9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: भारतीय वातानुकूलीन सिस्टम

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शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

भारतीय वातानुकूलीन सिस्टम

air-conditioning

 प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में हम भारत एवं अन्य देशों में प्रयोग होने वाले वातानुकूलीन air conditioner के बारे में चर्चा करेंगे इसके साथ ही हम यह देखेंगे कि वर्तमान समय में किस नयी तकनीक के माध्य से हम नये वातानुकूलीन उपकरणों को बना सकते है जो हमारे पर्यावरण को कम नुकसान य न के बराबर नुकसान पहुंचाते है।.इस संस्करण में हम Ice Battery Air Conditioner, Geo Thermal Air Conditioner, Ambiator, Asian Technic Air Conditioner जीसे Terracotta cooling system भी कहते है,आदि के बारे मेंं चर्चा करेंगे।. इसके साथ ही हम मोनिश सीरिपुरापू के बारे में चर्चा करेंगे जिन्होने इस भारतीय एयर कंडिश्नर को बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई हैं।.

Ice Battery Air conditioner

इस तकनीक का अविष्कार थर्मल ऊर्जा भण्डारण के लिए बर्फ का उपयोग करने कि प्रक्रिया है। इस तकनीक का इस्तेमाल करके कम बिजली खर्च पर पूरे घर को ठण्डा कर सकते है।.आइस बैटरी प्रोजेक्ट एक नये तरह का एनर्जी स्टोरेज करने का तरीका है।.इसका मुख्य उद्देश्य रेन्युवेबल ऊर्जा को संग्रहित करना और इसका इस्तेमाल करना है।.इस तरह के प्रोजेक्ट में बर्फ को ऊर्जा संग्रहण के लिए इस्तेमाल किया जाता है ताकि बिजली की खपत को कम किया जा सके।.इस प्रोजेक्ट में विद्युत उपकरणों कि मदत से बर्फ को जमाया जाता है,और जब बिजली कि डिमांड बढ़ जाती है तब ऊर्जा के रुप में प्रयोग किया जाता है। अतः ऐसा करने से  बिजली की डिमांड घट जाती है।. इस कुलींग प्रक्रिया का इस्तेमाल बिजली पैदा करने और घरो को ठण्डा करने के लिए किया जाता है।.

Outlet Part

यह पुर्णतः घरेलु ए0सी0 के कुलींग सिस्टम के समान ही होता है कुछ विशेष बदलावों के साथ।. इसके outlet भाग में ढ़ेर सारे कम्परेसर लगे होते है, इसके साथ ही पानी स्टोर करने वाला एक य आकार के हिसाब से कई सारे  स्टोरेज टैंकर को लगाया जाता है।. रात के समय मौसम ठण्डा होने पर सभी कम्प्रेसर को चालु कर दिया जाता है जो कि एक निश्चत समय अंतराल पर पानी को जमा देता है। पानी के जम जाने पर सभी कम्प्रेसर को बन्द कर दीया जाता है ताकि बिजली की बचत कि जा सके।.कंडेसर य टियूब में एक विशेष प्रकार कि गैस भरी जाती है जिसे हम R32 के नाम से जानते है ,जो कि गर्म और ठण्डे वातावरण के हिसाब से अपना तापमान बदलती रहती है अतः इस कन्डेसर (टियूब) को बर्फ वाले टैंकर में बिछाते हुए घर य आफिस  के inlet भाग में बिछाया जाता है।.

Inlet part

कंडेसर टियूब को बिछाने के बाद इसके बिछे एक पंखा लगाया जाता है ताकि हवा कंडेसर टियूब को छुते हुये वातावरण में प्रवेश करें।.अतः कंडेसर में प्रवाहित होने वाली गैस जब जमी हुई बर्फ के कटेंनर का चक्कर लगाकर घरों में लगे हुए कंडेसर में प्रवेश करती है तो वह ठण्डी हो चूकी होती है जिसको परिणामस्वरुप हम मात्र पंखा या ब्लोअर चला कर कमरे य उस विशेष एरिया का ठण्डा कर सकते है जिसे हम ठण्डा करना चाहते है। कमरे का तापमान को नियंत्रित करने के लिए हमें बस पंखे की स्पीड को नियंत्रित करना होता है।.

