प्रस्तावना
प्रस्तुत लेख में लाल किताब के इतिहास,इसका हिन्दु और मुस्लिम धर्म से सम्बन्ध तथा किताब के मुख्य रचयीता के बारें में चर्चा करेंगे।. इसके साथ हि हम किताब में दिये गये मुख्य पहलुओ तथा आम जनता पर इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।.
किताब का इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार बताया जाता है की रावण द्वारा ईरान के अड्ड नामक स्थान पर सूर्य देव के सारथी अरुण की तपस्या की गई तो अरुण देव ने प्रसन्न हो कर रावण इस का ज्ञान दिया। इसके बाद रावण ने इसे फारसी भाषा में लिपि बद्ध किया।. जिसे हम रावण संहिता के नाम से भी जानते है।. कुछ समय अंतराल के बाद यह भारत के पंजाब प्रांत के जिला जालंधर ग्राम फरवाला के रहने रूप चांद जोशी जी को मिली।
जिन्होंने 1939 से 1952 तक कई संस्करण में लिखा।.बताया जाता है कि रूप चांद जोशी एक आर्मी जवान थे हिमाचल क्षेत्र में ड्यूटी के दौरान उनके एक सहयोगी ने उनको एक पांडू लिपि दी और इसका अर्थ यानी पढ़ी जाने वाली भाषा में अनुवाद करने को कहा।.उस समय काल के अनुसार पंजाब में पंजाबी,हिंदी, फारसी भाषाएं प्रचलन में थी ।.अतः उन्होंने इस पांडू लिपि के अनुवाद में इनका प्रयोग किया। और यही अनुवाद की हुई किताब, लाल किताब के नाम से प्रसिद्ध हुई।.
कुछ इतिहासकार दावा करते है की इस किताब के कुछ अंश भृंग संहिता से लिए गए है।. एवं कुछ का मानना है की इस किताब को ध्रुव नाड़ी के कुछ अंश से लिया गया है।. इसके साथ ही कुछ इतिहासकार इसे अरुण संहिता के नाम से भी जानते हैं। इस प्रकार अभी भी इस किताब को लेकर लोगो में द्वंद की सर्व प्रथम यह किताब कब और कहा लिखी गई।.
पाकिस्तान में मिले अवशेष
इतिहास के पन्नो को खंगालने पर हमे मिला की 1936 में पाकिस्तान के लाहौर प्रांत में खुदाई के दौरान तांबे की पतली पट्टियों पे लिखी एक पत्रिका मिली थी , जिसे अरबी और उर्दू भाषा में लिखा गया था।. जिसके बाद हो सकता है की यह पत्रिका लाहौर से संबंधित क्षेत्रों जैसे उत्तरांचल ,हिमाचल अफगानिस्तान, पंजाब किसी मध्यम से लाई गई हो।. आपको बताते चले उस समय काल के अनुसार पंजाब भी भारत का ही हिस्सा था लेकिन बिचोलियो य देश द्रोहियों ने इसे दी टुकड़ों में बांट दिया।.
अतः1.1939 में रूप चांद जोशी द्वारा इस किताब का पहला संस्करण जारी होता है तब किताब के कुल 383 पन्नो में छापी गई।. 2.1940 में 156 पन्नों का दूसरा संस्करण जारी होता है जिसे कुटखा भी कहा जाता हैं।. 3. 1941 में इसका तीसरे संस्करण में पिछले दोनो संस्करण को मिलाकर 428 पन्नो की किताब प्रकाशित होती है।. 4. 1942 में किताब का चौथा संस्करण प्रकाशित होता है जिसमे कुल 383 पन्ने पन्ने होते है।.
अंतिम संस्करण 1952 में प्रकाशित किया जाता है जिसमे पिछले सभी संस्करण को मिलाकर 1171 पन्नो की किताब प्रकाशित की जाती है।.
किताब का मुख्य विषय
किताब पूर्णतया ज्योतिष शास्त्र के ऊपर ही लिखी गई है।.
इसमें किसी भी व्यक्ति के जीवन में चल रही समस्या को लेकर कोई न कोई उपाय बताया गया है।.जैसे गाय को मंगलवार य शनिवार के दिन चारा खिलाना, कीचड़ में दिया जलाना, या अन्न दान करना जैसे प्रक्रिया।.जिनका हमारे हिन्दू धर्म में हमेशा से महत्व रहा है। जिन्हे विश्वास होता है वे किताब में बताई प्रक्रियाओं का पालन करते हैं। और शायद उन्हें आराम भी होता है।.
किताब में किसी भी ऐसी प्रक्रिया या टोटके के बारे में नहीं लिखा गया है जिसको करने से व्यक्ति के पड़ोसी या अन्य किसी व्यक्ति को किसी प्रकार की हानि हो।.इसका काला जादू यानी black magic जैसी प्रकियों से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है। किताब में समस्या से निजात पाने के बहोत सरल सरल उपाय लिखे गए है जिसे कोई भी आम व्यक्ति आसानी से कर सकता हैं।.
