9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: तैनाली रामा

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बुधवार, 10 अप्रैल 2024

तैनाली रामा

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प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में हम तेनाली रामाकृष्ण के जीवन तथा उनके द्वारा किये गये कार्यो पर प्रकाश डालेंगे। इसके साथ ही हम उनकी बारे में प्रचलित कहानी एंव उनकी मृत्यु के कारण पर भी प्रकाश डालेंगे।

तेनाली रामाकृष्ण

तेनाली रामाकृष्णा एक विदूषक चारों वेदो में पारंगत तथा विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेवराज के दरबार में सलहाकार एंव राजपुरोहित थे। बचपन से ही जातिगत भेदभाव,अंधविशवास तथा अंडम्बरों के खिलाफ थे।.वे सदैव अपनी बातों को प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत करते थे।.अपने कहे वचनो पर अडीग रहने एंव बातों को प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत करने के कारण उनके बहोत से दुश्मन थे जो उन्हे सदैव निचा दिखाने का प्रयत्न करते रहते थे।.

जीवन परिचय

जीवन के प्रारम्भिक समय मे इनका नाम तैनाली रामलिंग था बहोत से लोग इन्हें तैनाली रमन के नाम से भी जानते है।.तैनाली रामालिंगा नाम इनके शैव धर्म के उपासक इनके पिता के गरालपति रामैया के यहां जन्म लेने का कारण पडा।.श्री गरालपति रामैया तेनाली नगर के रामलिंगेस्वर स्वामी मंदिर के पुजारी अथवा पुरोहित थे।.इनका पुरा नाम तेनालीरामा लिंगाचार्युलु था। इनके पिता इनकी बाल्यावस्था में काफी निर्धन थे,जिसके चलते इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पुर्ण नही हो पायी।.परन्तु ज्ञान अर्जन कि लालसा से इन्हे एक प्रकाण्ड विद्वान बना दिया।.तेनाली रमन जातिगत भेदभाव से बहोत दुःखी थे। सर्वप्रथम जातिगत भेदभाव से इनका सामना तब हुआ जब इनकी बाल्यवस्था में इनके पिता के देहांत के बाद इनकी माता लक्षमा तेनाली इन्हे लेकर अपने भाई के घर गईं। जहां शैव होने के नाते कोई भी वैष्णव विद्वान इन्हे अपना शिष्य बनाने के लिए तैयार न था।.

बचपन से ही वे माँ काली के उपासक थें। इनकी माता ने स्वयं से इनकी प्रारम्भिक शिक्षा सम्पन्न कराई।.1509-1529 के समयकाल के दौरान वे विजयनगर साम्राराज्य का राजा कृष्णदेवराय के दरबार में सलाहकार एवं राजपुरोहित के रुप में कार्यभार संभाला।.राजा के ही राजपुरोहित तथाचार्य एवं इनके 2शिष्य धनीचार्य तथा मनीचार्य इनको स्वयं को अपना शत्रु मानते थे,दरअसल शत्रुता का मुख्य कारण इनकी विद्वता तथा अनैतिक अंधविशवास और अंडम्बरो को न मानना था।.अतः तथाचार्य सदीयों से चली आ रही परम्परों का पक्ष लेते थे।.

अंधविशवास से सम्बधित कथा

एक बार विजय नगर के राजा कि दादी माँ का निधन हो गया था। राजवैद ने उन्हे उपचार के दौरान मिठा खाने से मना किया था मगर दादी माँ की आम खाने कि इच्छा थी। परन्तु राजवैद के आदेशा अनुसार उन्हे आम खाने को नही दिया गया अन्त में उनका निधन हो गया।.उनके निधन के बाद राजा ने राजसभा में दादी माँ के आम खाने कि चेष्ठा के बारे मेें राज्यसभा में विराजमान विद्वानो को बताया।.जिसपे उनके पुरोहित तथाचार्य बोले कि माहाराज आप तनिक भी दिल छोटा न करें और 100 ब्राह्म्णों को बुला कर उन्हे सोने का आम दान में दे।.

