9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: वक्फ संशोधन विधेयक 2024

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सोमवार, 23 सितंबर 2024

वक्फ संशोधन विधेयक 2024

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प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में वाक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक2024,सचर कमेटी की रिपोर्ट तथा वर्तमान समय में वाक्फ क्यों चर्चा का विषय बना हुआ है इस पर चर्चा करेंगे।.वाक्फ बोर्ड पर आरोप लगाये गये है कि यह किसी भी व्यक्ति की सम्पत्ति को जबर्न जब्द कर लेतें है।.भारत सरकार का इस बोर्ड पर किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध नही है। इसके आलावा सोशल मिडीया पर यह भी दावा किया जाता है कि वाक्फ बोर्ड पुरे भारत में तीसरे स्थान पर सबसे बड़ी जंमिनी सम्पत्ति का मालिक है। या यह एक मुस्लीम समुदाय द्वारा बनाया गया कानून है।.इसमें भारत सरकार किसी प्रकार का हस्तक्षेप नही कर सकती है देश में श्रया कानून चल रहा है।.ऐसा मिडीया जगत के लोगों का बोलना है।.अतः उपरोक्त सभी बातों पर विचार करते हुए हम वाक्फ बोर्ड के इतिहास पर प्रकाश डालेंगे।.

चर्चा का विषय

यह मुद्दा सामने तब आता है जब तामिलनाडु का एक किसान अपनी सम्पत्ति को बेचने के लिए आवेदन करता है।.अवेदन करने के बाद उसे पता चलता है कि उसकी ज़मीन वक्फ बोर्ड कि है अतः स्वयं के पास जमीन का मालिकाना हक न होने के कारण वह अपनी जमीन को नही बेच पाता है।.ज़मीन की जांच के दौरान यह भी पता चलता है कि उस किसान कि ही नही बल्कि सम्पुर्ण गांव कि जमीन वक्फ बोर्ड के नाम पर है।.वाक्फ बोर्ड द्वारा दावा यह भी किया जाता है कि गांव में विद्दमान 1500 साल पुराना मंदिर भी वाक्फ बोर्ड कि सम्पत्ति है।.विवाद का मुख्य कारण वक्फ बोर्ड 1995 अधिनियम का सेक्शन 14 है जिसके अतंर्गत बक्फ बोर्ड को यह अधिकार दिये गये है कि अगर किसी राज्य के वक्फ बोर्ड को यह लगता है कि कोई ज़मीन वक्फ बोर्ड कि है तो बोर्ड सर्वे करा सकता है और अपना अधिकार स्थापित करा सकता है।.अतः वक्फ बोर्ड पर आरोप लगाये गयें है कि यह कार्य मनमाने तरिके से किया जाता है। परिणास्वरुप वर्तमान सरकार के अल्पसंख्यक अपारध मंत्री यानि माइनोर्टी औफेन्स मिनीस्टर किरण रिजिजू ने 18अगस्त को होने वाली अट्ठराहवी लोक सभा कि बैठक में  वाक्फ संशोधन अधिनियम 2024 का प्रस्ताव रखा ताकि वाक्फ कानून 1995 के सेक्शन 14 को हटाया जा सकें और इनके मनमाने ज़मीन अधिग्रहण कार्यौ पर रोक लगाई जा सकें।.

