9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: वीर यौद्धा रामलाल खोंखर (जाट)

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शुक्रवार, 31 मई 2024

वीर यौद्धा रामलाल खोंखर (जाट)

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प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में हम वीर यौद्धा रामलाल खोखर के जीवन परिचय एवं खोखर समुदाय के इतिहास पर प्रकाश ड़ालेंगे। इसके साथ हि हम मोहम्मद गोरी कि मृत्यु किसने कि इस तथ्य पर प्रकाश डालने कि कोशिश करेंगे।.क्योंकि ज्यादातर इतिहासकारों को लगता है कि मुहम्मद गौरी कि हत्या पृथ्वीराज चौहान द्वारा की गयी थी जो कि पूर्ण सत्य नही है।अतः लेख में जाट समुदाय खोखर गौत्र के महत्वपुर्ण योगदान तथा इनके अलग-अलग देशों में अलग-अलग धर्म के होने के पिछे के कारण पर प्रकाश डालेंगे।.

खोखर समुदाय का इतिहास

यह भारत के पंजाब क्षेत्र का एक राजपुत समुदाय है जो कि भारत में वर्तमान समय में और पाकिस्तान के पंजाब और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वास करता है।.भारतीय मूल के खोखर आमतौर पर हिन्दू और सिख होते है,वहीं पाकिस्तानी क्षेत्र के खोखर मुस्लिम समुदाय के होते है। मुस्लिम खोखर को हिंदू जाट और राजपूत समुदायों से धर्म परिवर्तित किया हुआ माना जाता है।.स्रोत- मध्यकाल के फ़ारसी इतिहासकार फ़िरिशता ने खोखर समुदाय के लोगों को (धर्म और नैतिकता विहिन बर्बर जाति कहा है।खोखरों ने मुहम्मद गौरी के खिलाफ विद्रोह किया था 1206 में गोरी ने इस विद्रोह का बडी निर्दयता से दमन कर दिया था जिसके पश्चात गजनी वापिस लौटते समय कोह नामक क्षेत्र के धम्यक नामक स्थान पर खोखर समुदाय के लोगो ने मोहम्मद गोरी पर हमला कर दिया और उसकी गर्दन काट दी थी जिसके परिणामस्वरुप उसका पुरा साम्राज्य ध्वस्त हो गया।.
भारत में खोखर समुदाय के दो अलग-अलग जातियां पायी जाती है। कुतुबशाह ने एक हिंदु राजा की लड़की से विवाह किया जिसके कारण उनकी वंश परंपरा के लोग कुतुबशाही खोखर के रुप में जाने जाते है।.दूसरे खोखर दिल्ली के करीब हिन्दू राजपुत घराने के जाट थे।.इस प्रकार खोखर समुदाय राजपुत खोखर और कुतुबशाही खोखर दो अलग जातियों में विभाजित हो गया। ऐतीहासिक  प्रमाणों के तहत पंजाब के खोखर जाटों के दिल्ली के तोमर जाट से वैवाहिक सम्बंध रहे।. सर्वप्रथम जाट समुदाय ने कश्मीर कि झेलम नदी के किनारे अपने राज्य की स्थापना कि।.मोहम्मद गोरी ने जब पृथ्वीराज चौहान को मारकर दिल्ली पर कब्जा कर लिया तब खोखर एवं जाट के पूरे समुदाय ने मोहम्मद गोरी के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया।.क्योंकि दिल्ली पर कब्जा करने के बाद मोहम्मद गोरी ने भारतीयो पर अत्याचार और शोषण करना प्रारम्भ कर दिया था।.1205-06 के समय काल में खोखर जाटों ने लाहौर पर कब्जा कर लिया था तथा पंजाब का शासक बनने कि घोषणा कर दी थी।.सन् 1206 में मोहम्मग गोरी एक बार फिर भारत आया।.

वीर योद्धा रामलाल खोखर

अतः युद्ध क्षेत्र में दिल्ली के खोखरो को हराने के बाद मोहम्मद गोरी लहौर से गजनी वापिस जा रहा था।.तब दिनांक 15 मार्च 1206 ई0 को लाहौर के धम्यक नामक स्थान पर मुल्तान के 25000 खोखर जाटों ने एवं उनके वीर योद्धा रामलाल खोखर ने मोहम्मद गोरी की सेना पर धावा बोल दिया काफी लूटपाट मचाने के बाद रामलाल खोखर ने मोहम्मद गोरी की गर्दन काट दी।.उसके मरते ही मोहम्मद गोरी का साम्राज्य इस प्रकार से अस्त हुआ जैसे कि किसी जादूगर ने चमत्कार कर दिया हो।.बिजोलिया शिलालेख से यह प्रमाण मिलते है कि खोखर के जाटों ने गोरी  के शासन खिलाफ अपने प्रत्येक क्षेत्रों से बगावत करना प्रारम्भ कर दिया था।.रामलाल खोखर का जन्म भारत के हरियाणा जिले के बलाली गाँव में हुआ था उनके पिता का नाम श्री रामसिंह खोखर था तथा माता का नाम श्री मती हंसा खोखर था।.रामलाल खोखर के चार बच्चे थे जिनमें से दो बेटियां और दो बेटे थे।.

