनियम 1 अप्रैल 2010 में पुर्ण रुप से लागू हो गया।.

सार्जेंट योजना

इसे औपचारिक रुप से भारत में युद्धोत्तर शिक्षा विकास पर सार्जेंट आयोग के नाम से जाना जाता है।.यह योजना बिर्टीश भारतीय सरकार द्वारा 1944 में तैयार कि गई थी।.इस योजना के तहत भारत को 40 वर्ष के कार्यकाल में साक्षर बनाने का विणा उठाया गया था।. इस यौजना के तहत सम्पुर्ण भारत में सरकारी तथा गैरसरकारी विद्यालयों का जाल बिछाया गया ताकि ब्रिटीश सरकारों अपने मनसुबों में कामयाब होने में सफलता हासिल कर सकें।.अचः इसका प्रस्ताव ब्रिटीश केन्द्रिय सलाहकार सिमित के समक्ष रखा गया विचार विमर्श के बाद इस परियोजना को मंजूरी मिल गईंं।.

वर्धायोजना

1937 में भारत मे्ं निरक्षरता को दूर करने के लिए माहत्मा गांधी द्वारा चलाया गया एक कार्यक्रम था जिसके चलते इसे नयी शिक्षा नीति के नाम से भी जाना जाता है।. इस षिक्षा निती के अंतर्गत स्कुल के स्थान पर कार्यस्थल का निर्माण कराया गया जहां बच्चे अपने हाथों का प्रयोग करके कार्य करना सिखेंगे।.पाठ्यक्रम में कताई,बुनाई,क्रषी कार्य,चीनी निर्माण,इतिहास,भूगोल आदि विषयों को शामिल किया गया।.इस शिक्षा प्रणाली में अंहिसा के सिद्धांत के शामिल करना मुख्य था। अतः यह शिक्षा क्षेत्र लोकल भाषा में ही दी जानी चाहिए।.
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