WAQF BOARD

यह भारत सरकार द्वारा बनाया गया मुस्लिम कानून है जिसे वाक्फ एक्ट 1995 के तहत अधिकार दिया गये है।. जिसके अतंर्गत आने वाली भूमि पर मस्जिद,मकबरा,कब्रिस्तान,मदरसा बनाया जा सकता है।.यह एक मुस्लिम ट्रस्ट की तरह काम करता है जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति अपनी सम्पति तब दान करता है जब कोई व्यक्ति अपनी सम्पत्ति से व्यक्तिगत लाभ न कमाकर बल्कि अपने धर्म व संस्क्रती के सरंक्षण के लिए दान करना चाहता है तो वह वाक्फ कर सकता है।.अतः जब कोई व्यक्ति अपनी सम्पत्ति वक्फ करता है तो वह अल्हा के नाम पर दान कर दी जाती है अब भले ही वाक्फ बोर्ड उसे तत्तकालिक प्रभाव से जब्द न करें।.मगर भविष्य में वाक्फ कानून 1995 के तहत कभी भी भूमि का अधिग्रहण कर सकता है।.वाक्फ में सम्पत्ति दान करने वाले व्यक्ति को वाकिफ कहा जाता है।.वक्फ कानून के तहत वक्फ करने के बाद,वाकिफ की सम्पत्ति पर उसके और उसके परिवार का मालिकाना हक, समाप्त हो जाता है।.
मुतावली-वक्फ की सम्पुर्ण सम्पत्ति का अधिकार मुतावली के पास होता है जो कि सरकार द्वारा चुना जाता है।. वह वक्फ बोर्ड कि सम्पत्ति के मैनेजर के रुप ने कार्य करता है। यानि इसी के आदेश पर वक्फ की जमीन पर मस्जिद,मदरसा,मकबरा या कब्रिस्तान बनाया जा सकता है।.मुतावली यह सभी कार्य वक्फ बोर्ड के सदस्यों के आदेश पर करता है। बताते चले कि मुतावली वक्फ बोर्ड का आदेश नही निर्धारित कर सकता और न ही अपनी मर्जी से वक्फ की सम्पत्ति को बेच सकता है।.

वक्फ बोर्ड के प्रकार

सरकारी मान्यता प्राप्त फैज़ान मुस्तफा ने वक्फ को परिभाषित करते हुए इसे दो भागों में विभाजित किया है।.
1.Quasi-Public waqf- इस वक्फ कानून के अंतर्गत आने वाली सम्पत्ति आधी मुस्लिम समाज कल्याण यानि वक्फ और आधी वाकीफ के परिवार कल्याण के लिए इस्तेमाल की जाती है।. 2.Private Waqf- इस वक्फ कानून के अंतर्गत आने वाली सम्पत्ति का इस्तेमाल परिवार कल्याण के लिए किया जाता है मगर परिवार के समाप्त होने पर वह सम्पत्ति पुरी तरह से वक्फ की हो जाती है।.इसी के साथ वक्फ बोर्ड और निजी या सरकारी ट्रस्ट में अंतर समझ लेते है।. अपको बताते चले कि वक्फ बोर्ड ट्रस्ट का एक प्रकार हो सकता है मगर ट्रस्ट नही,जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है। वक्फ बोर्ड के मुताबिक इसका मतलब मुस्लिम धर्म से सम्बन्धित दिया दान से ही होता है। यह स्थाईं रुप से विधि द्वारा निर्धारित कानून है।.ट्रस्ट-यह अस्थाई य निजी रुप में हो सकती है,एक ट्रस्ट किसी प्राइवेट उद्देश्य जैसे अनाथ आश्रम,व्रद्धा आश्रम के लिए भी बनाया जा सकता है।.

वक्फ बोर्ड का इतिहास

इतिहास में वक्फ का सर्वप्रथम उल्लेख 1327 ईसा.पु.में मिलता हैं। उस समय के जानेमाने यात्रीकार इबनेबतुता ने वक्फ का जीक्र अपनी जर्नल में बताते हुए लिखते है कि 1327 के समय काल में सीरिया के डेमैस्कस में एक होटल में वक्फ हुआ था जिसमें वक्फ के तहत यदि किसी वेटर से प्रोशली डीशस्ज यानि महंगे बर्तन टूट जाते है तो उन्हें वेटर की तनख्वाह से नही काटा जायेंगा बल्कि वक्फ कानून के तहत इकट्ठी की सम्पत्ति से नये बर्तन कि व्यवस्था की जायेगी।. भारत में 1993 में The Muslim validating Act 1995 पास किया गया,जिसके तहत वक्फ बोर्ड के स्टेक होल्डर कि सूची तैयार कि गयी थी।. दुबार इस कानून से संशोधन करते हुए 1923 में Muslmaan Wakf Act 1923 पास किया गया।. इसके बाद वक्फ मे संशोधन 1954 के कानून Central Wakf Act 1954 किया गया,जिसके तहत वक्फ बोर्ड कि एक मुख्य शाखा को केन्द्र में स्थापित किया गया तथा भारत के सभी राज्यों में एक राज्यस्तरीय वक्फ बोर्ड कि स्थापना कि गयी।.इसके बाद Waqf Act 1995आया जिसका सेक्शन 14 विवाद का मु्ख्य कारण बना हुआ है। जिसके परिणामस्वरुप Waqf Amendment Act 2024 का प्रस्ताव लोक सभा में रखा गया है।.

