प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में हम हाल ही में पाये गये विशाल काय सांप के मिले जीवाश्म के बारे में चर्चा करेंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार यह पृथ्वी का सबसे बड़ा विशाल काय साँप था। भारत में पाये जाने के कारण इसे पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान के शिव के गले में पाये जाने वासुकी नाग का वंशज कहा गया है। जिसके आधार पर भारतीय वैज्ञानिकों ने इसका नाम वासुकी इंडिकस रखा है।चर्चा का विषय-हाल ही में गुजरात के कच्छ के क्षेत्र में विद्मान कोयला खदान से एक विशाल सांप के जीवाश्म निकाले गये थे। प्रारंभ में इसे मगरमच्छ का जीवाश्म समझा गया।मगर अध्ययन करने पर पता लगाया गया कि यह एक सांप के जीवाश्म है जो कि आज से लगभग 4 लाख वर्ष पूर्व धरती पर दलदली क्षेत्र में पाये जाते थे।और जिनका वजन 1000 के.जी.एवं लम्बाई 50फुट के लगभग अनुमानित कि सकती है।अपने जीवन काल के दौरान यह जहरीले सांपो कि श्रेणी में नही आते थे।वे अजगर के समान धीमि गति से चलते थे तथा भोजन में कच्छुआ,वेल तथा अन्य जीवों को खाते थे।.
IIT रुड़की
इस जीवाश्म की खोज IIT रुड़की के जीवाश्म विज्ञान विभाग के अध्यायन एवं खोजकर्ता प्रोफेसर सुनील वाजपेयी ने 2005 की थी।मगर कुछ समय बाद उनके सेवानिवृत होने के कारण इस जीवाश्म पर शोध का कार्य ठण्डे कुएं में पड़ गया।2022 तक इस जीवाश्म पर किसी भी प्रकार कि जांच या शोध नही हो पाया।2022 में जब देवजीत दत्त ने अपना कार्यभार संभाला तो इस पर शोध करना प्रारम्भ किया जिसके परिणामस्वरुप उपरोक्त नतीजे सामने आये।वैज्ञानिकों के बयान के अनुसार जीवाश्म के 27 हिस्सो को हि खोजा गया है।सांप के मुख कि प्राप्ती अभी नही हो पायी है। वैज्ञानिकों ने सांप कि तुलना कोलंबिया में पायी जाने वाली सांप की प्रजाती टाइटनोबोआ से करते हुए बताया कि इस सांप का आकार टाइटनोबोआ कितना हो सकता है मगर उससे बड़ा नही।शुरुआत में इस जीवाश्म की तुलना मगरमच्छ के जीवाश्म से की गई मगर जांच के दौरान पता चला कि यह एक विशाल काय सांप का जीवाश्म है।खास बात यह है कि इसे सांपो कि (मैडसाइड़) प्रजाति के अंतरगत रखा गया है।पुरे विश्व के सांपो को 6 विशेष सांपो कि सूची के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।.
Nature पत्रीका कि रिपोर्ट के अनुसार
नेचर पत्रिका में प्रकाशीत लेख के अनुसार वासुकि नाग प्रजाति का जन्म मूल रुप से भारत में ही हुआ है। इन्हे गोडवाना सांपो की श्रेणी में रखा गया है।ये सांप भोजन में कछुए,मगरमच्छ आदि जिवों को खाता रहा होगा।यह सांप प्रजाती 12000 साल वर्षो पूर्व विलूप्त हो गयी। वैज्ञानिकों के अनुसार इस सांप का जन्म आदिनूतन युग Eocene युग में हुआ रहा होगा।ये लगभग 27 डिग्री तापमान मे पनपते होंगे।.वासुकी नाग और हिन्दु धर्म भारतीय मान्यता के अनुसार इसे भगवान शिव गले में पाये जाने वाले वासूकी नाग से इसकी तुलना कि जा रही है।जो कि एक मान्यताओं के अनुसार एक विशैला सांप है।जबकि वैज्ञानिकों के अनुसार इस सांप में किसी तरह के विष न होने के प्रमाण दिये है।वासुकी नाग को पौराणिक कथाओं के अनुसार मेरु पर्वत पर लपेट कर समुद्र मंथन किया गया था। जिसके चलते उनका सम्पुर्ण शरीर लहुलूहान हो गया था उनके समर्पण कि भावना को देखकर भगवान शिव नें उन्हे अपने गले में धारण किया।एक विचार यह भि है कि सांप जैसे विरोधी भासी प्रवृति के जीव को अपने गले में धारण करने के समाज के हि दुर्जन व बूरे कार्य करने वाले व्यक्ति के अच्छे कर्मो से प्रभावित होकर भगवान शिव उसे भी क्षमा कर देते है और उस पर अपनी कृपा करते है।.