जिससे आप की माँ को स्वर्ग में आम कि प्राप्ति हो जायेगी।.अतः सभी पुरोहित ब्राह्मण तथाचार्य की बातों से बहोत प्रसन्न थे क्योकि उनकी चतुराई से सभी को सोने का आम जो मिलने वाला था। जिसके परिणामस्वरुप सभी ने उनका समर्थन किया।.परन्तु तैनाली रामाकृष्णा ने उनका विरोध किया कि भला ऐसे कैसे हो सकता है कि ब्राहम्णों को सोने का आम देने से स्वर्ग में राजा कि दादी माँ को आम प्राप्ति होगी।.परन्तु उस समय उनकी बातों का समर्थन किसी ने नही किया। अकेले अपनी बात रखने एवं किसी का समर्थन न मिलने कारण तैनाली रामाकृष्णा को काफी लज्जीत होना पड़ा। उन्हे मुर्ख प्रमाणिक करते हुए शांत करा दिया गया।.

कुछ समय के पश्चात तैनाली रामाकृष्णा कि नानी माँ गुजर गयी।.तैनाली रामाकृष्णा ने राजा के समान ही 100 ब्राह्मणों को अपने घर अमंत्रित किया।.ब्राहम्णों ने विचार किया कि आखिर रामाकृष्णा हमारी बात मान हि गये।.जिसके परिणामस्वरुप कुछ दान दक्षिणा देने के लिए ही हमें अपने घर बुलाया हैं। अतः तैनाली रामाकृष्णा के घर पहुंचने पर उन सभी के बडे सम्मान के साथ एक कमरे बिठाया गया।.उन्हे लगा कि दान दक्षिणा का कार्यक्रम उनके आते ही जल्द ही प्रारम्भ होगा।.तभी तैनाली रामाकृष्णा कमरे में एक डण्डा लेकर प्रवेश करते है और सभी ब्राह्मणों के घुटने को खुब पिटते है और जो भाग रहे थे उन्हे दुबारा पकड़ कर पिटा जाता है।.अतः घटना का वृतांत राजा के पास पहुंचता है। सभी ब्राह्मणोंं ने तैनाली रामाकृष्णा को दोषी करार देते हुए राजा से कहा है कि तैनाली ने हमें घर बुलाकर हमारा अपमान किया हैं। अतः उन्हे इस अपमान कि कडी से कडी सजा मिलनी चाहिए।.

मालले कि गम्भीरता को समझते हुए तैनाली उस दिन राजदरबार मे नही गये थे अतः राजा द्वारा सदेंश वाहक भेजकर उन्हे बुलाया गया।.जिसके परिणांंम स्वरुप वे दरबार में उपस्थित हुए राजा ने क्रोध में आकर उनके द्वारा किये गये दुस्साहस का कारण पुछा।.तब तैनाली रामाकृष्ण बोले माहाराज मेरी नानी माँ के घुटनोंं बहोत दर्द था अपने अंतिम समय में वे कहती रही कोई इन घुटनों को डंडा लेकर पिट देता तो मेरे घुटनों को आराम मिल जाता।.अतः उनके स्वर्गवास होने के बाद मैंने इन ब्राह्म्णों को बुलाकर इन के घुटनो को हि पिटा है ताकि स्वर्ग मे मेरी नानी माँ के घुटनो को आराम मिल जाये।.तब तथाचार्य बोले कि भला ऐसे कैसे हो सकता है माहाराज कि ब्राह्मणों के घुटने पिटने से इनकी नाना माँ को स्वर्ग में आराम पहंंचेगा भला।.

जरा इनसे पुछीए माहाराज ऐसा कैसे हो सकता है।.तब तैनाली रामाकृष्णा बोले जैसे सोने का आम ब्राह्मणों को दान करने से,माहाराज कि दादी माँ को स्वर्ग में आम मिल सकता है उसी तरह मेरी नानी माँ के घुटनों का दर्द भी ब्राह्मणों के घुटने पिटने से क्यों नही जा सकता है।.उनकी बात सुनकर राजा कृष्णदेव राव का गुस्सा शांत हो गया और वे बहोत जोर से हंसे उनकी हंसी सुनकर सभी ब्राह्मणों एवं पुरोहित तथाचार्य ने अपनी गलती स्वीकार करी समस्त सभा से माफी मांगी।.इस प्रकार तैनाली रामाकृष्ण के बारे में अनेक लोक कथाएं प्रचलित हैं। 1530 में राजा कि मृत्यु के बाद तैनाली रामाकृष्ण अपने मुल स्थान तैनाली वापिस लौट आए।.उनकी पत्नी का नाम शारदा रामा था।.उनके पुत्र भास्कर रामा हुए और उनकी पुत्र वधु राकुमारी अम्रपाली थीं। कुछ समय पश्चातं साँप के काटने से उनकी मौत हो गयी।.

