9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: सावंतवाड‍ी विद्रोह

मंगलवार, 2 जनवरी 2024

सावंतवाड‍ी विद्रोह

Sawantwad

प्रस्तावना

प्रस्तुत ब्लॉग में हम सावंतवाडी विद्रोह के मुख्य कारण,sawantwad,shivaji Maharajसे सावंतवाडी का सम्बन्ध,इसके साथ ही सावंतवाडी में शासन करने वाले राजवंश के बारे में जानेंगे।.इसके साथ ही इनका सूर्य वंश से संबंध के बारे में जानेंगे।.

सावंतवाड़ी राज्य की स्थापना

सावंत राज्य का उदय16वी शताब्दी में हुआ।.इस राजवंश ने बोहत लम्बे समय तक कोंकण क्षेत्र में शासन किया।.खेम सावंत जो बीजापुर सल्तनत के जागीरदार थे।.सावंतवाडी साम्राज्य की स्थापना1627में खेम सावंत प्रथम द्वारा की गई।.सुन्दर वाडी को इन्होंने ने अपनी राजधानी बनाया। लेकिन कुछ समय अंतराल बाद इसका बिगड़ा रूप सावंतवाडी पड़ गया।.क्युकी सावंत शासक यहां शासन करते थे यही नाम प्रचलित हो गया।.सावंत शासकों का सम्पूर्ण जीवन वीरता और शोर्यता से परिपूर्ण रहा।.विजय नगर के शासकों कि सेना के साथ सर्वप्रथम दक्षिणी कोणार्क में प्रवेश मांग सावंत ने सेनापति के रूप में किया था।.सावंत राजवंश का सम्बन्ध सूर्यराज वंश से होने के कारण इन्हें सूर्य वंशियों की एक शाखा के रूप में परिभाषित किया जाता है।.

सावंतवाडी विद्रोह

सावंतवाडी महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले स्थापित एक स्थान का नाम है।.सावंतवाडी पूर्व के मराठा के सामंत शाही वंश भोसले राज्य की राजधानी था।.1839ब्रिटिश सरकार द्वारा सतारा के राजा प्रताप सिंह को उनकी गद्दी से हटा दिया और सावंतवाडी का शासन अपने हाथ में लिया ।.राजा प्रताप सिंह एक अच्छे और दयालु शासक थे। अतः राजा को गद्दी से हटाने परिणाम स्वरूप प्रजा में असंतोष फैल गया।.विद्रोह सावंतवाडी वासियों और ब्रिटिश सरकार के मध्य1844तब हुआ।.जब कोल्हापुर तथा सावंतवाडी में प्रशासनिक पुनर्गठन प्रारंभ किया गया।.सामंतवाड़ी विद्रोह का संबंध भारतीय इतिहास से है,जब ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भूमि स्वाधीनता की आवश्यकता के कारण भारतीय राजा और नवाबों के बीच विरोध उत्पन्न हुआ। सामंतवाड़ी विद्रोह का समय अधिकतर19वीं सदी के आस-पास है,जब ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विभिन्न क्षेत्रों में जन जागरूकता बढ़ रही थी और लोग स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे।.इस प्रकार के विद्रोह के अनेक कारण थे,जैसे कि भूमि कर और अन्य शोषण की प्रणाली,स्थानीय राजाओं को उनकी राजनीतिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता की कमी,और ब्रिटिश राजा की अन्यायपूर्ण नीतियों का प्रभाव। यह विद्रोह समग्र भारतीय समाज के बीच सहयोगी और एकजुटता की भावना को बढ़ावा देने का एक प्रयास भी था।
उदाहरण स्वरूप,1857का'सिपाही विद्रोह'एक महत्वपूर्ण सामंतवाड़ी विद्रोह था जो भारतीय सेना के सैनिकों और भूमिहीन जनता के बीच आम जनता की सहमति और समर्थन के साथ हुआ था। इसके परिणामस्वरूप,भारतीय साम्राज्य को सीधे ब्रिटिश सरकार के अधीन स्थिति से बाहर नहीं हटाया गया,लेकिन इसने भारतीय समाज में स्वतंत्रता की प्रेरणा और जागरूकता को बढ़ावा दिया।.यह विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत का एक पहलुवा था और इसने लोगों में स्वतंत्रता के प्रति उत्साह और समर्थन की भावना को बढ़ावा दिया।.