लाल किताब भी पारंपरिक ज्योतिष की तुलना में विभिन्न शब्दावली और विधियों का उपयोग करता है। उदाहरण के लिए, यह विभिन्न ग्रहों को रंग देता है और मलामाती ग्रहीय प्रभावों को समाप्त करने के लिए इन रंगों का उपयोग करने की सलाह देता है।हालाँकि, लाल किताब के प्रमाणिकता और प्रभावशीलता पर ज्योतिषियों के बीच बहस है। कुछ व्यावसायिक इसकी प्रभावकारिता पर जोर देते हैं, जबकि अन्य इसके दावों पर संदेह करते हैं।समग्र, लाल किताब ज्योतिष के एक विशेष दृष्टिकोण को प्रतिनिधित करता है, जो पारंपरिक भारतीय ज्योतिष के तत्वों को अपनी अलग नीतियों और उपायों के साथ मिश्रित करता है।.
43 दिनों में आराम होने का दावा
लाल किताब को पढ़ने वाले लोग दावा करते है की किताब में लिखे उपाय को करने से लगभग 43 दिनों के अंदर आपको नतीजे देखने को मिलते हैं।.किताब में अनुसार आसमान को 360' कोण के आधार पर 12 बराबर भागों में विभाजित किया गया हैं।. आसमान के इन्ही 12 भागी ग्रह, घर में ग्रहों की चल परिवर्तन से इनका हमारे दैनिक जीवन में असर पड़ता हैं।.
इस प्रकार आकाश एवं हमरे दांतो को बुद्ध तथा हमारे बालों को शनि का प्रतीक, हवा को पित्त कहा गया है, इसके साथ ही हमारी टांगों को,कान को,प्राइवेट पार्ट को, और घर में रखें प्याज को केतु कहा गया हैं। पेट को मंगल ,पिता को बृहस्पति स्वयं को सूर्य कहा गया है।.
किताब काफी रहस्य मई है। मगर हमारे अतीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।.अधिकांश लोग इस में लिखे विचारों को अंधविश्वास के अलावा और कुछ नहीं समझते।. लेकिन हमारा मानना है की कोई भी पुस्तक अनायास कारणों से प्रसिद्धि नहीं हासिल करती।.यह पुस्तक भारत में नहीं अफगानिस्तान , पाकिस्तान, ईरान में आज भी चर्चा का विषय है और लोगो द्वारा पढ़ी जाती हैं।. पाकिस्तान के लाहौर संग्रहालय में इसकी मूल प्रति को संभाल के रखा गया हैं।.
1. लाल किताब के लेखक: लाल किताब के लेखक का नाम पंडित रूपचंद जोशी हैं। इन्होंने उत्तर भारत में 20वीं सदी के दौरान इस ग्रंथ को लिखा।
2. ग्रंथ का प्रकाशन: लाल किताब का पहला प्रकाशन सन् 1939 में हुआ था। इसके बाद, इसकी पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ी और यह उत्तर भारत में व्यापक रूप से प्रसिद्ध हो गया।.
3. विशेषताएं: लाल किताब में ज्योतिष और अंधविश्वास के लिए अनेक आधारभूत सिद्धांतों को मिश्रित किया गया है। इसमें ग्रहों के द्वारा अभिप्राय और उपायों का विस्तार से वर्णन है।
4. उपाय: इस ग्रंथ में उपायों की अहमियत बहुत उच्च मानी जाती है। ये उपाय अक्सर सरल होते हैं और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का दावा किया जाता है।
5. विवाद: हालांकि, लाल किताब की प्रमाणिकता और विश्वासनीयता पर सदैव विवाद रहा है। कुछ लोग इसे अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं, जबकि अन्य इसे केवल एक अनुप्रयोगिक प्रक्रिया मानते हैं।.लाल किताब एक अद्वितीय ज्योतिषीय ग्रंथ है जिसमें पारंपरिक ज्योतिष के साथ-साथ व्यावहारिक उपायों का भी विवेचन किया गया है। यह भारतीय समाज में व्यापक रूप से प्रचलित है और अनेक लोग इसे अपने जीवन के निर्णय लेने के लिए संदर्भ बनाते हैं।.
लाल किताब के खौफनाक रहस्य
"लाल किताब" के खौफनाक रहस्य के बारे में बात करते हैं। यह ग्रंथ एक अनूठा ज्योतिष ग्रंथ है जिसमें ज्योतिषीय उपायों के साथ-साथ रहस्यमय तथ्यों का भी संग्रह है। इस ग्रंथ में विभिन्न चमत्कारिक उपायों, मंत्रों और टोटकों का वर्णन है जो मनुष्य की भाग्यशाली और अभाग्यशाली स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।.लाल किताब में अनेक रहस्यमय विषयों का वर्णन किया गया है, जैसे कि विचित्र और अज्ञात शक्तियों का उपयोग, ग्रहों के प्रभाव के नियम, और ज्योतिषीय उपायों की गहराई से चर्चा कि गई हैं।.कुछ लोग मानते हैं कि इस ग्रंथ में छिपे रहस्य अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जो यदि समझ लिए जाएं तो उनकी जीवन में अद्भुत परिवर्तन ला सकते हैं। हालांकि, दूसरे इसे एक मानव की धार्मिक और आध्यात्मिक विकास के लिए उपयोगी मानते हैं।.सम्पूर्ण रूप से, "लाल किताब" के खौफनाक रहस्य उसके पाठकों को ज्योतिष, रहस्य, और अद्वितीय विश्व की खोज में आकर्षित करते हैं।.
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