9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: मनोरंजन ब्यापारी

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शनिवार, 31 अगस्त 2024

मनोरंजन ब्यापारी

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प्रस्तावना

आज के लेख में बंगाल के रहने वाले एक प्रसिध्द लेखक मनोरंजन व्यापारी के बारे में बात करने जा रहे है।.इस लेख के माध्यम से हम उनके जीवन संघर्ष तथा उनके साथ हुए सामाजिक भेदभाव तथा लेखक बनने से लेकर त्रिणमूल कांग्रेस यानि TMC पार्टी के विधायक बनने के सफर के बारे में चर्चा करेंगे।.इनकी कहानी इस लिये भी प्रेरणा दायक है क्योंकि अपने जीवन के प्रारम्भीक समय में राजनितिक उथल-पुथल और जातिगत भेदभाव होने के कारण भी इन्होंने हार नही मानी।.इनका मंदिर में प्रवेश वर्जीत,शुद्र जाति का होने के कारण इन्हें कयी बार नौकरी छोड़नी पड़ी।.1954 के समय काल में 2.5रुपये से लेकर 5 रुपये तक मजदूरी मिला करती थी।.अतः इतने पैसों में घर का खर्च चलाना बड़ा मुश्किल था वे स्वयं अपनी आटो बायोग्राफी में लिखते है कि कुत्ता जैसा जीवन था,हमारा मनुष्य होने के बावजूद हमारे साथ जानवरों जैसा व्यावहार किया जाता था।.

इसके साथ ही इनकी व्यंग्यात्मक टिप्पणी लेखकों के बीच काफी चर्चा में रही।.इन्होंने उन लेखकों का कड़ा विरोध किया जो अपनी रचनाओं चोरी-चमारी शब्द को प्रयोग करते थे तथा रचनाओं में निर्धन व्यक्ति की जाति शुद्र बताने पर विरोध किया।."इन्होंने कहा कि अगर कोई निर्धन है तो वह निर्धन ही है,इस बात से कोई फर्क नही पड़ना चाहिए उसकी जाति क्या है,क्योंकि इससे उसकी निर्धनता पर कोई फर्क नही पड़ता।."चोरी-चमारी शब्द का विरोध करते हुए इन्होने लिखा कि "यह शब्द चोरी-चकारी होना चाहिए न कि चोरी-चमारी क्योंकि यह शब्द पाठकों के मन में जातिगत भेदभाव प्रस्तुत करता है,जैसे पाठकों के मन में यह इस बात का सिधा संदेश जाता है कि अगर कोई गरीब है शुद्र जाति का है,चमार है,चाण्डाल है तो वह चोरी अवश्य करेगा।.इस प्रकार के लेखकों पर वे व्यंग्य करते हुए मनोरंजन ब्यापारी लिखते है कि "ये वो लेखक है जो बिना किसी संघर्ष के सफलता हासिल करना चाहते है,आखिर जिस व्यक्ति ने गरीबी या शुद्र का जीवन कभी जिया ही नही वे कैसे उनके बारे में लिख सकता है"ऐसे लेखकों के लिए मनोरंजन ब्यापरी व्यंग्यात्मक रूप में कहते है कि,अब आप रहने दीजिए हम स्वयं अपने बारे में लिख लेंगे।.

जीवन परिचय

 मनोरंजन ब्यापारी एक भारतीय मूल के बंगाली लेखक,सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ है।.इनका जन्म 1950-51का आसपास पूर्वी बंगाल और वर्तमान बंगला देश के फिरोजपुर में हुआ था।.इनका प्रारंभिक जीवन बहुत कठिनाईयों से बीता।.बंगला देश विभाजन के बाद ये अपने परिवार के साथ भारत आए तब वे मात्र 3 या 4 साल के रहे होंगे।.भारत में इनका प्रारंभिक जीवन शरणार्थी शिविर में बीता। हालांकि इनके साथ आए धनी परिवार के लोगो को सरकार द्वारा उनके स्वयं के घर बना कर दिए गए और गरीब वर्ग के लोगो को शिविरों में रखा गया।.इसके साथ ही शिविरों में रहने वाले लोगों को तमाम सरकारी सुविधाओं से वंचित रखा गया।.शिविर में कुछ दिन रहने के बाद इनके पिता जी ने मेहनत मजदूरी करना प्रारम्भ किया। यह 1953 का वो दौर था जब दिन भर की मजदूरी मात्र 5 रुपए हुआ करती थी इतने में परिवार का भरन पोषण कर पाना बड़ा मुश्किल था। दूसरी तरफ दिन भर खाली पेट मजदूरी करने से इनके पिता को गैस्टिक अल्सर नामक बीमारी हो गई।.बीमार होने के कारण वे दिन भर लेटे रहते थे। इनकी माता जी घरों में बर्तन मांजती थी। बदले में उन्हें 15 रुपया महीना मिला करता था।.अतः घर की खस्ता हालत को देखते हुए मनोरंजन ब्यापारी को रोजगार ढूंढना पड़ा।.मात्र 8 वर्ष की आयु में इन्होंने मजदूरी करना प्रारंभ किया। वे कभी चाय की तफ़री पर चाय बेचते तो कभी बर्तन धोते तो कभी बोझा ढोने का कार्य किया करते थे।.रोजगार की तलाश में इन्होंने ने दिल्ली,मुम्बई तथा चेन्नई जैसे शहरों की यात्रा भी की।.

