9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: चेंचू विद्रोंह (कन्नोंगांती हनुमंतु) 1870-1922

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शनिवार, 30 मार्च 2024

चेंचू विद्रोंह (कन्नोंगांती हनुमंतु) 1870-1922

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प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में हम चेंचू विद्रोह के पिचे के मुख्य बिंदु और विद्रोह के नेता कन्ननगांती हनुमांतु और चोर घुसघुस का प्रयास करने वाले ब्रिटिश टीजी राडारफोर्ड और ब्रिटिश शोषण कारी नेताओं और ब्रिटिशों द्वारा किए गए विद्रोहियों का वर्णन करेंगे। इसके साथ ही हम चेंचू जनजाति के जन-जीवन,सभ्यता संस्कृति पर भी प्रकाश डालेंगे।

चेंचू जनजाति

यह आंध्र प्रदेश के (नल्लामाला पहाड़ी)निल्लमला पर्वत पर बसे जंगलों में रहते हैं। आप लोग ले जाएँ कि ये क्षेत्र है जहाँ वर्तमान समय में श्रीशैलम बाघ वन अभयारण्य हैं।।1983 में यह भालू बनकर तैयार हुआ और 1992 में इसका नाम माया श्री था। राजीवगांधी वैष्णव जीव अभयारण्‍य कर दिया गया।.यह कृष्‍णा नदी के तट पर स्थित हैं..चेंचू जनजाति एक अज्ञात जनजाति हैं ये झूम खेती करते थे। और जंगलो में मछली चराने का काम करते थे।इसके अलावा पैरामप्रिक फॉर्म से शिकार करना और जंगल कि उपजी को एक्ट्रिएट करना इन मुख्य कलाकारों में शामिल हैं। ये अनोखी जनजाति कई भागो में बंटी हुई छोटी-छोटी गृहस्थियों में रहती थी,जो कालोनियों की तरह दिखती थी। वे शानदार पर्वतारोही होते हैं। यह वर्तमान समय में भारत के तेंलगाना,आंध्र प्रदेश,उडिसा प्रांत क्षेत्र में समाप्त हो गया है और जनजाति जनजाति की श्रेणी में आ गए हैं।

एवं संस्कृति भाषा

ये तेलगू कि चेंचू में बात करते थे इसके साथ ही वे चेंचुकुलम,चेंंचवार,चेनेरवर,चोंचारु भाषाएं प्रचलित थीं। ये सभी भाषाएं विविध भाषा परिवार से संबंधित हैं। पास का अधिकार होता था कि वे अपना पसन्द करते थे कि महिला से शादी कर सकते थे और जब उन्हें अलग किया जा सकता था। ये आदिवासी छोटे शरीर कद काठी के होते थे। इसका सिर दवा होता था और रंग गुम्बुआ या भूरा होता था और नाक चपटी,चेहरा चौड़ा होता था।इनमें से देवता लिंगमैया,शक्ति मैसम्मा,पदम्मा थे। इसके साथ ही ये शिवके अवतार मल्लिकार्जुन,जंगल की देवा गरेलपै सम्मा,चेचक रोग की देवा पट्टसम्मा, पानी की देवता जलगम्मा और मैयस्मा की पूजा करते थे। इसके साथ ही वे श्रावण माह में शिव एवं देवा पार्वती की भी पूजा करते थे।

विद्रोह का मुख्य कारण

ब्रिटिश सरकार ने इन पर वनों में निवास किया और वनों में वस्तुओं का उपभोग करना तथा अवशेषों को चराने का कार्य दिया। जिसके बदले में चेंचू जनजाति के नेता (कन्नेगांती हनुमंतु) कन्नेगांती हनुमंतु ने पुल्लरी को पद पर नियुक्त किया। अपने लोगो को एक जुट करके पुलारी कर न दें और ब्रिटिश छात्रों का बहिष्कार करने का निर्देश दिया।

कन्नेगांती हनुमंतु

इनका जन्म वर्तमान आंध्र प्रदेश के मिनचलापाडु,गुंटूर जिला,मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ। कन्नेगंती हनुमंथु का जन्म 1870 में आंध्र प्रदेश के आधुनिक पलनाडु जिले के दुर्गी मंडल में मिंचलापाडू गांव (कोलागाटला) में स्थित एक हिंदू परिवार में हुआ था। वह अचम्मा और वेंकटप्पा के दूसरे बेटे थे। उनके बचपन में ब्रिटिश शासन के भारतीयों द्वारा गरीबी और अपमान का अनुभव किया गया था। ये एक महान स्वतन्त्रता सग्राम सेनानी थे। ये कई बार जेल गए मगर क्षेत्रीय नेता कोंडा व्यकंटप्पा के समर्थन और जन समर्थन के सहयोग से अंग्रेजी को छोड़ दिया गया।

टी0 जी0 रदरफोर्ड

यह एक ब्रिटिश कंपनी थी जिसने हनुमंतु को घुसपैठ प्रस्ताव का प्रस्ताव दिया था। मगर हनुमंतु को पता था ऐसा करने से वे अपने समाज से वापस आ गए तो उनके साथ ही लोग आश्वस्त हो जाना छोड़ गए।20 फरवरी 1922 को अंग्रेजी स्टूडियो मिनचलापाडु गांव में आए और हनुमान तथा गांव के अन्य सदस्यों को चेतावनी दी गई कि अगर रैली निकाली गई तो नहीं दिया गया,तो अपमानजनक नतीजे वोटने को तैयार रहना।.अतः गांधी जी के सत्यग्रह बंद करने के कारण हनुमान्तु ने भी अपना आंदोलन बंद  करने का निर्णय लिया गया और कर देने को सहमति हो गई।

दरअसल, महाशिवरात्रि के दिन हनुमान और उनके सहयोगी जलूस में भाग लेने के लिए गांव से बाहर गए थे। इस बात की खबर है कि करण गांव के लोगों ने ब्रिटेन को दी थी, जिसके बाद जिले के डिप्टी कमिश्नर वार्नर ने इंस्पेक्टर राघवैया को गांव में भेजा था। इन्होने गांव के लोगो को एक महिला को पीटा और बच्चों को राइफल की बटों से खूब पीटा। और उनके सामान को उठा कर ले जाने लगे।.हनुमान्तु से मिलने की खबर भागे-भागे अपने गांव आए अपने बच्चों के पिता देख हनुमान्तु ने डायन की बेटी मगर बदले में 26 गोलियां उनकी निर्मम हत्या कर दी। हनुमंतु 6 नवजात तक तड़पते रहे और इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाते रहे गांव वालों को ढोल पानी पिलाने तक से मना कर दिया। और विलेज वालो ने अंग्रेजी का विरोध नहीं किया। शायद ऐसा ही कहा गया है कि हमें एक अलग जगह पर रहना चाहिए ताकि कोई भी बाहरी हिस्सा हम पर शासन न कर सके। इस प्रकार 22 फरवरी 1922 को 51 वर्ष की आयु में विवाह किये गये।
अल्लूरी सीताराम राजू 
हनुमंथु की 1974 की जीवनी एक्शन फिल्म "अल्लूरी सिताराम राजू" में एक गाने का उल्लेख किया गया था। इस गाने में हनुमंथु के वीरता और क्रांतिकारी भाव की प्रशंसा की गई थी। यह फिल्म अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण रही और हनुमंथु के जीवन और कार्य को एक बड़ी संस्था बनाती है।

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