मोहम्मद गोरी 

30 अप्रैल 1030 ई0 में महमूद गजनवी की मृत्यु के बाद गज़नी और हिरात के  बिच गौर नामक स्थान पर एक नवीन शक्ति का उदय होना प्रारम्भ हुआ। इस समय इस क्षेत्र का शासक अलाउद्दीन गोरी था जिसने गौर जनपद कि वृद्धि करने के लिए गजनी साम्राज्य का वैभव नष्ट कर दिया।. अतः इसकी मृत्यु के बाद गजनी का शासक अलाउद्दीन गोरी बना जीसे हम मोहम्मद गोरी के नाम से भी जानते है इसी का छोटा भाई गयासुद्दीन गोरी 'गौर' का शासक बना। 1175 से लेकर 1206 ई0 तक मोहम्मद गोरी ने भारत पर कई आक्रमण किये।.1175 को समय काल में पृथ्वीराज चौहान का शासन काल दिल्ली और अजमेर पर था तथा कन्नौज पर राजा जयचन्द का शासन था। यहां शासन कर पर पाना गौरी के लिए मुश्किल था जिसके परिणामस्वरुप गोरी ने इस्माइल कबीले के मुस्लमानों को हराकर मुल्तान पर अपना अधिपत्य स्थापित किया।.इसके बाद गोरी ने कच्छ के राजपुतों को धोखे से जीत लिया।.गोरी ने लहौर को न जीत पाने के कारण उसने खुसरो मलिक से संधि कर ली औज गजनी वापिस लौट गया।.
गोरी के चले जाने के बाद खोखर जाटों की सहायता से खुसरो मलिक ने सियालकोट के दुर्ग को अपने कब्जे में ले लिया।.
अतः दूबारा भारत आकर गोरी ने लहौर पर हमला किया 1186 में गोरी ने खुसरो मलिक को युद्ध मे हराकर उसकी हत्या कर दी जीसके परिणामस्वरुप सुबुक्तगीन वंश का अंत हो गया।.अतः गोरी ने लहौर पर अपना शासन स्थापित किया।.1191 में तराइन का पहला युद्ध हुआ जिसमें पृथ्वीराज चौहान तथा मोहम्मद गोरी आमने सामने थे। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान का समर्थन उनके बहलोई तथा चितौड़ नरेश माहाराजा समर सिंह ने किया।.युद्ध में पृथ्वीराज कि जीत हुई।.लेखक पृथ्वाराज रासो के लेखक चद्रंबरदाई के अनुसार पृथ्वीराज चौहान ने ही मोहम्मद गोरी को मारा था।.जोकि पुर्णतः सच नही है जिसको फिर से देखने ही जरुरत है।.
हालाकि पृथ्वीराज की सेना में उनका प्रधानमंत्री कैमास दाहिमा गौत्र के जाट को बनाया था इन्ही के दूसरे जाट भाई ने चौहान राजा कि तरफ से लाहौर की रक्षा कि थी तीसरे भाई ने चौयन्दराय खहिमा जाट ने सहाबूद्दीन गौरी के साथ भिषण युद्ध लडा।.ऐसा उस समय काल के मुस्लिम इतिहासकारों ने लिखा जिसका प्रमाणन लेखक योगेन्द्र पाल शास्त्री ने एकत्र किया।.अतः इस युद्ध में गोरी कि हार हुई।.1192 में तराइन का दूसरा युद्ध हुआ जिसमें पृथ्वीराज की हार हुई और उन्हें बन्दी बना लिया गया। उन्हे प्रताडित करने के लिए उनकी आँखे निकाल ली गयी।.मगर तीन अंदाजी का अदभुत कौशल दिखाते हुये पृथ्वीराज ने गोरी के दरबार में ही उसकी जान ले ली।.ऐसा कहा जाता है कथा अनुसार मगर यह पुर्ण सच नही है।.

मोहम्मद गोरी की जान किसने ली

लेखक चंद्रबरदायी के अनुसार गोरी की जान पृथ्वीराज ने ली मगर जाटों के इतिहास प्रमाणन के अनुसार पृथ्वीराज कि जान लेने के बाद मोहम्मद गोरी ने कन्नौज के राजा जयचन्द्र पर आक्रमण किया जिसके परिणामस्वरुप उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के चन्द्रावर नामक स्थाप पर यह युद्ध सम्पन्न हुआ जिसमें गोरी कि जीत हुई। युद्ध के पश्चात कन्नौज और बनारस के लगभग 200 मंदिरो को गोरी ने तुडवा कर सभी सम्पत्ति को लुट लिया।.लूटीगई आपार धनराशि को 4000 ऊंटो पर लादा कर और लाखों हिन्दू गुलाम को लेकर गौरी गजनी जाने के लिए लाहौर चला गया।.इतिहासीक प्रमाण लेखक मिश्र बंधु के अनुसार मुहम्मद गोरी का राज्य पश्चिमी खुरासन,सीस्तान,पूर्व में बंगाल,उत्तर में तुर्किस्तान,दक्षिण में बलोचिस्तान तक फैला हुआ था। इतिहासकारों के अनुसार इसमें कबूल,कन्धार,गजनी,हिरात,आदि क्षेत्र शामिल थे। 1205में गोरी ने मध्य एशिया पर आक्रमण किया। 

अतः उसे हार का सामना करना पड़ा।.जिसके बाद से मोहम्मद गोरी के खिलाफ सभी क्षेत्रो के राज्पालों विरोध करना प्रारम्भ किया।.जिसके परिणामस्वरुप खोखर जाटों ने लाहौर पर अपना अधिकार स्थापित किया और पंजाब पर अपने शासन को स्थापित करने की घोषणा कर दी।.अतः इस विद्रोह के दबाने के लिए 1205 में ही मोहम्मद गोरी भारत आया।.वे विद्रोह दबाने में सफल भी रहा गजनी वापिसी के दौरान धम्यक नामक स्थान पर खोखर समुदाय के 25000 सैनिकों ने गोरी की सेना पर हमला बोल दिया। अतः 15 मार्च 1205 में गजनी का सिर खोखर सेना के सरदार रामलाल खोखर ने काट दिया और 1206 में गुलाम वंश के कुतुबुद्दीन एबक देहाली साम्राज्य का शासक बना।.

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