जातिगत भेदभाव और जेल यात्रा

एक समय में अपनी अजीविका अर्जन के लिए इन्होंने एक उच्च वर्ग के परिवार में रसोईये के रुप नें कार्य किया।.अपने द्वारा अपने सहयोगी को स्वयं कि जाती शुद्र बताने पर इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।.इसी प्रकार अपनी रचनाओं के माध्यम से इन्होंने बताया कि उनका मंदिर में प्रवेश वर्जीत था, मंदिर के पिजारियों द्वारा यह दावा किया जाता था कि तुम्हारे मंदिर में प्रवेश से हमारे भगवान तुच्छ,नापाख य दूषित हो जायेंगे।.जबकि इन्ही ब्राह्म्णों द्वारा यह भी कहा जाता था कि समस्त संसार कि रचना ईश्वर ने कि है,तो मुझ शुद्र के छुने पर वे तुच्छ,नापाख या दूषित कैसे हो सकते है। अतः इन्हें समझ में आया कि यह जातिगत भेदभाव को बढ़ाने कि एक चाल है,ताकि उच्च वर्ग के लोग गरीब और निम्न जाति के लोगों पर अपनी शासन सत्ता स्थापित करके राज कर सकें।अपने साथ हो रहा जातिगत भेदभाव के चलते वे नक्सलवाड़ी आन्दोंलन से प्रभावित हुए।.अतः आन्दोलन में भाग लेने के कारण मात्र 17 साल कि उम्र में इन्हें जेल यात्रा करनी पड़ी।हालांकि जेल एक कैद थी मगर यहां पर उन्हे बाहरी दूनिया से बेहतर दूनिया देखने को मिली। जेल में बंद लोगों में किसी भी प्रकार का जातिगत भेदभाव देखने को नही मिलता था।.दूसरी तरफ जेल में उनकी भोजन कि समस्या समाप्त हो गयी थी जिसके कारण उन्हें अपने जीवन के अन्य पहलुओं पर विचार करने का मौका मिला।.

शिक्षा-दीक्षा

मनोरंजन ब्यापारी जी जीवन का यह पहलु हमें ज्यादा रोमांचित करता है।जहां बहोत से लोग 24 कि उम्र में शिक्षा ग्रहण करना छोड़ देते है वहीं इन्होंने 24 साल कि उम्र में शिक्षा ग्रहण करना प्रारम्भ किया वो भी जेल में।जेल के ही एक कैदी उनके गुरू बने।हालांकि कागज और कलम के आभाव में कुछ सिखना बड़ा कठिन था।.मगर अपने गुरु के आदेश पर किसी पेड़ कि एक लकड़ी उनकी कलम बन गयी तथा जेल का प्रांगण उनका स्लेट।.इस प्रकार इन्होने अपनी प्रारम्भीक शिक्षा ग्रहण की जिसमें जेल के शिक्षत कैदियों ने इनका सहयोग किया।.

लेखक बनने का सफर 

जेल से छुटने के बाद वे रिक्शा चालकर बनकर अपनी आजीविका कमाते थे।.जिजीविशा शब्द कि खोज ने उनकी मुलाकात महाश्वेता जी से करायी जो उस समय काल की जानीमानी लेखिका थीं।.रिक्शे में सवारी के रुप में बैठी महाश्वेता जी मनोरंजन ब्यापारी से काफी प्रभावित हुयीं।.अतः उन्होंने मनोरंजन जी को जुगांतर नामक पत्रीका में लेख लिखने का मौका दिया।.इस प्रकार इनका साहित्यीक करियर चल पड़ा।.मनोरंजन जी ने 12 उपन्यास और 100 से भी ज्यादा कहानियों और निबंधों कि रचना कि।.इनकी आत्मकथा Itibritty Chandal Jiban बहुत प्रसिद्ध हुयी।.

