प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में हम भारतीय लोकतंत्र को चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले तथा देश के महत्वपुर्ण अंग समाचार पत्र के इतिहास तथा आज़ादी की लड़ाई में इसके महत्व को समझेंगे।.इसके साथ ही देश में 29 जनवरी को समाचार दिवस मनाये जाने के पिछे के इतिहास पर प्रकाश ड़ालेंगे।.
समाचार पत्र का इतिहास
1557 में गोवा में पहली बार ईसाई मिशनरीयों द्वारा पहली किताब छापी गई थी।भारत में समाचार पत्र के प्रकाश का श्रेय पुर्तगालियों को जाता है। सोलहवी सदी में 1684 में पुर्तगालियों ने पहली बार भारत में प्रिटिंग प्रेस की स्थापना मुम्बई में करी थी।. इसके बाद 1766 में विलियम वोलटरी ने 1766 ई.आधुनिक भारतीय प्रेस की स्थापना करी।.मगर भारतीय अखबार अभी तक नही छापा था जो सिर्फ भारत के बारे में लिखता था। अतः 29 जनवरी 1780 को जेम्स आगस्टस हिकी ने पहला भारती अखबार बंगाल गजट प्रकाशित किया था।.यह अंग्रेज़ी भाषा में प्रकाशित होता था और एक साप्ताहिक अखबार था।.इसके बाद कलकत्ता केरियर और साहित्यिक मिरर नामक पत्रिकाएं बंगाल में प्रकाशित हुई।.अब अन्य राज्यों में अखबार प्रकाशित होने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ।.सर्वप्रथम मद्रास में मद्रास गजट प्रकाशित हुआ।.
इसके बाद बाम्बे का अखबार बाम्बे हेराल्ट और बाम्बे गजट प्रकाशित होना प्रारम्भ हुआ।.इन सभी के बाद राजा राममोहन राय ने 1818 में संवाद कौमुदी और मिरातुल समाचार पत्र प्रकाशित किया। आपको बताते चले कि मिरा तुल फारसी भाषा का अखबार है जिसकी स्थापना 1822 ई.हुई। इन दोनों अखबारों ने भारत में सामाजिक सुधार,धार्मिक समस्याओं तथा दार्शनिक विचार धारा से भारत कि जनता को अवगत कराया।.1859 ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अपना समाचार पत्र सोमप्रकाश का प्रकाशन किया।.1881 में आगरकर ने एक मराठा अखबार का प्रकाशन अंग्रेजी भाषा में करना बोम्बे में प्रारम्भ किया।.उपरोक्त सभी अखबार 20सवी सदी के समाचार पत्रों कि सूची में आते है जिन्होने स्वत्रंता संग्राम में अपना महत्वपुर्ण योगदान दिया मुख्य रुप से केसरी तथा मराठा समाचार पत्रों ने।.कुछ समय अंतराल के बाद इन दोनों समाचार पत्रों के प्रकाशन का कार्य भार बाल गंगाधर तिलक के हाथों मे चला गया।.
वर्नाक्युलर एक्ट का प्रकाशन 1878
1857 की क्रांति के बाद आज़ादी कि मुहिम क्रांतिकारियों नें बहुत तेज कर दी थी जिसमें भारतीय समाचार पत्रों का महत्वपुर्ण योगदान था। अतः अग्रेजों को भारतीय भा।षाओं का ज्ञान नही था जिसके कारण वे क्रांतिकारीयो कि गतिवलिधियों पर नज़र रखने में सक्षम नही हो पा रहे थे अतः ब्रिटीश सरकार द्वारा इस अधिनियम को 14 मार्च 1878 में लाया गया जिसके तहत भारतीयों भाषाओं में प्राकाशीत होने वाले सभी अखबारों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।.इस बीच मोतीलाल घोष ने अपनी बंगला पत्रीका अम्रतबाजार का नाम बदलकर अंग्रजी साप्ताहिक पत्रिका कर दिया।.इस कानून ने उस समयकाल के लगभग 600 से अधिक समाचार पत्रों को प्रभावित किया।.वर्नाकुलर को लार्ड रिपन ने 1882 में निरस्त कर दिया।.इस एक्ट के निरस्त होते ही भारतीय भारतीय भाषा में लिखे जाने वाले समाचार पत्रों के अंग्रेजी समाचार पत्रों के समान ही आज़ादी मिल गईं।.इसके बाद ब्रिटीश सरकार ने चार समाचार पत्र एजेंसीयों कि स्थापना की।. पहली 1860 में रायटर थी। दुसरी 1905 एसोसिएट प्रेस आप इण्डिया,तीसरी 1906 फ्री प्रेस न्यूज़ सर्विस,चौथी 1934 में यूनाइटेड़ प्रेस आप इण्डिया थी।.
