9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: पागलपंथी विद्रोह

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गुरुवार, 14 सितंबर 2023

पागलपंथी विद्रोह

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प्रस्तावना

भारतीय इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम कई महत्वपूर्ण घटनाओं और व्यक्तियों की कहानी है,जिन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मशाल जलाई। एक ऐसा महत्वपूर्ण चरण था जब पागल पंथी विद्रोह ने देश को आजादी की ओर कदम बढ़ाया। इस लेख में हम पागल पंथी विद्रोह के बारे में विस्तार से जानेंगे,इसके प्रमुख पहलुओं को पर प्रकाश डालेंगे।.

पागल पंथी विद्रोह का आरंभ

पागल पंथी विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण पहलु था,जो 1813 में ही आरंभ हो गया था। इस विद्रोह के प्रेरणास्त्रोत थे करीम शाह और उनके सहयोगी मुस्लीम फकीर मजनू शाह, जो अपने आध्यात्मिक विचारों के साथ भारतीय समाज को सामाजिक और आर्थिक रूप से सुधारने का प्रयास कर रहे थे।.हालाकि मुख्य नेता टिपू शाह थे जो कि करीम शाह के बेटे थे।.पागलपंथी सम्प्र्दाय के लोग एक ईश्वर को मानने वाले,मानव सामानता और सामाजिक मतभेद को समाज से मिटाना चाह्ते थे।.विद्रोह की शुरुआत ब्रिटिश सरकार द्वारा किसानो पे लागाये जा रहे अत्याधिक कर से प्रारम्भ होती है।.ब्रिटिश सरकार ने बर्मा और ब्रिटिश युध्द के दौरान हुये नुक्सान कि वसुली के लिये किसानो पर भारी कर लगाये थे।.

पागल पंथी आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाएं

1.विद्रोह कि शुरुआत अंग्रेज़ो द्वारा अत्यधिक कर लगाये जाने के बाद 1825 में टीपू शाह द्वारा शेरपुर बंगाल में लोगो का गठन किया और म्यामासिन्ह जिले मे विद्रोह हुआ।.हजारो कि संख्या मे लोग मारे गाये।2.जनजतियो का समावेशनइस सम्प्र्दाय के लोग प्रत्येक जाति के व्यक्ति विशेष को एक समान आधिकार देते थे। क्य्युकि इनका मानना था कि ईश्वर ने सबको एक समान बनाया है। ये खुद से जुडने वाले लोगो को भाई साहाब कह कर बुलाते थे।.जिसके चलते इनसे (होदी,गारो,हाजोमो,देलस,राज वंगशी) जनजाति के लोग विद्रोह मे शामिल हुये।.3.विद्रोह की समाप्ति1833 मे टिपू शाह को गिर्फतार कर लिया गया। इनकी गिर्फ तारी के साथ हि विद्रोह समाप्त हो गया।.पागल पंथी विद्रोह के दौरान टिपू शाह ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने सशक्त साहस और संघर्ष भरे जीवन में अंग्रेजों के खिलाफ लडे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती से साझा किया।.

4.विद्रोह की उच्च धारापागल पंथी विद्रोह की उच्च धारा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए नई दिशा देने में मदद की। इस धारा के तत्वों ने समाज में समाजिक और आर्थिक समानता की मांग की और अपने अधिकारों के लिए लड़ने का संकल्प बनाया।5.पागल पंथी विद्रोह का प्रभावपागल पंथी विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं।.6.सामाजिक सुधार पागल पंथी विद्रोह ने समाज में समाजिक सुधार की मांग की और उसमें सफल भी हुआ। यह विद्रोह समाज में असमानता के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजा और भारतीय समाज में समाजिक सुधार की आवश्यकता को प्रमोट किया।इस विद्रोह के दौरान,आध्यात्मिक दृष्टिकोण ने लोगों को अपने आत्मा की खोज में प्रोत्साहित किया। करीम शाह के सिद्धांतों ने लोगों को ध्यान,साधना,और सेवा का मार्ग दिखाया।.