लाभ

  • इस तकनिक का इस्तेमाल करके बिजली बिल में कटौती की जा सकती है,क्योंकि एक सामान्य एयर कंडिश्नर कमरे को ठण्डा करने के लिए लगातार कम्प्रेसर को काम करना पड़ता है।.आईस बैटरी प्रोजेक्ट में सिर्फ बर्फ को जमाने तक ही कम्प्रेसर का इस्तेमाल किया जाता है और बाकि के 12 घण्टे इसे बंद कर दिया जाता है जिससे बिजली कि बचत होती है।.
  • सामान्य एयर कंडिश्नर  में कमरे को जल्दी ठण्डा करने के लिए कम्प्रेसर को और तेज़ी से काम करना पड़ता है जबकि आईस बैटरी एयर कंडिश्नर  मात्र पंखे कि स्पीड को बढ़ाकर के कमरा ठंडा किया जा सकता है।.
  • एक सामान्य  एयर कंडिश्नर  एक कमरे य एक हाल को ठंडा करने कि क्षमता रखता है, एक आईस बैटरी एयर कंडिश्नर  पुरे घर को ठंडा करने कि क्षमता रखता है,इसके साथ ही इसकी क्षमता बढ़ाने पर यह पुरे सिटी को ठंडा करने की क्षमता रखता है।.
  • वर्तमान समय में इस तकनिकी का इस्तेमाल शिकागो जैसे शहरों में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।.

हानी

  • यह आकार में बड़ा होने के कारण सामान्य एयर कन्डिश्नर की तुलना में तीन से चार गुणा अधिक मंहगा होता है।.
  • इसे इंस्टाल करवाने के लिए दो से तीन अनुभवी टेक्नीशियन की आवश्यकता होती है।.जबकि एक सामान्य एयर कन्डिश्नर लगवाने के लिए मात्र एक टेक्नीशियन से ही काम चल जाता है।.
  • सामान्य एयर कन्डिश्नर की अपेक्षा आईस बैटरी एयर कन्डिश्नर का मेटनेंस खर्च अधिक आता है।.
  • हालाकि यह कम बिजली की खपत करता है मगर इसमें प्रयोग होने वाली गैस हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है।.इसमें R 32 गैस का इस्तेमाल किया जाता है। जो हमारे पर्यावरण के लिए घातक है।.

Geothermal Air Conditioner

इस प्रकार के एयर कन्डिश्नर का इस्तेमाल ज्यादातर कनाडा,नोर्वे,अमेरिका,आदि देशों में किया जाता है।.मगर हाल ही के समय में भारतीय मूल की कम्पनी GIBSS ने इस प्रकार के प्रोजेक्ट पर काम करना प्रारम्भ किया है।.यह भी एक इको फ्रेडंली एयर कन्डिश्नर है जो हमारे घरों में बिजली की कटौती को 60 प्रतिशत तक कम करने की क्षमता रखता है।.यह एक सामान्य एयर कन्डिश्नर की तुलना में यह इसलिए खास है क्योंकि इसमें Outlet भाग कि अपेक्षा दोनों Inlet भाग ही होते है।. यह अपने कुलींग फैक्टर के लिए पुर्णतः वातावरण पर निर्भर रहता है।.यह समान्य एयर कन्डिश्नर से मंहगा और आईस बैटरी एयर कन्डिश्नर से सस्ता होता है।.इसकी मेंटनेंस लागत कम होती है जबकि इंस्टालेशन लागत अधिक होती है।.

