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Leather |
परिचय
नमस्कार दोस्तों आज के समय में लोग Enviremnet को लेकर लोग काफी समझदार हो गए हैं। 26 दिसंबर 2004 को आई सुनामी लहर में लगभग 2,25000 लोगों की जान चली गई थी। 23 अप्रैल 2015 को नेपाल में आए भूकंप में 9000 लोगों की मौत हो गई और लगभग 22000 लोग घायल हो गए। पर्यावरण से छेड़छाड़ भी हम मनुष्यो द्वारा ही की गई है जिसका नतीजा ये आपदाएं थी।. शायद इन सब बातों का नतीजा ही है ये कि देश दुनिया के लोग इको-फ्रेंडली-प्रोडक्ट्स को सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
आज हम इस ब्लॉग में कृत्रिम या प्राकृतिक तरीके से बनाए जाने वाले lather के बारे में बात करने जा रहे हैं। 2020 की conscious fashion report द्वारा यह दावा किया गया था कि भविष्य में ECO VEGAN LATHER की मांग बढ़ने वाली है।
यह बिल्कुल सही साबित भी हो रहा है क्योंकि इसकी डिमांड वास्तव में बढ़ रही है। साथ ही यह पर्यावरण cycle को पूरा करने में किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं डालता है। क्योंकि यह 150 दिनों के अंदर RECYCLE हो जाता है। हमारे देश के नए युवाओं के STARTUP लिए एक अच्छा कदम हो सकता है।.
Malai Bio Materal और Phool.co
दोस्तो! हमें ये बताते हुए गर्वांवित महसूस हो रहा है कि यह दोनो कंपनियां भारतीय मूल की है। जिन्होंने कृत्रिम lather production का काम प्रारम्भ किया है, खास बात यह है कि इनके प्रोडक्ट्स की डिमांड भारत में ही नही विदेशी देशों में भी अधिक पैमाने पर है।.
आगे बढ़ने से पहले हम आपको बताते चले की विदेशी मूल के वैज्ञानिकों ने एक Research के दौरान यह दावा किया था, की समशितोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र में आने के कारण भारत में जीवन के पनापने के संभावनाएं अधिक है। यानी सूक्ष्म जीव और बैक्टीरिया के पैदा होने संभावनाएं अधिक मात्रा में होती है।.जिसके कारण भारत में संक्रमण और बीमारियों के खतरो की अधिक संभावना होती है।.वन्हीं भारत की अपेक्षा अमेरिका ,रसिया ठंडे क्षेत्रो में बैक्टीरिया नहीं पनप पाते जिसके कारण इन क्षेत्रों में संक्रमण और बीमारियों के खतरे कम होते है।. आप इसे निम्न उदाहरण से भी समझ सकते है।.
जैसे-
सर्दियों में खाने पीने की वस्तुओं को दो दिन तक आराम से रखा जा सकता है।, मगर गर्मियों में बैक्टीरिया संक्रमण के तेज़ हो जाने के कारण फ्रिज का सहारा लेना पड़ता है।.आपको बताते चले के हमारे भारतीय शोधकर्ताओं ने इसी research का फायदा उठाते हुए ही कृत्रिम lather का निर्माण किया है। ये दुनिया को चौकाने वाली खबर है क्युकी यह रेत में सुई खोजने जैसा था।.
Malai bio material
कम्पनी की co-founder सोलोवकिया की रहने वाली ZUZANA GOMBOSOVA हैं।. वे पेशे से सामग्री शोधकर्ता और डिजाइनर है।.कंपनी सुर्खियों में तब आई जब इसने मुंबई LAKME FASHION WEEK में सर्कुलर डिज़ाइन चैलेंज CDC का दूसरा संस्करण जीता।.