1934 के समयकाल में ब्रिटीश सरकार द्वारा समाचार पत्र जगत को लेकर एक महत्वपुर्ण फैसला लिया गया।.इस समय काल तक ब्रिटीश सरकार द्वारा समाचार पत्रिका को लेकर किसी प्रकार का अधिनीयम नही बनाया था।इस समय तक जो समाचार पत्र ब्रिटीश सरकार के खिलाफ लिखता था उसे ब्रिटेन भेज दिया जाता था मगर भारतीयों के साथ ऐसा करना संभव न था अंत पत्रकारिता के लेकर नये अधिनीयम बनाये गयें।.जैसे समाचार पत्रों का पत्रेक्षण अधिनियम 1799,अनुज्ञाप्ति अधिनियम 1823,अनुज्ञाप्ति अधिनियम 1857,पंजीकरण अधिनियम 1867,देशी भाषा समाचार पत्र अधिनियम 1878,समाचार पत्र अधिनियम 1908,भारतीय समाचार पत्र अधिनियम 1910,भारतीय समाचार पत्र संकटकालीन शक्तियो का अधिनियम 1931,समाचार पत्र आपत्तिजनक विषय अधिनियम 1951 आदि।.चलें अब इन अधिनियमों के विस्तार से जानते है।.आधुनिक काल में स्वतंत्रता के बाद समाचार पत्रों ने लोगतंत्र चौथे स्तम्भ के रुप में कार्य किया। टाइम्स आप इण्ड़िया,दैनिक जागरण,हिदुंस्तान टाइम्स,और द हिंदू जैसे समाचार पत्रों ने पत्र कारिता के उच्च मानदंड स्थापित किये।.भारत में समाचरा पत्रों का विकास न केवल सूचना के प्रसार में महत्वपुर्ण रहा,बल्कि सामाजिक,राजनितिक बदलावों में भी अहम भूमिका निभाई।.
1.समाचार पत्रों का पत्रेक्षण अधिनियम 1799
इसे लार्ड वेलज़ली ने लागू किया था इस अधिनियम को लाने का मुख्य उद्देश्य फ्रांसीस आक्रमण के भय से भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लागू करना था।.इसके अलावा समाचार पत्र को प्रकाशन से पहले सरकार के सचिव के पास परिक्षण के लिए भेजना अनिवार्य था।.इसके साथ ही समाचार पत्र प्रकाशन में स्वामी,सम्पादक और मुद्रक का नाम अंकित करना अनिवार्य था।.
2.समाचार पत्र अनुर्ज्ञाप्त अधिनियम 1823
इस अधिनियम को लार्ड जान एडम द्वारा बनाया गया था।.इस अधिनियम का मु्ख्य उद्देश्य भारतीय प्रेस पर नियंत्रण रखना था ताकि वे ब्रिटीश सरकार की आलोचना न कर सकें।.इसके साथ ही सभी समाचार पत्रों को अपना प्रकाश कार्य करने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया।.इस कानून के तहत सरकार को किसी भी समाचार पत्र को बंद करने का अधिकार मिल गया था जब वे सरकार के खिलाफ लिखते हो तब।.इस अधिनियम को गवर्नर चार्ल्स मेटकाफ द्वारा निरस्त कर दिया गया था।.
3.अनुुज्ञाप्ती अधिनियम 1857
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य 1857 की क्रांति को रोकना था। जिसके तहत प्रेस और समाचार पत्रों पर कड़ा नियंत्रण लगा दिया गया ताकि लोग अंग्रेजों के खिलाफ हो रहे विद्रोह में शामिल न हो सको इसके अलावा अंग्रेजी सरकार के प्रति भारतीयों में फैल रहे असंतोष को रोकना भी सरकार का मु्ख्य लक्ष्य था।.
4.पंजीकरण अधिनियम 1867
यह अधिनियम समाचार पत्रों और पुस्तकों के पंजीकरण और प्रकाशन को नियंत्रित करता था। इस कानून के तहत हर समाचार पत्र को पंजीकरण करवाना अनिवार्य कर दिया गया था।.