वातावरण से सम्बन्ध

सामान्य तौर पर जब हम गर्मीयों के मौसम में जमीन से पानी निकालते है तो वह ठण्डा होता है, उसी प्रकार जब हम सर्दीयों के मौसम में जमीन के नीचे से पानी निकालते है तो वह गर्म होता है। धरती के इसी हिटींग और कूलींग फैक्टर का इस्तेमाल  एयर कन्डिश्नर के रुप में किया  जाता है।.सामान्य ऐसी साईकिल का इस्तेमाल यहां भी किया जाता है मगर कम्परेसर को उतनी मेहनती नही करनी पड़ती जितनी की एक सामान्य एयर कन्डिश्नर को करनी पड़ती है।. इस तकनीक नें कंडेसर य टियूब को जमीन के निचे बिछाया जाता है तथा दुसरा भाग कमरे में य उस Particular area लगाया जाता है जिसे ठण्डा करना होता है।.टियूब में डाली गयी गैस कम्परेस्र के कम्परेस करने पर अत्याधिक गर्म हो जाती है, धरती के आतंरिक वातावरण में जा कर ठण्डी हो जाती है। अब दुबारा इसे कमरे के इनलेट भाग में ले जाया जाता है यहां एक पंखे या ब्लोअर के आगे से गुजारी जाती है। जिसके परिणामस्वरुप पंखे को चलाने पर हमें ठण्डी हवा मिलती है।. यहाँ भी आईस बैटरी एयर कन्डिश्नर की तरह की पंखे की स्पीड़ को कंट्रोल करके इसके कुलींग सिस्टम को कंट्रोंल किया जा सकता है।.

लाभ

  • इस प्रकार का एयर कन्डिश्नर को लगाने पर  यह लगभग 15 से 20 साल तक आसानी चल सकता है।.
  • बिजली की बचत करता है, भारत में 5 स्टार रेटींग वाले  एयर कन्डिश्नर से भी 60 प्रतिशत कम बिजली खपत करता है।.
  • यह दो प्रकार के संस्करण में आते है पहला Open loop system दुसरा Closed loop system।.
  • पहला सस्कंरण यालि औपेन लूप सिस्टम ज्यादा उपयोग में नही लिया जाता क्योंकि यह पानी को दूषित करता है, दूसरा क्लोस्ड लुप सिस्टम अधिक पैमाने पर इस्तेमाल में लिया जाता है।.
  • क्लोस्ड लुप सिस्टम को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है। जैसे होरिजेंटल क्लोस्ड सिस्टम, वर्टीकल क्लोस्ड सिस्टम, कोइल क्लोस्ड सिस्टम।. मुख्य तौर पर इनका वर्गीकरण पाइप बिछाने कि प्रक्रिया के आधार पर किया गया है।.

GIBSS

इसका पुरा नाम ग्रिन इंडिया बिल्डिंग सिस्टम एण्ड सर्विसेज़ है। वर्तमान समय में यह कम्पनी जियोथर्मल एयर कन्डिश्नर को बनाने का कार्य करती है। इसकी भारत में स्थापना वर्ष 2010 में विनय कुमार गुप्ता के द्वारा कि गई है।.अपने शुरुआती दिनों में कम्पनी ने दो पयालट प्रोजेक्ट पर काम किया जो कि पुर्णतया सफल रहें है।.इनका पहला प्रोजेक्ट चण्डीगढ़ के पास मौहाली के इ्ण्डियन स्कूल आफ बिज़नेस के लिए किया गया था।.तथा दुसरा प्रोजेक्ट मुम्बई में किया गया था।.हालकि वर्तमान समय में कम्पनी कुछ खास लाभ नही कमा पा रही है मगर अपको बताते चले कि जियो थर्मल एयर कंडिश्नर का ग्लोबल मार्केट लगभग 9.5 मिलीयन डाॅलर का है यानि भारतीय रुपयों में लगभग 79 करोड़ का मार्केट है।.यानि वर्तमान समय में भारत में भी उम्मीद लगाई जा सकती है कि इसका मार्केट बढ़े।.

