9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: पाईका विद्रोह 1817-1914

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बुधवार, 6 मार्च 2024

पाईका विद्रोह 1817-1914

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प्रस्तावना

प्रस्तुत ब्लॉग में हम पाइका विद्रोह सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य भारत की आज़ादी में इसके महत्व,विद्रोह के क्षेत्र विशेष तथा भारत में इसके महत्व को जानेंगे।.

विद्रोह सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

1.पाइका विद्रोह पाइका जनजाति द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ किया गया था।.इस विद्रोह ने कुछ समय काल के लिए पूर्वी भारत मेंं अंग्रोजो कि जडे हिला दि था।. मगर तकनिकी हथियारो के सामने यह समुदाय ज्यादा समय तक नही टिक पाया।.अंत में अंग्रेजों कि जीत हुई।.2. वर्ष 2017 में उडिशा राज्य के मंत्रीमण्डल सिमीत ने पाइका विद्रोह को भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के रुप में घोषित करने के हेतू,केन्द्र सरकार से औपचारिक रुप से आग्रह किया।.3. N C E R T यानि राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र परिषद द्वारा यह फैसला लिया गया कि वर्ष 2018-19 के सत्र से पाइका विद्रोह को कक्षा 8 कि पाठ्य पुस्तक मेंं पुरा प्रसंग विस्तार पूर्वक प्रकाशित करने का निर्णय लिया।.4.N C E R T द्वारा यह निर्णय तब लिया गया जब लोक शिकायत संघ P.M कार्यालय में भेजी गई याचिका के जवाब में यह बताया गया कि 1857 कि क्रांति सेे पहले 2 अप्रैल 1817 में बख्शी जगबंधू द्वारा इस विद्रोह को चलाया गया था।.5.लोक शिकायत संघ P.M कार्यालय में 4 जनवरी 2018 भेजी गई याचिका कर्ता का नाम अजय बिरोका राजपूूत हैं।.वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के धर्म जागरण कार्यकर्ता हैं।.6.वर्ष 2018 में हि भारत सरकार द्वारा पाइका विद्रोह कि याद में स्मारक सिक्के और डाक टिकट जारी किये गयें।.7.3 दिसम्बर 2021 में भारत सरकार ने कहा कि पाइका विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कि उपाधि नहि दि जा सकती।.इसके पिछे कारण यह हो सकता है पाइका विद्रोह बेशक अपने आप में एक महत्वपूर्ण विद्रोह रहा होगा।. लेकिन यह एक सिमीत क्षेत्र विशेष का विद्रोह था।.जिसने सम्पूर्ण भारत में एकता,अंखडता तथा स्वतंत्रता कि भावना अभी नही जाग्रत कि थी।.आपको बताते चले कि पाइका विद्रोह पुरे 8 वर्षो तक चला।. विद्रोह में लगभग15000 भारतीयो कि जाने गईं।.इसी के विपरीत 1857 कि क्रांति पुरे भारत के कौने-कौने के किसानों द्वारा कि गई।.जिसने सभी भारतीयो को चाहे वे किसी भी समुदाय य वर्ग से हो सभी को एक जूट कर दिया।.

विद्रोह का मुख्य कारण

पाइका विद्रोह पाइका समुदाय के किसानो द्वारा तब किया गया। जब अंंग्रेजो द्वारा उनकी जमीने छिन लिया तथा उन खेती करने के लिए कर वसूले जाने लगे।.कर कि राशि चाँदी के सिक्कों मे वसूल कि जाती थी। किसान खेतो मेें फसल उगा कर उसे मण्डी में बेच कर चाँदी के सिक्के एकत्रित करते थे।.1803 के समय काल के अनुसार भारत में खेती पूर्णतः प्राकृतिक मानसून पर निर्भर थी।.सिंचाई के लिए समुचित नहरो कि व्यवस्था नही थी। अतः परिणाम स्वरुप किसान अपने उपभोग के लिए भी पर्याप्त मात्रा में अनाज नही उगा पाते थे।.ऐसे में अनाज बेचना और कर देना बहुत मुश्किल हो गया।.समय से कर न देने के कारण अंग्रेज सरकार ने किसानो से उनकी भूमि छिनना प्रारम्भ कर दिया।.दिन ब दिन किसानो कि मौते होने लगी।.भोजन के अभाव के कारण कई किसान परिवार समाप्त हो गये।.अतः बख्शी जगबंधू के नेतृत्व में पाइका विद्रोह कि शुरूआत हुई।. किसानो का मानना था कि भूख से मरने कि अपेक्षा अपने और अपने परिवार के अधिकारो का संरक्षण करते हुये बलिदान देना ज्यादा उचित है।.