पागलपंथी विद्रोह मुख्य नेता

१.करिम शाह इन्हे पागलपंथी समप्र्दाय के संस्थापक के रुप मे देखा जाता है।.वे लोगो को एक समान दिखाकर एक जुट करना चाहते थे,ताकि लोग एक जुट हो कर अंग्रेजो के खिलाफ लड सके।.२.मजनू शाह यह एक फकिर थे साथ हि में ये कारिम शाह के सहयोगी भी थे।.३.टिपू शाह यह कारिम शाह के बेटे थे और पगलपंथी विद्रोह के मुख्य नेता भी थे। इनका मानना था कि "मनुष्यो को भगवान ने एक समान बनाया है जिसके चलते उनके साथ भेद भाव करना भगवान के अदेश का अनादर होगा। जोकि उस समय अंग्रेजो द्वारा एक तरफा स्वमित्व कि अनुमति दे कर किया जा रहा था।.४.जनकू पथोर और देवराज पथोर टिपु शाह कि मौत के बाद इन्होने मुख्य नेता के रुप मे भुमिका निभाई।.५.पिर माँ(संत मा)ये करिम शाह कि पत्नि और टिपू शाह कि मा थी।इनका भी विद्रोह मे मह्त्व्पुर्ण सहयोग रहा।.पागल पंथी विद्रोह का अंत विभिन्न कारणों से हुआ, लेकिन इसके प्रभाव और महत्व को कभी भी नहीं भूला जा सकता है। यह विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त करता है और हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता के लिए हमें संघर्ष करना होता है।

निष्कर्षण

पागल पंथी विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। इस विद्रोह ने समाज में समाजिक सुधार की मांग की,आध्यात्मिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया,और स्वतंत्रता संग्राम के लिए नई दिशा दी। इसका महत्व आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण है और हमें इसके सिखने और मनने का काम करना चाहिए।.

8.MCQ से सम्बंधित प्रश्न 

1.प्रश्न्न पागलपंथी विद्रोह का नेता कौन था ?
करिम शाह पागल पंथी आंदोलन के नेता थे। पागल पंथी,एक अर्ध-धार्मिक समूह था,मुख्य रूप से म्यामांसिंह जिले (पहले बंगाल में) के हाजोंग और गारो जनजातियों का गठन द्वारा स्थापित हुआ था।.
2.प्रश्न्न पागलपंथी विद्रोह कब हुआ था ?पागलपंथी विद्रोह 1813 ई.में हुआ था। उत्तरी बंगाल में करिम शाह ने एक अर्द्धधार्मिक संप्रदाय पागलपंथी की स्थापना की थी। जमींदारों और साहूकारों के अत्याचारों के खिलाफ करिम शाह के पुत्र टीपू शाह ने स्थानीय गारो जनजाति के लोगों के साथ 1813 ई.इसकी शुरुआत की।.
3.प्रश्न्न पागलपंथी विद्रोह कह्ना हुआ था ?
1813 मे उत्तरी बंगाल के म्यामांसिंह जिले में हुआ था।.
4.प्रश्न्न पागलपंथी विद्रोह?
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल और अंततः अधिकांश भारत पर कब्जा कर लिया,और पागल पंथियों के संरक्षक संत मजनू शाह को विद्रोह की प्रेरणा दी।.टीपू शाह का लक्ष्य था किसानों को अंग्रेजों के नियमों और करों के खिलाफ विद्रोह करने के लिए एकजुट करना चाहिये। इस क्षेत्र को ब्रिटिश और बर्मी सैनिकों के बीच हुई लड़ाई ने बर्बाद कर दिया था।.युद्ध के खर्चों का भुगतान करने में मदद करने के लिए कंपनियों और ज़मींदारों ने स्थानीय किसानों पर कठोर कर लगाए। संत मजनू शाह और उनके अनुयायियों ने ब्रिटिश शासन के तहत किसानों पर ज़बरदस्ती करने की कोशिश का सबसे बड़ा विरोध किया।.यह विद्रोह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और उसके साथी जमींदारों के खिलाफ एक बड़ा संघर्ष था,जिससे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ।.

5.प्रश्न्न पागलपंथी विद्रोह किससे सम्बंधित है?
पागलपंथी विद्रोह भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण घटना है जो 1812-1813 ई.के आसपास घटित हुई थी। इस विद्रोह का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य और जमींदारों के खिलाफ किसानों और जनजातियों के संघर्ष को संगठित करना था।.इस विद्रोह के दौरान,किसान और जनजातियों ने ब्रिटिश और जमींदारों के खिलाफ उप्रोक्तवादी नीतियों के खिलाफ आवाज़ बुलंद की और संघर्ष किया।.इस विद्रोह का प्रमुख केंद्र बंगाल के म्यामांसिंह जिले (जो अब वेस्ट बंगाल में है) में था,और यह विद्रोह ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ हुआ था। इस घटना के परिणामस्वरूप,कई किसान और जनजातियाँ संघर्ष करने में शामिल हुईं,और यह विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान कि कडी बना।.

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