9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: संथाल विद्रोह (Santhal Rebellion)

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गुरुवार, 7 सितंबर 2023

संथाल विद्रोह (Santhal Rebellion)

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प्रस्तावना

इस ब्लॉग पोस्ट में हम सांथाल विद्रोह के इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं को जानेंगे।.सांथाल विद्रोह का इतिहास और महत्व पर गहरा विचार करेंगे।.

विद्रोह की शुरुआत

सांथाल विद्रोह की प्रारंभिक घटनाएं
1.ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश-सांथाल विद्रोह की प्रारंभिक घटना 1855 में जारी हुई जब सांथाल समुदाय के लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश में आए।.2.जमीन के हक की लड़ाई:सांथाल लोगों का एक मुख्य आरोप था कि उनकी जमीन को ब्रिटिश नामदारों द्वारा धारा-धरी किया जा रहा था। इसके परिणामस्वरूप,वे अपने जमीन के हक की लड़ाई में उतरे।.3.सांथाल नेताओं की नेतृत्व में: सांथाल विद्रोह के नेता जैसे कि सिद्धो और कानु ने इस आंदोलन की नेतृत्व किया और लोगों को जोड़कर उन्होंने विद्रोह को संगठित रूप में आयोजित किया।.4.ग्रामीण समुदाय के सहयोग सांथाल विद्रोह में ग्रामीण समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान था। लोग एक साथ आक्रोश और संघर्ष में शामिल हुए और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुट हुए।.5.प्रमुख घटनाक्रम सांथाल विद्रोह के प्रमुख घटनाक्रम में 1855 में जारी हुई विद्रोह की प्रारंभिक घटना,सांथाल लोगों के आक्रोश का प्रतीक "सिद्धु,कान्हु,चांद,भैरव दो जुड्वा बहनो फुला और झानो"के नेतृत्व में हुआ।.इन प्रारंभिक घटनाओं ने सांथाल विद्रोह की नींव रखी और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में विकसित होने की दिशा में कदम बढ़ाया।.

ii.सांथाल समुदाय के सामाजिक-आर्थिक संकट

1.जमीन की नकरात्मक ज़मीनदारी ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन,सांथाल समुदाय के लोगों को उनकी जमीन की नकरात्मक ज़मीनदारी से जुझना पड़ रहा था। वे अपने जमीन का उपयोग नहीं कर सकते थे और उस पर किसानी कर देनी पड़ती थी,जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता था।2.श्रमिक और किसानों की उपेक्षा सांथाल समुदाय के लोगों को उनके किसानी और श्रमिक कार्यों की उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा था। उन्हें न्याय नहीं मिल रहा था और वे इस भेद-भाव के खिलाफ थे।.3.सामाजिक दुर्बलता सांथाल समुदाय में सामाजिक दुर्बलता की समस्या भी थी। उनके समाज में जाति और वर्ण व्यवस्था के कारण समाज में भिन्नता और दुर्बलता थी।4.सामाजिक छाती सांथाल समुदाय के लोग वर्णाश्रम धर्म के तहत उन्हें सामाजिक छती का अधिकार नहीं था,जिससे उन्हें समाज में न्याय नहीं मिलता था।5.शिक्षा की कमी शिक्षा की कमी भी एक समस्या थी,जिसके कारण सांथाल समुदाय के लोग अधिकारों के प्रति अज्ञानता में रहते थे।.इन सामाजिक-आर्थिक संकटों के संघर्ष के कारण सांथाल समुदाय के लोग ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत की। इस विद्रोह ने उनके सामाजिक और आर्थिक अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणा स्रोत के रूप में माना जाता है।.