राजनीतिक जीवन

वर्ष 2021 में इन्हें पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बालागढ़ विधानसभा क्षेत्र से त्रिणमूल कांग्रेस के विधायक के रुप में चुने गये।.इनकी यह कहानी संघर्ष और सफलता कि मिसाल है जो हमें प्रेरित करती है कि कठिनाइयों के बावजूद भी हम अपने सपनों को साकार कर सकते है।.इसके साथ ही इन्हे 1.सुप्रभा मजुमदार सम्मान 2014,2.शरमीला घोष सम्रती साहित्यक सम्मान 2015 3.द हिन्दू साहित्यीक उपहार 2019,4.शक्ति भट्ट सम्मान 2022 5.जे.सी.बी.साहित्यीक सम्मान 2023 के सम्मानित किया जा चुका है।.

महत्वपुर्ण रचना


1. The Gun powder
यह एक थ्रीलर उपन्यास है जिसे मनोरंजन ब्यापारी द्वारा लिखा गया अपने जेल के दिनों के दौरान।. यह किताब सस्पेंसफुल और रहस्यमयी कहानी पर लिखी गयी है जो पठाकों को रोमाचिंत करती है।.यह किताब 1970 के दशक में नक्सलवाड़ी आन्दोंलन के दौरान लिखी गयी थी।.द गन पाउड़र कि कहानी 5 नक्सलीयों की जेल तोड़कर भागने की एक कोशिश है।.इन पांच नक्सलीयों कि टीम में से एक जेलर का मुखबीर है जो इनके द्वारा की गयी हर गतिवीधि की जानकारी जेलर को देता है परन्तु उन लोगों के साथ रहते-रहते उन लोगों कि समस्या और सरकार द्वारा उन पर किये अत्याचारों से प्रभावित हो कर उनके प्रति सवेंदना महसूस करने लगता है।.इस कहानी के माध्यम से हमें यह समझाया गया है कि किस प्रकार अभाव यानि Deprivation और अलगावादि सोच यानि Isolatian  इंसान की आदर्शवादी सोच को प्रभावित कर सकते है।.इस किताब को अर्नव सिन्हा ने इंग्लिश में टार्संलेट किया है।. अब तक इस किताब कि 733 कोपी बिक चुकी है।.

2. Itibrittte Chandal Jiban
इस किताब में लेखक मनोरंजन ब्यापारी ने अपने कठिन जीवन और अपने Traunmatic अनुभव को साझा किया है।.अपने बचपन की कठिन परिस्थितीयों को साझा करते हुए उन्होंने पश्चिमी बंगाल और डण्ड़करन्या के रिफ्युजी कैंप के जीवन का वर्णन किया है।.किताब में उन्होने अपने बचपन कि भूख और बाल्यावस्था में काम की तलाश में देशभर में स्वयं के भटकने के बारे में जिक्र किया है।.इसके साथ  ही सरकार के अत्याचारों से दूःखी होकर नक्सलाइट आन्दोंलन में शामिल होने एवं इसके पिछे के मुख्य कारण के बारे में बताया है।.उपरोक्त घटनाओं के बाद जेल में सजा काटने दौरान 24 साल की उम्र में अपने जीवन में आये महत्वपुर्ण परिवर्तन के बारे में लिखते है कि 24 साल की उम्र में इन्होने पढ़ना लिखना प्रारम्भ किया।.जेल में सजा काटने के ही दौरान ही इनकी मुलाकात इनके गुरु से हुई जिन्होने इ्न्हे पढ़ना-लिखना सिखाना प्रारम्भ किया।.इनकी इस किताब को सिप्रा मुखर्जी ने इग्लिश में ट्रासलेट किया है।.जेल से छुटने के बाद रोजगार के लिए बकरी चराने उसके बाद रिक्शा चलाने के बारे मे लिखा गया है।.किताब कि कहानी में रसोइये कि नौकरी के दौरान ब्राह्मण प्रमुख द्वारा स्वयं के साथ जघन्य यौन उत्पीड़न को व्यक्त किया गया है इसके साथ ही शुद्र जाति का जानने के बाद स्वयं के साथ हुए भेदभाव को विस्तार पुर्वक लिखा गया है।.आगे कि कहानी में निचली जाति का होने के कारण समारोह से बाहर निकालने और उनके भाई चित्ता के साथ राजनीतिक नेता अनिल,बिल्लु और बसाक के द्वारा झुठे मामले में फसा कर पिटने का जिक्र आता है।.
सोर्स- wikipedia,thehindu.com,gettyimges.com

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