Asian Tech Air Conditioner

इस तकनिक को टेराकोटा तकनिकी भी कहा जाता है जिसे भारतीय  मूल के वैज्ञानिक मौनिश सिरीपुरुपू ने तथा उनकी सहयोगी टीम ने विकसीत किया है।. हालांकि श्री मौनिश ने इस तकनिकी को विस्तार रुप देने के लिए किसी भी प्रकार की कम्पनी को भारत में रजिस्टर नही किया है मगर अपनी खास युनिकनेस के कारण यह चर्चा का विषय है।.इसकी कार्य प्रणाली को समझने के लिए हमें इसकी बनावट को समझना होगा।.जोकि एक साधारण एवं सरल तरीके से कार्य करती है।.

1.सर्वप्रथम इसके निर्माण के लिए कच्ची मिट्टी कि नलकियों को बनाया जाता है जिनकी लम्बाई लगभग 1 फुट य उससे अधिक य कम हो सकती है आंतरिक छेद की चौड़ाई लगभग 10 से 12 य सेंटीमीटर से कम या अधिक हो सकती है।.अतः इन्हे आग में पकाने के बाद गोलाकार ढांचे में बिठाया जाता है।. इन्हें इस प्रकार से बिठाया जाता है कि ताकि हवां इनके छेद से आसानी से आ,जा सके।.2.इन सभी नलकियों को पानी से भिगोया जाता है य इन्हें हमेशा गिला रखने के लिए इनके ऊपर पानी कि पाईप लाइन पिछाई जाती है।.3.जब सारी मिट्टी की नलकियां पानी को सोख लेती है तो इनकी एक तरफ इसके आकार अनुसार बडे़ या छोटे पंखों को लगाया जाता है।.अब ठण्ड़ी नलकियों के सम्पर्क में आने से हवा ठण्ड़ी हो जाती है जिसके परिणाम स्वरुप हमें दुसरी तरफ ठण्ड़ी हवा मिलती है।.अतः इवेपोरेटर तकनीक के माध्यम से पुरे घर को ठण्डा किया जा सकता है।.

लाभ

  • यह ओज़ोन लेयर को किसी भी प्रकार का नुकसान नही पहुँचाता है।.
  • अन्य तकनिकी उपकरण जैसे कम्प्रेसर आदि के न होने के कारण यह सबसे अधिक बिजली की बचत करता है।.
  • किसी भी प्रकार कि गैस का इस्तेमाल न होने के कारण यह इकोफ्रेंडली है।
  • इसके मेंटनेंस का खर्चा ना के बराबर आता है।
  • यह किसी भी प्रकार का ध्वनि प्रदुषण नही करता।.
  • कम लागत तथा इकोफ्रेडंली होने के साथ-साथ कम बिजली की खपत करने के कारण यह एयर कंडीश्नर की श्रेणी में सबसे सर्वोच्चत्तम स्थान पर अपनी जगह बनाता है।.
वैसे दोस्तों भारत एवं विदेशी मुल्कों में कुछ ऐसे मुर्ख भी पाये जाते है जो अपना ज्यादातर जीवन शौ-आफ में बिताना पसन्द करते है ऐसे लोगों का कहिं कुछ नही हो सकता।.वे शायद इस तकनीक के महत्व को न समझें वैसे अगर आप समझते है तो हमारे इस लेख से ज़रुर लाभ उठाने का प्रयास करें।.

Monish Siripurapu

यह एक इंडियन इनोवेटर और इंतरोपिनोर है जिन्होंने इण्डिया का पहला इको-फ्रेंडली ए0सी0 बनाने का खिताब हासिल किया है।.इन्हे इनकी इस खोज तथा अन्य कार्यों सर्वजनिक कार्यों के चलते द बेस्ट इनिवेटर आवार्ड तथा ग्रिन इण्डिया आवार्ड मिल चुका है।. इन्होंने अपने मकैनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री (आर. वी. काॅलेज आफ कर्नाटक )से हासिल कि है।.इनका निवास स्थान कर्नाटका के बैंगलुरू में है।.आपको बताते चले कि श्री मोनिश को कृत्रिम एयर कंडिश्नर को बनाने का आइडिया मधुमक्खी के छत्ते को देख कर आया था।.

