9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: चन्देरी का युद्ध

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शनिवार, 8 जून 2024

चन्देरी का युद्ध

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प्रस्तावना

तथा प्रस्तुत लेख में हम चन्देरी के युद्ध तथा महारानी मणिमाला द्वारा किये गये जौहर के बारे में चर्चा करेंगे।.इसके साथ हि युद्ध के मुख्य कारण तथा चन्देल वंश के शासक राजा मदनीराय खंगार के बारे में चर्चा करने के साथ बाबर कि युद्ध रणनीति के बारे में चर्चा करेंगे।.

युद्ध का मुख्य कारण

चंदेरी का युद्ध29जनवरी1528ई0को मुगलों और राजपूतों के मध्य लड़ा गया था।.खानवा के युद्ध के बाद राजूतों कि शक्ति पुरी तरह से नष्ट हो चुकी थी।.अतः शेष बचे राजपूतों के खिलाफ चंदेरी का युद्ध लड़ा गया था।.युद्ध विशेष तौर पर ग्वालियर के किले को मुगलों द्वारा हथियाने के उद्देश्य से लड़ा गया था।.यह युद्ध चन्देल वंश के शासक राजा मेदनीराय खंगार तथा बाबर के मध्य चन्देरी रियासत के लिए लड़ा गया था।.प्रारम्भ में चन्देरी राज्य के महत्वपुर्ण किले कि मांग राजा से बाबर द्वारा कि गयी।.बाबर ने राजा को चन्देरी के किले के बदले में शमशाबाद का किला देने का प्रस्ताव रखा मगर राजा मदनीराय खंगार द्वारा प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया।.जिसके परिणामस्वरुप चन्देरी का युद्ध हुआ।.

चन्देरी का किला

यह मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में है। यह ललित पुर से लगभग 37 km, ईसागढ़ से 45 किमी और शिवपुरी से 127 किमी. चंदेरी किला चंदेरी किला बहुत ही सुंदर पहाडि़यों, झीलों और जंगलों से घिरा हुआ है। यह बेतवा नदी के दक्षिण-पश्चिम के क्षेत्र में अवस्थित है। महाभारत के समय काल में भी चंदेरी राज्य का उल्लेख मिलता है उस समय यहाँ का राजा शिशुपाल था। प्राचीन काल में यह मध्यभारत के व्यापार मार्गों से घिरा हुआ काफी महत्वपुर्ण स्थान रखता था यह गुजरात की प्राचीन बंदरगाहों के साथ ही मालवा, मेवाड़, मध्य भारत और दक्कन के मुख्य मार्गो के निकट था जिसके परिणामस्वरुप यह किसी शासक के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता था जिसके कारण बाबर इसके पिछे पड़ा हुआ था।.

युद्ध कि प्रमुख घटना

बाबर सेना द्वारा चन्देरी किले के पास पहुंचना काफी चुनौती पुर्ण था। दरअसल किला चारों तरफ से पहाड़ीयों से घिरा हुआ था जिसके कारण बाबर सेना के हाथी,तौंपों तथा सैनिकों को पहाड़ी से निचे उतरने में कठाई हो रही थी क्योंकि बाबर कि सेना का मुख्य हथियार उसके तोप गोले थे जिसने आगे चलकर चन्देरी किले का दरवाजा तोड़ने के साथ बाबर को युद्ध में विजय भी दिलाई थी।.अतः बाबर सेना ने कड़ी मेहनत के साथ रातों-रात पुरी पहाड़ी काट ड़ाली और सुबह अपने हाथी,घोड़े एवं तोप गोलों के साथ चन्देरी किले के समाने जा खड़ा हुआ।.राजा मेदनीराय ने बड़ी वीरता के साथ युद्ध लड़ा हलाकि वे जानते थे कि वे मुठी भर सैनिक बाबर कि विशाल सेना का समना नही कर पायेंगे इन सभी कारणों को जानने के बावजूद भी वे पिछे नही हटे।.अतः में उनकी हार हुई कुछ इतिहासकारों का मानना है कि बाबर द्वारा उन्हे रणभूमि में ही मार दिया गया था,मगर कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उन्हें अन्य राजपूत राजाओं को अपने समक्ष झुकाने के लिए बाबर द्वारा बंदी बना लिया गया था।.

जौहर कुण्ड़ की घटना

जब रानी को राजा के पराजय कि खबर मिली तो रानी मणिमाला1600से अधिक वीरांगनाओं एवं बच्चों के साथ मिलकर चौहर कुण्ड़ में कूदकर अपने प्राणों कि आहूती दे ड़ाली।.चंदेरी में हुआ ये जौहर भारतवर्ष का सबसे भयानक और सबसे बड़ा जौहर माना जाता है।.उनके साथ हि कुछ सैनिक जो किले में जीवित थे उन्होंने भी सामुहीक आत्महत्या कर के अपने प्राणों को त्याग दिया।.जौहर कि इस घटना ने बाबर की जीत की खुशी को भी कम कर दिया।.महिलाओं के इस सामुहिक आत्मदाह को देखकर बाबर पछताने लगा कि काश उसने चन्देरी पर आक्रमण न किया होता।.इस घटना की याद मे ग्वालियर घराने के राजपूतों ने रानी मणिमाला कि याद में सुप्रसिद्ध मणिमाला स्मारक का निर्माण करवाया।.चन्देरी के युद्ध के परिणामस्वरुप अन्य क्षेत्रों केराजपूतों ने बाबर के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।.जीस कारण वश उत्तरी भारत का एक बड़ा हिस्सा बाबर के आधीन हो गया।.

