9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: 1857 का विद्रोह

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मंगलवार, 5 सितंबर 2023

1857 का विद्रोह

                       

परिचय

1857 का विद्रोह,जिसे भारतीय सैनिक विद्रोह,गदर,या पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में भी जाना जाता है,भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश अनौपचारिक शासन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण विद्रोह था। यहां 1857 विद्रोह का परिचय है

1857 विद्रोह का कारण,प्रकृति और परिणाम कारण (Causes)

  • 1.सिपाहियो मे असंतोष (Discontent among Sepoys)
  • सिपाहियो में असंतोष था क्योंकि वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में तो थे, लेकिन उन्हें अधिकांश भारतीय सैनिकों के लिए परमोशन य पद उन्नति का प्रवधान नही था और इसके साथ हि काम वेतन पर अधिक कार्य लिया जाता था।.
  • 2.आर्थिक शोषण (Economic Exploitation):ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय संसाधनों का आर्थिक शोषण किया, जैसे कि कृषि उत्पादों की अधिग्रहण और उनके निर्यात के माध्यम से।.
  • 3.कारतूस का मुद्दा (Cartridge Issue):विद्रोह के मुख्य मुद्दों में से एक था कारतूसों का मुद्दा। ब्रिटिश कंपनी ने नए कारतूस प्रस्तुत किए थे,जिनका चर्बी से लिपटना था,और यह अफवाह फैल गई कि वे गाय और सूअर की चर्बी से बने हैं,जो हिन्दू और मुस्लिम सैनिकों के लिए अपमानजनक था।
  • 4.भारतीय राष्ट्रवाद (Indian Nationalism): 1857 के दौरान,भारतीय राष्ट्रवाद की भावना बढ़ गई और भारतीय लोगों के बीच ब्रिटिश शासन के खिलाफ आलोचना और एकजुटता की भावना फैली।

प्रकृति

इस विद्रोह की प्रकृति बहुत व्यापक थी और इसमें सेना और नागरिक दोनों की भागीदारी थी। यह विद्रोह सिपाहियो और भारतीय सामान्य जनता दोनों के द्वारा किया गया था और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक एकीकृत आवाज का प्रतीक था।

परिणाम

1.विद्रोह के दमन (Suppression of the Rebellion)
विद्रोहकारी संघर्ष के बावजूद, ब्रिटिश सत्ता ने इसका दमन निर्दयता पुर्ण तरीके से किया। कई भारतीय नेताओं को फांसी दी गई या कारावास में डाल दिया गया।2.भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत (Beginning of the Indian Freedom Struggle):1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसने भारतीय राष्ट्रवाद की भावना को जगह दी और ब्रिटिश कंपनी के शासन का अंत किया।.

(1857 ई०) का विद्रोह कहाँ से प्रारंभ हुआ था

विद्रोह की शुरुआत के पीछे कई कारण थे। इनमें ब्रिटिश पूर्व भारत कंपनी की सेना में सिपहियो के बीच असंतोष, ब्रिटिश द्वारा भारतीय संसाधनों की आर्थिक शोषण, नए कारतूसों का प्रस्तावना जिनमें गाय और सूअर की चर्बी का प्र्योग।.(जो हिन्दू और मुस्लिम सैनिकों के लिए अपमानजनक था) और भारतीय राष्ट्रवाद और ब्रिटिश शासन के खिलाफ आलोचना की भावना शामिल थी।1.विद्रोह की प्रारंभिक घटनाएँ:12 फरवरी 1857 एनफिल्ड राइफल एक नया बरुद कर्तुस था जिसे गाय और सुअर की चमडी से ग्रिस किया गया था, जिसे बंगाल सेना के कयी सिपहियो ने चलाने से इनकार कर दिया,जिसके चलते उन्हे फांसी कि सज़ा सुनायी गायी।.दुसरा विद्रोह :बंगाल में ही बैरक्पुर छावनी के सिपाही मंगल पाण्डे द्वारा किया गया जिसके चलते 8 अप्रैल 1857 को मंगल पाण्डे फांसी दे दि गयी।तिसरा विद्रोह: 9 मई 1857 को मेरठ मे 85 भारतीय सैनिको ने नये राइफल क प्रयोग करने से इनकार कर दिया। नतिजा जन उन्हे 10 वर्ष कि सजा सुनायी गयी। इसके बाद यह विद्रोह तेजी से भारत के अन्य हिस्सों में फैल गया,जैसे कि दिल्ली,कानपूर,लखनऊ,और झांसी,जहां सिपहियो और नागरिक दोनों शामिल हो गए।
अंत में हार के बावजूद, 1857 का विद्रोह भारत की स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। इसने भारतीय राष्ट्रवाद की भावना के बीज बोए और पूर्व भारतीय कंपनी के शासन का अंत किया।.