Circular Design Challenge
यह एक पुरस्कार है जिसे सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है इसके निर्माण का मुख्य लक्ष्य उन लोगो के प्रोडट्स की पहचान करना है। जो अपने प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए कचरा या वेस्ट को recycle करने के लिए नवीन तकनीक या तरीको का इस्तेमाल करते है।.इसके साथ ही कंपनी ने अपने प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी London Designe Week or Prague Designe Week में भी प्रस्तुत की है।. इन सब प्रदर्शनियों की मदत से Malai Bio Material एक PETA LABEL बन गया है।.इसके साथ की कंपनी की साझेदारी KOZOTO PTY L.T.D AUSTRALIA,CRAFTING PLASTIC, M T A R, TON -3D MODEL PICTURES OF PRODUCTS. के साथ भी है।.
अभी कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को भारत में न बेचकर विदेशों में बेच रही है । हालाकि भारत में भी इनके प्रोडक्ट्स जल्द ही देखने को मिलेंगे ।. कंपनी का head office India के केरल राज्य में है ।.
Lather कैसे बनता है
Malai bio material नारियल पानी का इस्तेमाल करके लेदर बनाती है। जैसा की हमने आपको बताया की इनका haed office केरल में है जन्हा नारियल अधिक मात्रा में उगाए जाते है। नारियल पानी को Sterilize किया जाता है और bacteria culture को भोजन और बिट करने की अनुमति दी जाती है।.इस किण्वन प्रक्रिया द्वारा sellulose जैली की एक शीट बनती है। इस शीट को काटकर आकर दिया जाता है परिष्कृत किया जाता है।. फिर इसे प्राकृतिक फाइबर और गोंद से मजबूत किया जाता है और अंत में हमे vegan lather मिलता है।.
प्रोडक्ट्स-
वर्तमान समय में कंपनी पर्स, ब्रिफकेस,जूते,मेकअप सामग्री इसके साथ ही कंपनी इंटीरियर डिजाइनर्स और फर्नीचर डिजाइनर्स के साथ भी काम कर रही हैं।.प्रोडक्ट्स के लगातार नया मॉडल विकसित करने की प्रक्रिया और इनका testing culture कंपनी को मूल रूप में बनाए रखा है जो भविष्य में रोमांचक संभावनाओ का अवसर खोलता जा रहा है।.
नारियल पानी
दोस्तो नारियल पानी में सोडियम,पोटैशियम,इलेक्ट्रोलाइट,विटामिन C ,vitamin B, एंटी एजिंग यानी जीवनरोधी एवं एंटीवायरल गुण,मैग्नेशियम,anti ऑक्सीसाइड पाया जाता है।.दोस्तो एंटी ऑक्सीसाइड इंटीजिंग होने के कारण नारियल पानी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी immune system को मजबूत बनाता है।. 2.विटामिन C स्किन टोन में निखार लाता है। 3. नारियल पानी में विटामिन B और मैग्नीशियम होने के कारण यह हमारे बालों को अंदर से पोषण देता है।.
उपर्युक्त सभी कारणों को जानने के बाद नारियल पानी को प्राकृतिक कचरा या वेस्ट समझना मेरी समझ से मूर्खता से कम नहीं है।. इसके प्राकृतिक गुणों के कारण यह केरल राज्य के लिए शायद वेस्ट हो सकता है मगर अन्य राज्य जन्हा इसकी पैदावार नही होती वन्हा यह आयुर्वेद के खजाने से कम नहीं है।.
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दोस्तो वर्तमान में ढेर सारी pharmaceutical कम्पनियां भारत में बिजनेस कर रही है। जो भारत ने patent दवाओं की बजाय Genric दवाएं ज्यादा बेच रही है। भारत में ये दवाएं इस लिए भी बेची जाती है क्योंकि हम स्मशितोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र में रहते है जन्हा बीमारियां जल्दी फैलती है। ताकि भारतीय तात्कालिक प्रभाव से जल्दी ठीक हो जाए।.
मगर दोस्तो तात्कालिक प्रभाव से असर करने वाली ये दवाएं कुछ समय बाद हमे कैंसर जैसी भीषण बीमारियों का शिकार बना देती है। अतः हमे आयुर्वेद चिकित्सा पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि स्मशितोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र में ही रहने के कारण विभिन्न प्रकार के मसाले और जड़ी बूटियां हमारे भारत में ही उगते है। इस प्रकार केमिकल दवाओं को छोड़कर प्राकृतिक जड़ी बूटियों पर ज्यादा निर्भर रहना चाहिए।.