पाइका विद्रोह का विस्तृत परिचय

1.पाइका जनजाति गजपति शासको के किसानो का असंगठित सैन्य दल था।.जो युध्द के समय राजा को सैन्य सेवाए मुहैया कराते थे और शांति काल मे खेती किया करते थें।.अपनी सैन्य सेवा के बदले मे राजा द्वारा इन्हे कर मुक्त भूमि प्रदान कि जाती थी।.जिस पर वे कृषि करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे।.2.उडिसा के दुर्ग जिले कि यह जनजाति यहाँ विराजमान जगन्नाथ मंदिर के पुशतैनी संरक्षक थे।.यह मंदिर उडिसा कि संस्कृतिक तथा राजनितीक स्वतंत्रता का महत्वपुर्ण प्रतिक था।.परिणाम स्वरुप मंदिर का संरक्षक होने के नाते पाइका जनजाति का गजपति साम्राज्य में महत्वपूर्ण स्थान था।.3.1803 में अंग्रेजो ने पूर्व के बंगाल प्रांत तथा दक्षिण के मद्रास प्रांत को जितने के बाद उडिसा पर अपना अधिकार कर लिया।.1803 में उडिसा पर गजपति राजा मुकून्द देव दूतिया का शासन काल था जो कि अपनी अल्प आयु में हि राजा बना दिये गये थे।.जिसके कारण प्रशासनिक कार्य उनके संरक्षक जय गुरू देव द्वारा किया जाता था।.4.अंग्रेजो कि दमनकारी नितीयो का सर्वप्रथम विरोध जय गुरू देव द्वारा हि किया गया।.अंग्रेजो द्वारा उनके विरोध का क्रूरता पुर्वक दमन करते हुए उनके जिन्दा रहते हुए ही कई टुकडो में काट दिया गया।.ब्रिटीश प्रशासन के नियमो को मनना उनकी मजबुरी हो गयी।.

बख्शी जगबंधु

पाइका विद्रोह के प्रमुख नेता के रुप में इनका नाम सर्वप्रथम लिया जाता है।.इनकी अध्यक्षता में पाइका विद्रोह कि शुरुआत हुई।.इनका पुरा नाम बख्शी जगबंधु विद्याधर महापात्र भ्रमरबर राम था।.इन्हे पाइकली खंडायत बख्शी के नाम से भी जाना जाता हैं।.

अन्य सहयोगी

अन्य जनजाति सहयोगियो कि सूची में 1.कनिका 2.कुंजग 3.नयागढ़ 4.घुमसूर के राजा,ज़मिदार,ग्रामप्रधान,तथा आम किसानो का समर्थन प्राप्त था।.

घुमसूर जनजाति

हालाकि ब्रिटीश सरकार के खिलाफ पाइका विद्रोह ने कडी टक्कर दि मगर आज भी इतिहास के पन्नो में इस विद्रोह को उतना महत्व नही मिल पाया है। इस विद्रोह ने अपना विक्राल रुप तब धारण किया,जब घुमसूर तथा अन्य जातीय समुह ने अपना सहयोग प्रदान किया।.लगभग 1500 से अधिक सैनिक खुर्दा में प्रवेश कर गये।.अपने शुरूआती चरण में प्रशासनिक कार्यालय में आग लगा दि गयी।.सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। जल्द हि विद्रोह अपना विस्तरित रुप धारण करते हुए करक,पीपली,पूर्ल तक फैल गया।.
योध्दाओं का विभाजन-
1.युध्द मेें धनुष चलाने वाले योध्दाओ को ढ़ोंकिया कहा जाता था।.2.माचिस कि तिली से निशाना लगाने वालो को बनुआस कहा जाता था,तथा तलवार से लडने वालो को प्रहरी कहा जाता था।.3 कुछ योध्दाओ ने गौरिल्ला युध्द भी लडे।.1819 में अंग्रेजो के तकनिकी हथियारो के आगे इनकी हार हुई।.1825 में बख्शी जगबंधु को गिरफ्तार करके कारागार में डाल दिया गया।.परिणाम स्वरुप विद्रोह काफी कमजाोर हो गया।.1829 में अंग्रेजो के अत्याचारो से पिडीत हो कर कारागार में हि बख्शी जगबंधू ने अपने प्राण त्याग दिये।.इनके बलिदान को सदैव याद रखने के लिए भुवनेश्वर में इन्ही के नाम पर बी.जी.बी कालेज कि स्थापना कि गयी।.

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