1857 के विद्रोह के प्रमुख नेता

1.बहादुर शाह जफर
बहादुर शाह जफर,भारतीय विद्रोह के1857 के दौरान एक महत्वपूर्ण नेता थे। वे भारतीय म्यूग़ल सम्राट थे और इस विद्रोह के प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्य कर रहे थे। यह विद्रोह उनके द्वारा नेतृत्तित्व किया गया था

बहादुरशाह जफर की भूमिका
1.म्यूग़ल सम्राट के रूप में बहादुर शाह जफर भारत के म्यूग़ल सम्राट के रूप में ताज़ पहने हुए थे,और उन्होंने विद्रोह के प्रमुख नेता के रूप में अपना स्थान बनाया।.2.दिल्ली में संकीर्तन: वे दिल्ली के लाल किले में इकट्ठा होकर संकीर्तन और आराधना का आयोजन करते थे, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम को बढ़ावा देना था।.3.ब्रिटिश के खिलाफ उत्कृष्ट भूमिका: वे विद्रोहकारियों के बीच एक एकीकृत आवाज के प्रतीक के रूप में थे और उन्होंने दिल्ली को विद्रोह के केंद्र में बनाया।.4.अपने पुत्र की उम्रदराजी का विरोध: बहादुर शाह जफर ने विद्रोह के दौरान अपने पुत्र की उम्रदराजी का विरोध किया, जिससे उनका उपनाम 'बहादुर शाह जफर द्वितीय' हो गया।.5.विद्रोह के बाद की सजा: विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सत्ता ने उन्हें कढ़ाई की सजा दी और उन्हें रंगून, बर्मा (अब म्यांमार) में जेल भेज दिया। वहीं पर इन्होने अपनी आखिरी सांस ली।.बहादुर शाह जफर का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण है और उन्हें एक स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा के रूप में याद किया जाता है। उनकी उपासना और संकीर्तन का प्रभाव आज भी भारतीय सामाजिक और धार्मिक जीवन में महत्वपूर्ण है।

2.रानी लक्ष्मीबाई

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भी एक महत्वपूर्ण विद्रोहकारी थीं। उन्होंने अपने शौर्य और साहस के साथ अपने राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ा और झांसी की रानी के रूप में प्रसिद्ध हुईं।1857 का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम या सिपाही विद्रोह एक महत्वपूर्ण घटना थी,जिसमें भारतीयों ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई थी। इस विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।.रानी लक्ष्मीबाई,जिनका जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था,जो कि लक्ष्मीबाई राजकुमारी के रूप में जन्मी थीं। 1851 में,वह गंगाधर राव,उन्हें जीवन संगीनि के रूप में चुना था,गंगाधर राव से विवाह करके मराठा पेशवा के रानी बन गईं।1857 के विद्रोह के समय,रानी लक्ष्मीबाई ने अपने वीरता और साहस का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी सेना के साथ कानपूर,ज़वालपूर,और ग्वालियर जैसे स्थलों पर ब्रिटिश आक्रमण का सामना किया। उनके प्रेरणास्पद कौशल और योगदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती दी।.हालांकि रानी लक्ष्मीबाई का यह संघर्ष उनके लिए सामाजिक समर्थन के बिना था और उन्हें आवश्यक सामूहिक समर्थन नहीं मिला,लेकिन उनके प्रेरणास्पद कृत्यों के बाद वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण प्रतीक बन गईं।रानी लक्ष्मीबाई का ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ उनका संघर्ष और वीरता आज भी भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है,और वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद की जाती हैं।.