प्रेरणा दायक संदेश
 तेनाली रामा भारतीय इतिहास में एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे। वे एक प्रमुख और बुद्धिमान नवरत्नों में से एक थे, तेनाली रामा अपनी तीव्र बुद्धि, व्यावसायिक चतुराई और अद्भुत कथाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कई कहानियाँ हिंदी और तेलुगु साहित्य में प्रसिद्ध हैं,जो उनकी चालाकी और बुद्धिमत्ता को दिखाती हैं।तेनाली रामा के कई किस्से लोगों के दिलों में बसे हैं। उनकी चतुराई और समझदारी की कहानियाँ हमें न सिर्फ मनोरंजन प्रदान करती हैं,बल्कि हमें जीवन के महत्वपूर्ण सवालों पर सोचने के लिए प्रेरित भी करती हैं। तेनाली रामा के किस्से आज भी हमारे समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और हमें अपने जीवन में उनके सिखाए गए सिद्धांतों का अनुसरण करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।

इनके के किस्से हमें विभिन्न मूल्यों और धार्मिकताओं के महत्व को समझने में मदद करते हैं। उनकी कहानियाँ अक्सर अद्भुत उपदेशों से भरी होती हैं जो हमें सही और गलत के बीच विवेकपूर्ण निर्णय लेने की कला सिखाती हैं। तेनाली रामा की कहानियाँ हमें समाज में नैतिकता,समझदारी, और उच्चतम मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझाती हैं। इन्हीं गुणों के कारण तेनाली रामा को आज भी एक प्रेरणास्त्रोत माना जाता है और उनकी कहानियाँ हमें जीवन के सभी पहलुओं में साहस, समझदारी, और सही निर्णय लेने की प्रेरणा प्रदान करती हैं।

तेनाली रामा की कहानियों में हंसी, सोचने का मतलब और ज्ञान के साथ-साथ एक साहसिकता भरा संदेश होता है। उनके किस्से हमें यह बताते हैं कि बुद्धिमान और समझदार व्यक्ति किस तरह से अवसरों को पहचानते हैं और समस्याओं का समाधान कैसे करते हैं। तेनाली रामा की कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि जीवन में समस्याओं का सामना करना अनिवार्य है,लेकिन हमें उनका समाधान निकालने के लिए अपनी सोच को बदलने और उत्तेजित होने की आवश्यकता होती है। 

उनके विचार

इनके के किस्से हमें उस सच्चे मानवीय गुणों की महत्वपूर्णता को याद दिलाते हैं जो हमें अधिक उत्तम व्यक्ति बनाते हैं।.बुद्धिमानी,संवेदनशीलता और सही निर्णय लेने की कला हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। उनके उपाख्यानों में दिखाई गई चालाकी और उनकी तीव्र बुद्धि को देखकर हमें नई सोच और कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। इनकी कहानियाँ हमें यह भी बताती हैं कि हमें अपने अदृश्य शत्रुओं को कैसे पहचानना और समाधान करना चाहिए। उनके किस्से और उनका सन्देश हमें जीवन में सही दिशा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं,

जिससे हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकें।.इनके के किस्से हमें यह भी बताते हैं कि जीवन में हर कठिनाई का सामना करना होता है,लेकिन हमें निराश नहीं होना चाहिए। उनके उपदेशों से हमें यह सिख मिलती है कि हमें स्थितियों का सामना कैसे करना चाहिए और उन्हें कैसे पार करना चाहिए। उनके किस्से हमें यह भी सिखाते हैं कि सफलता के लिए हमें जिद्दी बनने की जरूरत नहीं है,बल्कि समझदारी से और उदारता के साथ काम करने से हम अधिक सफल हो सकते हैं। तेनाली रामा के उपदेश हमें नये और उत्तम जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। उनकी कहानियों से हम यह सीखते हैं कि जीवन में बुद्धिमानी,सही निर्णय और सहयोग की भावना से हम किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं और सफल हो सकते हैं।

इनके के उपदेशों के अनुसार,हमें हमेशा सच्चाई और नैतिकता के मार्ग पर चलना चाहिए। उनकी कहानियों में सीख छिपी होती है कि धैर्य और अपने लक्ष्य के प्रति निष्ठा हमें सफलता की ऊँचाइयों तक ले जा सकती है। उनके विचारों के प्रेरणादायक संदेश हमें अपने समस्याओं का सामना करने की कला सिखाते हैं और हमें सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। तेनाली रामा के किस्से हमें यह सिखाते हैं कि अगर हमारे पास बुद्धिमानी और धैर्य हो,तो हम किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं और अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।.

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