5. देशी भाषा समाचार पत्र अधिनियम 1878
इस अधिनियम का मुख्य लक्ष्य भारतीय भाषा में प्राकाशीत होने वाले समाचार पत्रों पर नियंत्रण रखना था ताकि वे ब्रिटीश सरकार की आलोचना न कर सके।.इसके आलावा सरकार के पास किसी भी समाचार पत्र को सेंसर करने,जब्द करने और बंद करने का अधिकार था।.इस अधिनियम के तहत समाचार पत्र के प्रकाशकों को सरकार के आदेशों को पालन करना अनिवार्य था।.इस अधिनियम ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेस की स्वतंत्रता को गंभीर रुप से प्रभावित किया।.इस अधिनियम ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को और अधिक मजबूती दी।.इस अधिनियम ने भारतीय जनता में ब्रिटीश सरकार के खिलाफ असंतोष को बढ़ा दिया।.
6.समाचार पत्र अधिनियम 1908
इस अधिनियम के तहत राज्य सरकार को समाचार पत्र के संपादक व प्रकाशक को गिरफ्तार करने और उन पर मुकदमा चलाने का अधिकार मिला। यदि कोई समाचार पत्र सरकार के खिलाफ असंतोष जनक सामग्री प्रकाशीत करने का कार्य करता है तो इस अधिनियम के तहत दोषी पाये जाने पर संपादक और प्रकाशक को भारी जुर्माना और सजा का प्रवधान किया गया था।.इस अधिनियम ने भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता को गंभीर रुप से प्रभावित किया। इस अधिनियम के चलते पत्रकारों द्वारा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया।.
7. भारतीय समाचार पत्र अधिनियम 1910
इस अधिनियम के तहत प्रत्येक भारतीय समाचार पत्र के मालिको को 500 से 5000 रुपये तक कि जुर्माना राशि सरकार को जमा करनी होती थी।.जिसे सरकार किसी भी सरकारी उलंघन की स्थिती में जब्द कर लेती थी।.इस अधिनियम के तहत कस्टम और जांच अधिकारियों को संदिग्ध सामग्रियों को रोकने तथा जांच करने का अधिकार था और पुलिस को तलाशी लेने का अधिकार था।.इस अधिनियम को भारत में हत्या य अराजकता को उकसाने,सेना,नौसेना की वफादारी को प्रभावित करने,नस्लीय वर्ग और धार्मिक दुश्मनी को भड़काने तथा किसी स्थानीय शासक के प्रति घ्रणा अवमानवता फैलाने के प्रयासो के रुप में परिभाषित किया गया था।.
8. भारतीय समाचार पत्र संकटकालील शक्तियां
यह एक ऐसा अधिनियम था जिसने सविनय अवज्ञा अंदोलन को दौरान सरकार के अधिकारो को कमजोर करने वाले प्रकाशकों को दबाने की शक्ति सरकार को प्रदान करी।.यह अधिनियम मार्च 1930 में गांधी जी के नमक सत्याग्रह के प्रारम्भ होने के बाद पारित किया गया।.इस अधिनियम ने सराकार और प्रेस के बीच 9 साल की शांति अवधि को भंग कर दिया।.इस कानून ने प्रांतीय सरकार को सविनय अवज्ञ्या अंदोलन के प्रचार को दबाने कि शक्ति प्रदान की।.राजनितिक परिस्थितियों के आधार पर इस अधिनियम को अलग-अलग स्तर की गम्भीरता के साथ लागू किया गया।.इस अधिनियम के चलते 1910 में प्रेस अधिनियम की तुलना से अधिक लोगो पर मुकदमा चलाया गया।.इस कानून के चलते बंगाल,मुम्बई,कलकत्ता,मद्रास,पंजाब और यू.पी.के लगभग 1000 समाचार पत्र प्रभावित हुए। 1932 के अधिनियम के तहत इसे कानून को और विस्तार रुप प्रदान किया गया।.
9. प्रेस कांउसिल एक्ट 1978
इस अधिनियम के तहत प्रेस काउंसिल आफ इण्डिया कि स्थापना कि गई। जिसका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखना और पत्रकारिता के उच्च मानदण्डों को सुनिश्चत करना था।.
10. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
यह अधिनियम नागरिकों को सरकारी सूचनाओ तक पहुंच प्रदान करता है। जिससे सरकार और नागरिकों के बीच पार्दशिता और जवाब देही सुनिश्चीत होती है। पत्रकार इस अधिनियम का प्रयोग सूचनाओ को प्राप्त करने के लिए करते है।.
11.ड़िजीटल मिडीया और आई टी अधिनियम
ड़िजीटल मिडीया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सरकार ने इनके लिए भी दिशा-निर्देश जारी किये है।. इसमें आई टी अधिनियम 2000 और इसके तहत बनाये गए कानून शामिल है।. इन कानून और अधिनियम का उद्देश्य समाचार पत्रों और मीडिया की स्वतंत्रता बनाये रखना तथा उनकी जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करना है।.
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