विद्रोह के प्रमुख कारण

ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश
सांथाल विद्रोह की शुरुआत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश एक महत्वपूर्ण कारण था। निम्नलिखित वजहों से सांथाल समुदाय ने आक्रोश उठाया:1.जमीन का हाकिमी नामदारी प्रणाली ब्रिटिश साम्राज्य ने सांथाल समुदाय की जमीन को हाकिमी नामदारी प्रणाली के तहत लिया था। इसका मतलब था कि उनकी जमीन पर अंग्रेज़ सरकार का पूरा नियंत्रण था और उन्हें उस पर किसानी कर देना पड़ता था, जिससे उनके आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता था।.2.न्याय और समाज में असमानता सांथाल समुदाय के लोग अपने न्याय और समाज में असमानता के साथ रह रहे थे।वे अपने अधिकारों की होशियारी कर रहे थे और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आक्रोशित हो रहे थे।3.ब्रिटिश शासन की नीतियों का प्रभाव सांथाल समुदाय के लोगों को ब्रिटिश शासन की नीतियों का प्रभाव भी महसूस हो रहा था। वे अपने आर्थिक और सामाजिक संकटों का मुख्य कारण ब्रिटिश शासन में देख रहे थे।इन सभी कारणों से,सांथाल समुदाय के लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश में आए और स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभ में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने का निश्चय किया।.

विद्रोह के मुख्य नेता

सांथाल विद्रोह के मुख्य नेता थे सिद्धो और कानु। इन दोनों नेताओं ने विद्रोह के आदर्श के साथ सांथाल समुदाय को संघर्ष के लिए एकजुट किया और उन्होंने लोगों को विद्रोह की नेतृत्व करने के लिए प्रेरित किया।1.सिद्धो सिद्धो,जिनका पूरा नाम सिद्धो मुर्मू है,विद्रोह के मुख्य नेता थे। उन्होंने अपने जागरूकता,योग्यता,और नेतृत्व के साथ सांथाल समुदाय को जोड़कर विद्रोह की नेतृत्व की।.2.कानु: कानु भी एक महत्वपूर्ण नेता थे और उन्होंने सांथाल विद्रोह के मुख्य नेता के रूप में काम किया। उनका पूरा नाम कानु भगत था और वे भी विद्रोह के संगठन में भाग लिया।.3.कान्हु मुर्म: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धाओ मे से एक कान्हु मुर्म थे। वे संथाल विद्रोह (Santhal Revolt) के नेता थे और उन्होने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया। अपने संघर्ष के दौरान,कान्हु मुर्म ने सांथाल समुदाय के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह से समर्पित रहे और स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रतिष्ठित किया।

4.चांद मुर्म-चांद मुर्म एक सांथाल परिवार में पैदा हुये थे।सांथाल समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के लिए चांद मुर्म ने विद्रोह के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में भाग लिया। उनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण है और वे स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणा स्रोत हैं। सांथाल समुदाय के अधिकारों को बचाने के लिए अपने प्रणो कि अहुति दे दी।.5.दो जुडवा बहने: फुला और झानो को बचपन से ही पता था कि उन्हें अपने समुदाय की सेवा करनी चाहिए। उनके माता-पिता ने उन्हें सांथाल विद्रोह के बारे में बताया और उन्हें इसमें भाग लेने की प्रेरणा दी।.फुला और झानो ने अपने माता-पिता की चेतावनी सुनकर विद्रोह में भाग लिया। उनका नाम इतिहास में सांथाल विद्रोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,क्योंकि वे अपने समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने में साहसी थी।.फुला और झानो की कहानी सांथाल समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए उनके साहस और प्रतिबद्धता का उदाहरण है.उन्होंने बचपन से ही अपने समुदाय के लिए काम करने का संकल्प लिया था।.सिद्धो और कानु ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सांथाल समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने ग्रामीण जनसंख्या के अधिकारों की रक्षा की। उनके नेतृत्व में विद्रोह ने अपना समयाबद्धता और प्रभावकारी रूप से किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।.

भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय

सांथाल विद्रोह भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय इसलिए है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण ग्रामीण विद्रोह था। जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस विद्रोह के कई महत्वपूर्ण पहलु थे,जिनमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं-1.ग्रामीण अधिकारों की रक्षा- सांथाल विद्रोह ने ग्रामीण जनसंख्या के अधिकारों की रक्षा की थी। इसने दिखाया कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम केन्द्रीय नहीं था,बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी सशक्त विद्रोह हो सकता है।2.आक्रोश और न्याय की मांग- सांथाल विद्रोह के पीछे भारतीय शासन के खिलाफ आक्रोश और न्याय की मांग थी। यह दिखाता है कि ग्रामीण वर्ग के लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर सकते हैं।3.स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा- सांथाल विद्रोह ने अन्य क्षेत्रों में भी स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा दी। इसने दिखाया कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करने का यह भी एक तरीका हो सकता है।4.संविधानिक प्रमाण- सांथाल विद्रोह के परिणामस्वरूप,संविधान के माध्यम से ग्रामीण अधिकारों की सुरक्षा की जाने की आवश्यकता को प्रमाणित किया गया।.इसलिए,सांथाल विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में माना जाता है,जो ग्रामीण अधिकारों और न्याय की मांग के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण है।.

विद्रोह के प्रमुख घटनाक्रम

1760- 1830 तक समय काल मे भुमिज विद्रोह के कारण संथाल समुदाय के लोग(दामिन-ई-कोह) में आकर बस गये।.जो कि अंग्रेज़ो द्वारा झारखण्ड और पशिचमी बंगाल के कुछ हिस्सो को मिलाकर बनाया गया था। प्रारम्भ मे सब ठीक था। मगर कुछ समय बाद क्षेत्रिय जमिदारो ने उनसे वन्हा रहने के लिये कर वसुलना प्रारम्भ कर दिया।
अत्यधिक कर होने के नाते संथाल जाति के लोग कर देने मे सक्षम न थे। इधर उन्हे अपनी जमिनो पर खेती करने के लिये अंग्रेजो को किसान कर भी देना होता था। अत:जमिदारो ने सन्थाली लोगो को उच्च ब्याज दर पे कर्ज दे कर गुलाम बना लिया और उनकी ज़मिनो को हड्प लिया।.अंत संथाल जाति के लोगो को यह बात समझ आ गयी कि ये सब परपंच उन्हे गुलाम और उनकी ज़मिनो को हड्पने के लिये रचा गया है,अंग्रेजो कि तरफ से उनकी कोई मदत नही कि गयी,क्युकी उनके मध्यम से ही यह कार्य हो रहा था।.

सांथाल विद्रोह की प्रमुख लड़ाईयाँ
1.जानी-जानी घटना (जून 1855)
सांथाल विद्रोह की शुरुआत इस घटना के बाद हुई थी। ब्रिटिश कंपनी के अधिकारी ने सांथाल समुदाय की जमीनों को उनसे छीन लिया,जिसके परिणामस्वरूप सांथाल लोग अपनी जमीनों के लिए प्रकोपित हुए और विद्रोह की ओर बढ़ गए।.2.सिद्धो और कानु की नेतृत्व (जून 1855)-सांथाल विद्रोह के मुख्य नेता सिद्धो और कानु थे,जिन्होंने विद्रोह की नेतृत्व किया। वे अपने समुदाय को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एकजुट किया और विद्रोह की योजना बनाई।.3.विद्रोही आक्रमण (जून-जुलाई 1855)- सांथाल विद्रोह के दौरान,विद्रोही गुप्तचरों ने ब्रिटिश कंपनी के कई पोस्टों पर हमला किया और उन्हें हराया। इस दौरान,विद्रोही नेताओं ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जंगलों में गुप्तचर आक्रमण की।.

4.ब्रिटिश सरकार के प्रतिक्रिया (1855-1856)
ब्रिटिश सरकार ने संथाल विद्रोह के खिलाफ अपनी सेनाओं को बढ़ा दिया और विद्रोह को दमन करने के लिए कठोर कदम उठाए। इसके परिणामस्वरूप,विद्रोह को कुछ ही समय में दबाया गया और ब्रिटिश सरकार ने अपने प्राधिकृत इलाकों को पुन:निर्माण किया।.5.सांथाल विद्रोह की फिर से उठाई जाने की कोशिशें:सांथाल विद्रोह के बाद भी समय-समय पर सांथाल समुदाय ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाए, लेकिन उनको पूरी तरह से सफलता नहीं मिली।इन प्रमुख घटनाओं के माध्यम से, सांथाल विद्रोह ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की और सांथाल समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।.