नागदेव कि पुजा सम्बधीत विशेषता
भारत में नागदेव के पूजन का विशेष महत्व है। वासुकि नाग को भगवान शिव का अनुग्रह माना जाता है और उनकी पूजा करने से विभिन्न धार्मिक और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। वासुकि नाग का मन्दिर जम्मु-कश्मीर मे डोडा जीले के भद्रवाह क्षेत्र में अवस्थित है।इनकी पत्नी शीतशीर्षा थी और वे माहर्षि काश्यप के पुत्र थे और इनकी माता का नाम कुद्रु था।1.उपासना का मार्ग वासुकि नाग की पूजा में नियमितता बहुत महत्वपूर्ण है।भक्त विशेष तिथियों पर व्रत रखते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा करते हैं।
2.मंत्र और स्तोत्र वासुकि नाग के लिए विशेष मंत्र और स्तोत्र होते हैं जो उनकी पूजा के समय उच्चारित किए जाते हैं।3.दान और सेवा भक्त नागदेव को दान और सेवा करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।4.धार्मिक उत्सव नागदेव जयंती और नाग पंचमी जैसे धार्मिक उत्सवों में भक्त उनकी पूजा करते हैं।5.धार्मिक अर्चना नाग की पूजा में नाग मूर्तियों का अर्चना और उनके सामने धूप,दीप,फूल आदि चढ़ाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है।6.धार्मिक आधार नागदेव की पूजा में धार्मिक आधार होता है और भक्त उन्हें अपने जीवन में समाहित करते हैं। नाग की पूजा सम्बन्धी विशेषताओं को समझकर भक्त उनकी आराधना में लगे रहते हैं और अपने धार्मिक और आर्थिक जीवन में समृद्धि प्राप्त करते हैं।
भारत में नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार है। यह पर्व हिन्दू धर्म में भगवान शिव के भक्तों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 1.नाग प्रतीति इस दिन भगवान शिव को नाग प्रतीति के रूप में पूजा जाता है। नाग पंचमी को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि भगवान शिव को नागों का राजा माना जाता है।2.नाग पूजा इस दिन नागों की पूजा की जाती है। लोग नागों को दूध,दही,जल,बेलपत्र,सिन्दूर,मिठाई,और फूल चढ़ाकर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।3.धार्मिक मान्यता नाग पंचमी को धार्मिक मान्यता में बड़ा ही महत्व है। इस दिन नागों की पूजा करके भक्त अपने जीवन में सुख,समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते हैं।
4.समाजिक उत्सव नाग पंचमी को समाज में एक सामाजिक उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। लोग इस दिन विशेष तौर पर नाग मंदिरों में जाते हैं और पूजा करते हैं।5.कृतज्ञता का प्रकटीकरण नाग पंचमी को नागों की कृतज्ञता का प्रकटीकरण के रूप में भी माना जाता है। लोग उनके द्वारा प्राप्त लाभ के लिए उन्हें पूजा और अर्चना करते हैं।नाग पंचमी का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक है और इसे धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।
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