AMBIATOR

इस कम्पनी की स्थापना 2022 में टाइगर एस्टर और जीतेन देसाई द्वारा हैदराबाद में कि गई।. दोनों IIT के कुशल  इंजीनीयर है।.कम्पनी का मुख्यालय भारत के हैदराबाद शहर में है।.यह पर्यावरण सहयोगी एयर कंडीश्नर हैं इसलिए इसके बारे में भी जानना आवश्यक है।.

कार्य प्रणाली

इस कुलिंग सिस्टम में भी दो भाग होते है पहला आउट लेट दुसरी इनलेट भाग।. हालांकि इसमें कम्प्रेसर की जगह हीट एक्सचेंजर लगा होता है।.एम्बीयेटर का एक युनिट एक सममान्य 5 टन के ए0सी0 के बराबर होता है।.एम्बीयेटर का आउटलेट भाग बाहर की हवा को एक सेंसीबल हीट एक्सचेंजर के माध्यम से गुजाराता है जो हवा को ठंडा करता है पर हवा में बाहरी नमी को प्रवेश नही करने देता है।.इसके बाद हवा एम्बीयेटर के इनलेट भाग में जाती है जहाँ हवा को वाष्पीकरण कूलर के माध्यम से गुजारा जाता है यहां पानी के वाष्पीकरण द्वारा हवा और ठण्डी हो जाती है।. इस प्रक्रिया द्वारा हवा में नमी बढ़ जाती है और ठण्डक का प्रभाव भी बढ़ जाता है।.अतः यह हमारे कमरे या घर को ठंड पहुँचाने का कार्य पुर्ण करता है।.एम्बीयेटर में किसी भी प्रकार की रेफ्रीजरेंट या गैस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।.पुर्णतः पर्यावरण में विद्ममान हवा पर कार्य करता है।.इस प्रणाली में प्रयोग होने वाले उपकरण कुछ इस प्रकार है 1.सेंसीबल हीट एक्सचेंजर 2. वाष्पीकरण कूलर 3.फिल्टर - हवा में से धूल एवं अन्य कणों को हटाता है।4.पंखे- हवा को प्रसारित करने का कार्य करते है।.5.पानी की टंकी और पंप-वाष्पीकरण कूलर में पानी की आपूर्ति पुर्ण करने के लिए।.6.निंयत्रण प्रणाली-तापमान और नमी को नियंत्रीत करने के लिए।.इसकी कार्य क्षमता CFM यानि क्युबिक फीट प्रति मिनट में आंकी जाती है।.उदाहरण- HMX AMBIATOR 10k 10000 CFM, 20K 20000CFM,40K 40000CFM आदि।.

लाभ

1.बिजली की बचत करता है। 2. पर्यावरण उपयोगी है। 3.बढ़ींया सर्विस देता है यानि एक बार लगवाने पर 5 से 10 सालों तक की छुट्टी।.

हानी

माना कि कंपनी अच्छा काम कर रही है लेकिन पर्यावरण संरक्षण के लिए यह भी जरुरी है कि यह आम आदमी के बजट में आये। उदाहरण के लिए कम्पनी का सबसे कम बजट का प्रोजेक्ट एम्बीयेटर 5 TR लगभग 3 लाख रुपये का है, वहीं एक आम एयर कन्डीश्नर की कीमत तीस से चालीस हज़ार रुपये होती है ऐसे में कोई आम आदमी 6 गुणा कीमत देकर एम्बीयेटर क्यों लगवायेगा।.विदेशों में यह महंगे दामों में बिके तो ठीक है क्योंकि वे सक्षम है, मगर भारतीयों को यह कम दामों में मिलेगा तभी लाभ होगा क्योंकि भारत एक विकासशील देश होने के साथ-साथ दूनिया का सबसे बड़ा मार्केट भी है।.
सोर्स Wikipedia, geothermal.net, ecoideaz.com, f6.com,coolant.co, edition.cnn.com

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