Phool.co startup
दोस्तो phool.co की स्थापना अंकित अग्रवाल और संदीप कुमार द्वारा 2017 के की गई।. ये कानपुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। साथ phool.co का head office भी कानपुर में ही है।.इन्होंने iit kanpur से शिक्षा ले रखी है।. IIT KANPUR के सहयोग से कृत्रिम लेदर का निर्माण संभव हो सका हैं।.इन्होंने अपने प्रोडक्ट्स को बनाने में लिए मंदिर से निकलने वाले कचरे को recycle करने से अपने startup का प्रारम्भ किया।. शुरुआत में ये रंगोली बनाने के लिए प्राकृतिक रंग और अगरबत्ती बनाने का कार्य किया करते थे ।. लेकिन बाद में इन्होंने लेदर बनना भी प्रारंभ कर दिया।.
कम्पनी की उपलब्धियां
1 कम्पनी ने Young Intrapreneur Award जीता है।
2 Spirit of Manufacturing Award भी इनके नाम है।
3 Peta द्वारा भी इन्होंने अवार्ड हासिल कर रखा है।
4 कंपनी के निवेशकों की श्रेणी में सुप्रसिद्ध अभिनेत्री आलिया भट्ट का भी नाम शामिल है।
5 आपको बताते चले की कम्पनी प्रतिदिन 8.4 मिट्रिक टन मंदिर कचरे को गंगा में बहाने की बजाए recycle करती है।.
फूल से लेदर बनाने की process
एक interview के दौरान कम्पनी ने बताया की फूलों में CHITIN पाया जाता है जिसकी तुलना आप,स्किन में पाए जाने वाले COLLAGEN से कर सकते है। CHITIN एक संशोधित Polysaccharide है जिसमे नाइट्रोजन होता हैं।. Lather बनाने में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है।.
लेदर बनाने की शुरआत गर्मी में उमस भरे दिनो में फूलों के अप्रयुक्त ढेर पे घनी मोटी सफेद रेशेदार चटाई के मिलने से होती है। जिसका स्पर्श एकदम चमड़े के स्पर्श के समान था।.यही से इस पर research होना प्रारम्भ हुआ।. प्रयोग का सम्पूर्ण कार्य IIT Kanpur के सहयोग से सफल हुआ।.शुरुआत में हमे ऐसा लग रहा था कि कोई फफूंद वाला सूक्ष्मजीव फूलों पर पनपने की कोशिश कर रहा है और फूलों में मौजूद सेल्यूलोज से पोषण ले रहा है। लगातार प्रयास के दौरान हमे पहले सामग्री Styrofoam के प्रकार की प्राप्त हुई जिसका इस्तेमाल पैकेजिंग में किया जाता है।.
Phool का पहला लैदर प्रोडक्ट 2021 में सामने आया। अब कंपनी फ्लास्क में सूक्ष्म जीवों के चोटी मात्रा से शुरुआत करती है। जिन्हे पोषक तत्वों से भरपूर फूलों के तरल पर फैला कर धीरे धीरे बड़ा किया जाता है। और जब ये घोल गाढ़े घोल का रूप ले लेता है। तब देखा जाता है क्या सूक्ष्मजीवों ने परिपक्वता हासिल कर ली है की नही।.
अब मिश्रण को रेशेदार विकास के साथ शीट का रूप लेने के लिए ट्रे में ढाला जाता है। इसके बाद पेड़ की छाल के पाउडर के घोल में इसे टेन किया जाता है और सुखाया जाता है। अंत में इसे रंग कर सांप या मगरमच्छ के पैटर्न में उभरा जाता है।.अंतिम परिणाम नरम और कोमल शीट है जो अविश्वसनीय रूप से जानवरो की खाल या चमड़े के समान लगती है।.
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