आगे बताते चले कि वर्तमान समय में भारत में 32 वक्फ बोर्ड काम कर रहे है जिनमें से 16 सिया तथा 16 सून्नी मुसलमानों के लिए बनाए गये है।.इनका मुख्य कार्य राज्य में वक्फ कि सम्पत्ति का सरंक्षण करना तथा उनसे आय कमाना है ताकि धार्मिक कार्यों में इनका इस्तेमाल किया जा सके।.इन सब के बावजूद एक Central Waqf council भी है।.वर्तमान समय में वक्फ बोर्ड भारत में सर्वाधीक भूमि धारक की श्रेणी में रेलवे मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय के बाद,वाक्फ बोर्ड तीसरे स्थान पर आता है।.बताते चले कि 9.4 लाख एकड़ की ज़मीन वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती है जिनमें कुछ क्रषि कार्य की भूमि है,कुछ दुकाने है तो कुछ स्थाई भूमि जैसे कब्रिस्तान,मस्जिद तथा मकबरे आदि आते है।.

सचर कमेंटी कि रिपोर्ट

2006 में सचर कमेटी कि रिपोर्ट जारी कि गयी,इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के सामाजिक,आर्थिक,शिक्षा स्तर अध्ययन किया गया।. कमेटी में वक्फ बोर्ड को लेकर एक खुलासा किया कि अगर वक्फ बोर्ड सही तरीके से कार्य कर रहा होता तो वक्फ बोर्ड कि सलाना आय 12000 हजार करोड़ रुपये होती।.मगर जांच के दौरान हमें पता चला कि वक्फ बोर्ड कि सलाना आय मात्र 163 करोड़ रुपये है।.इसके पिछे का मुख्य कारण कमेटी ने बताते हुए कहा कि मुतावली भ्रष्टाचार करते है,वक्फ पोपर्टी को अपनी निजी सम्पत्ति की तरह इस्तेमाल करते है,दुकान खुलवा देते  है यह कम दामों पर भाड़े पर दे देते है।.कुछ मामलों में ये तक सामने आया ढ़ेर सारे मुतावलीयों ने मिलकर ढ़ेर सारी जमीन को कर दामों पर किराये पर दे दिया।.कई जगह यह देखा गया कि राज्य स्तर पर वक्फ बोर्ड के आला अधिकारी और मुतावली मिलकर भ्रष्टाचार करते है। अतः इन सभी की कार्य प्रणाली को प्रतिबंन्धीत करना आवश्यक है।.
अतः उपरोक्त सभी तथ्यों पर प्रकाश ड़ालने पर हमें पता चलता है कि वक्फ बोर्ड़ सरकार द्वारा बनाया गया एक कानून है जो अनियमित तरीके से कार्य करता है जिसके कारण यह चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि देखा जाये तो देश में धर्म के अलावा भी बहुत से मुद्दे जिस पर विचार करना चाहिए जिसके कारण हमारा देश अन्य देशों पर निर्भर करता है इन धार्मिक सम्पत्ति मेंसे खाली पड़ी जगहों पर नये रिसर्च सेंटर और स्कूल बनाये जा सकते है ताकि लोग पढ़ लिख सके और नये-नयी खोज या अविष्कार कर सकें ताकि बाहरी देशों पर हमारी निर्भरता कम हो सकें,वैसे आप का क्या कहना है हमें जरुर बतायें।.

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