विद्रोह के परिणाम

1.अधिकारों की हानी-सांथाल विद्रोह के परिणामस्वरूप,सांथाल समुदाय की अधिकारों की भारी हानि हुई। ब्रिटिश सरकार ने उनकी ज़मीनों को छीन लिया और उन्हें बिना अपमानित किए उनकी ज़मीनों का उपयोग किया।.2.विद्रोह की पराजय- ब्रिटिश सरकार ने सांथाल विद्रोह को कुछ समय में ही दमन कर दिया और विद्रोही गुप्तचरों पर प्रहार दिया। इसके परिणामस्वरूप,सांथाल विद्रोह का सम्पूर्ण दमन हो गया और विद्रोह समाप्त हो गया।.3.शिक्षा और समझदारी-सांथाल विद्रोह के बाद,सांथाल समुदाय के अनेक लोगों ने शिक्षा और समझदारी की ओर बढ़ने का प्रयास किया। वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक हो गए और आगे बढ़ने के लिए समर्थ हुए।.4.स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा- सांथाल विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य किया। इसने दिखाया कि ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लोगों को संगठित होकर उठना होगा।सांथाल विद्रोह,भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभिक दिनों में एक महत्वपूर्ण घटना थी और इसने सांथाल समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए उनके संघर्ष को संजीवनी बनाया।.

निष्कर्ष

सांथाल विद्रोह ने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ग्रामीण समुदाय के अधिकारों की रक्षा की। इसे एक महत्वपूर्ण इतिहासिक घटना के रूप में जानना चाहिए।सांथाल विद्रोह भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है जो ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ने और अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए सांथाल समुदाय के लोगों के उत्साह और साहस का प्रतीक बना। इस विद्रोह ने दिखाया कि छोटे समुदाय भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित होकर साहसी योगदान कर सकते हैं।.इस विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरणा दी और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इसके परिणामस्वरूप लोगों में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उत्साह बढ़ा और उन्होंने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने का संकल्प किया।सांथाल विद्रोह ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यह दिखाया कि आम लोग भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर सकते हैं चाहे वो कितने भी छोटे या गरीब क्यों ना हों।.

MCQ सम्बंधित प्रशन

1.प्र्शन- संथाल विद्रोह का अर्थ क्या है ?santhal revolt took place in which year?
सांथाल आदिवासी समुदाय द्वारा 30 जून,1855 को 400 आदिवासी गाँवों के लगभग 6000 आदिवासी भगनीडीह में एकत्रित हुए और बैठ गए। सिद्धू,कान्हू,चाँद और भैरव नाम के चार भाइयों और फूलो और झानो नाम की उनकी दो बहनों ने कहा कि बाहरी लोगों को भगाकर सतयुग का राज्य स्थापित करने के लिए विद्रोह करना होगा।

2.प्रशन संथाल विद्रोह की शुरुआत कब हुई ?when did the santhal rebellion take place?
30 जून 1855 को।.

3.प्रशन संथाल विद्रोह का नेता कौन था? who was the leader of santhal revolt?
सांथाल विद्रोह के मुख्य नेता सिद्धो और कान्हु थे। ये दोनों सांथाल समुदाय के नेता थे और विद्रोह की नेतृत्व करते थे। उन्होंने अपने समुदाय को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष के लिए एकजुट किया और सांथाल विद्रोह के मुख्य आयोजक भी रहे। उनका प्रयास सांथाल समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण था और उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इनका नेतृत्व सांथाल विद्रोह के इतिहास में महत्वपूर्ण है और उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को उत्साहित किया और संघर्ष के लिए प्रेरित किया।.

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