विद्रोह के मुख्य नेता

विद्रोह के मुख्य नेता फोड़ सावंत जोकि सावंतवाडी राजवंश के वंशज और मराठा राजवंश के सामंत थे। उनके साथ कुछ अन्य सरदार देसाईयो के मुख्य नेता अन्ना साहब भी शामिल थे।.विद्रोह ने अंग्रेजी सरकार की जीत हुई।.सावंतवाडी क्षेत्र सीमा गोवा और कोंकण क्षेत्र से जुड़ी हुई थी। जिसके परिणाम स्वरूप विद्रोहियों में से कुछ लोग गोवा भाग गए।.और जो पकड़े गए उनपर देशद्रोह का मुक्दमा चलाया गया।.इस प्रकार सावंतवाडी विद्रोह का अंत हुआ।.

सावंत साम्राज्य के मुख्य शासक

1.मंग सावंत1554इनका समय काल था।.इन्हे सावंत राजवंश के संस्थापक के रूप में परिभाषित किया जाता है।.इन्होंने विजयनगर साम्राज्य के शासकों को अपनी सेवा प्रदान की अर्थात ये उनके सामंत थे।.जिसके परिणाम स्वरूप मुख्य शासकों की श्रेणी में लाखम सावंत का नाम पहले आता है।.1554में,मंग सावंत नामक एक प्रमुख महाराष्ट्रीय सामंत ने आपसी विरोध की स्थिति में अपने सामंतीक राज्य को बचाने के लिए स्वाराज्य की ओर प्रयास किया।उन्होंने आपसी समझौते के बोहत प्रयास किए,लेकिन इसमें उनको असफलता हीं हाथ लगी।मंग सावंत की यह कोशिश उन समय की राजनीतिक उतापत्ति और उनके सामंतीक सामरिक परिस्थितियों के संदर्भ में हुई थी,जब भारत में विभिन्न राजा और सामंत अपने राज्यों की रक्षा के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहे थे।.1554 की घटना में भी दिखा गया कि सामंतवादी राजनीति और विरोधाभास भारतीय इतिहास में समाज के बीच आपसी समझ और एकजुटता की महत्वपूर्णता को बता रहे थे। इससे उत्तर भारत में राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव हुआ और विभिन्न सामंतीक राज्यों के बीच सामंतवादी आंदोलनों की उत्पत्ति हुई।.
2.खेम सावंत प्रथम1627से1640तक इनका शासन काल रहा।.इन्हों ने अपने स्वतंत्र शासन की स्थापना करी।.
3.सोम सावंत1640से1641तक मात्र18महीने शासन किया।.यह खेंम को सावंत के पुत्र थे।.
4.लाखम सावंतयह सोम सावंत के भाई थे। जब शिवा जी महाराज की शक्ति बढ़ी तो लाखम सावंत ने शिवाजी महाराज के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट करी।.जिसके परिणाम स्वरूप शिवा जी ने इसे सम्पूर्ण कोंकण क्षेत्र का सरदेसाई बना दिया।.कुछ समय पश्चात लाखम सावंत ने अपने सम्बन्ध मुगलों से स्थापित करे।.मुगलों को शिवाजी से द्वेष था। जिसके चलते लाखम सावंत ने1659में की संधि के आदेशों को मनाने से इन्कार कर दिया।.अतः शिवाजी ने अपने अनुयायी सरदार बाजी फासलकर को युद्ध के लिए भेजा। जो की युद्ध में मारे गए।.1662में शिवाजी ने लाखम सावंत को युद्ध में पराजित किया।.मगर राजनीतिक और पारिवारिक उद्देश्यों के चलते शिवाजी ने इसे छोड़ दिया।.और इसका सम्पूर्ण साम्राज्य इसे वापिस लौटा दिया।.
5.फोड़ सावंत1665से1675तक शासन किया यह लाखम सावंत का छोटा भाई था।.
6.सावंत साम्राज्य के अंतिम शासक महामहिम खेम सावंत चतुर्थ थे।.

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