जौहर

पुराने जमाने में युद्ध में राजा कि हार होने पर विपक्ष या शत्रु राजा द्वारा स्त्रीयों का हरण किया जाता था तथा उनका शोषण किया जाता था जिससे बचने के लिए हारी हुई सल्तनत की रानी एवं स्त्रीयों द्वारा आग लगे कुएं में कुद कर आत्मदहा कर दिया जाता था जिसे चौहर कहा जाता है। इस जौहर शब्द में नारी आत्मसम्मान,त्याग,बलिदान,निष्कलंकता,नारी शौर्य की उद्दात भावना का समावेशन है क्योंकि स्वयं से अपने प्राणों को त्यागना वो भी अपने अत्मसम्मान के लिए हमारे भारतीय समाज के आत्मसम्मान की एक झलक है।अतः हम रानी मणिमाला को शत्-शत् नमन करते हैं।.

खूनी दरवाज़ा

राजा को मदिनीराय खंगार को हराने के बाद बाबर किले कि तरफ बढ़ा तथा भिषण नर संहार किया।।चारों तरफ लाशों का जमावड़ा लग गया।।किले का मुख्य द्वार तथा चन्देरी किले की धरती खून से लाल हो गयी।।वर्तमान समय में इसी दरवाज़े को खूनी दरवाज़े के नाम से सम्बोधित किया जाता है।

बेगम दिलबार का किले में आगमन

युद्ध के पश्चात् बेगम दिलबार जो कि बाबर कि चौथी बेगम थी। बाबर के साथ किले के उस स्थान पर आयीं जहां पर रानी मणिमाला ने1600वीरांगनाओं एवं छोटे बच्चों सहित जौहर किया था।1600से अधिक स्त्रीयों कि लाशों को जला देखकर बेगम दिलबार घबराहट से बेहोश हो गयी।.यह रानी मणिमाला तथा राजपूतों द्वारा किया गया बहुत बड़ा बलिदान था जिसे भविष्य में कभी भुलाया नही जा सकता।.

राजा मेदिनीराय खंगार

इनका जन्म चैत पूर्णिमा के दिन16वी शताब्दी में हुआ था ये चन्देल वंश के शासक थे तथा इनका कार्यकाल1661से1674ई0तक का था।.अपने प्रारम्भीक समय काल में मेदिनीराय ने मालवा के सुल्तान महमूद द्वितीय की सेवा की तथा अपने कार्य कौशल से महमूद द्वितीय को प्रशासन को मजबूती प्रदान कि।.मेदिनीराय खंगार कि काबलियत को देखते हुए सुल्तान ने उन्हे अपने दरबार के मंत्री पद पे नियुक्त कर दिय जीस के कारण अन्य दरबारियों को मेदिनीराय खंगार से ईर्ष्या होने लगी जिसके परिणामस्वरुप दरबारियों ने सूल्तान को मेदिनीराय के प्रति भडकाना प्रारम्भ किया।.अतः गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर शाह की सहायता से मेदिनीराय खंगार को उनके पद से हटा दिया गया।.अपने साथ हुये विश्वास घात का पता चलने पर मैदिनीराय ने चितौड़ के राजा राणा सांगा से मदत कि गुहार लगाई।.अतः दोनो राजाओं ने मिलकर मालवा और गुजरात सेनाओं को हराया और राणा सांगा के अधिपत्य के तहत मैदिनीराय खंगार मालवा और चन्देरी के राजा बना दिये गये।.राजपूत सेना द्वारा सुल्तान महमूद को पकड़कर राणा सांगा के समक्ष पेश किया गया अतः राजा के अदेश पर उसे कारागार में डाल दिया गया।.छः महिने के बाद सुल्तान पर राणा सांगा ने दयालुता दिखाते हुए चन्देरी के राजा कि समहती से उसे छोड़ दिया तथा उसका राज्य मालवा उसे वापिस लौटा दिया।.

दिल्ली शासन को झटका

चंदेरी पर राजपूतों का शासन देख दिल्ली शासन को बड़ा झटका लगा क्योंकि उन्होने राजपूतों से एसी उम्मीद नही की थी।.अतः इस प्रकार लोदी साम्राज्य और मेवाड़ साम्राज्य के बीच झड़पों कि श्रृंखला प्रारम्भ हुई जिसमें राणा सांगा का समर्थन मेदिनीराय खंगार ने बढ़ चढ़कर किया।.जिसके परिणामस्वरुप राणा सांगा का साम्राज्य विस्तार उस समय काल की पिलिया खार नदी तक फैल गया।.अतः1558में मेदिनी राय ने राणा सांगा की मृत्यु के बाद बाबर के साथ युद्ध लड़ा सिसमें उनकी हार हुई।.कुछ इतिहासकारों द्वारा यह दावा किया जाता है कि बाबर द्वारा उन्हे मार दिया गया था मगर कुछ इतिहासकारों का दावा है कि उन्हें बाबर द्वारा मारा नहीं गया था बंदी बनाया गया था ताकि अन्य राजपूतों को उनके माध्यम से अपने समक्ष झुकाया जा सकें।.
सोर्स-विकीपिडीया,नवभारत टाईम

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