3.कुंवर सिंह

बिहार के कुंवर सिंह ने विद्रोह के पश्चात्ताप के बाद ब्रिटिश के खिलाफ लड़ने के लिए अपनी शक्तियों को समर्पित किया और एक प्रमुख विद्रोहकारी बने। 1857 कुंवर सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे।कुंवर सिंह का जन्म 30 अप्रैल 1835 को हुआ था।उन्होने अल्प आयु में ही स्वतंत्रता संग्राम के प्रति अपनी आस्था और समर्पण का प्रकटीकरण कर दिया।.1857 के विद्रोह के समय,कुंवर सिंह ने अपने प्रेरणास्पद संवादों और अद्वितीय साहस के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने दिल्ली में बहादुरशाह झफर के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया।कुंवर सिंह का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण था,और उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में स्मृति में बनाया गया है। उनकी साहसी क्रियाओं ने भारतीय जनता को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया और उनके योगदान को याद रखा जाता है।.

4.तांतिया टोपे

तांतिया टोपे एक अन्य महत्वपूर्ण विद्रोहकारी थे और वे कानपूर में ब्रिटिश के खिलाफ लड़े। 1857 के विद्रोह के समय, तांतिया टोप एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया।तांतिया टोपे का जन्म लखनऊ,उत्तर प्रदेश में हुआ था,और वे एक सिपाही थे जो ब्रिटिश सेना में सेपॉय (सिपाही) के रूप में सेवा कर रहे थे। 1857 के विद्रोह के समय, उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लडे और उन्होंने दिल्ली में बहादुरशाह झफर के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया।.तांतिया टोपे ने ब्रिटिश के खिलाफ विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलन को नेतृत्व किया और कानपूर,लखनऊ,और अन्य स्थलों पर स्वतंत्रता संग्राम की ओर महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।.हालांकि वे स्वतंत्रता संग्राम के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे, लेकिन उनकी सेना को ब्रिटिश सेना के सामने संघर्ष में हार का सामना करना पड़ा और दिल्ली को छोड़ना पड़ा। उनके विद्रोह के बावजूद,उनकी प्रेरणा और साहस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण हैं,और उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है।.

5. बाहादुर शाह जफर का करीबी सहयोगी

कुछ दूसरे महत्वपूर्ण नेता भी थे,जैसे कि बहादुर शाह जफर के करीबी सहयोगी, जो विद्रोहकारियों के संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।ये नेता विद्रोह के समय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण चेहरे थे और उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सशक्त प्रतिरोध का प्रतीक बनाया।.
भारत की आज़ादी मे 1857 क्रांति का योगदान-1857 की क्रांति,जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण है।.इस क्रांति ने भारतीयों के बीच ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विरोध की शुरुआत की और स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा दी।.इस क्रांति के माध्यम से, भारतीय जनता ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपने विरोध की आवाज बुलंद की और उन्होंने आजादी के लिए संघर्ष करने का संकल्प बनाया। यह क्रांति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की दिशा में महत्वपूर्ण थी और इसका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आगाज़ के रूप में महत्वपूर्ण है।1857 की क्रांति के बाद,स्वतंत्रता संग्राम ने और भी रूप धारण किया और अंत में 1947 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सफलतापूर्ण नतीजा दिलाया।.

MCQ सम्बंधित प्रशन

1.1857 के विद्रोह को किसने राष्ट्रीय विद्रोह कहा है?
1857 के विद्रोह को किसने राष्ट्रीय विद्रोह कहा है।

2.झारखण्ड मे 1857 का विद्रोह ?
झारखंड में सिपाही विद्रोह का आरंभ तत्कालीन संताल परगना जिला के रोहिणी गाँव में हुआ था। यह स्थान आज देवघर जिला के जसीडीह के निकट अजय नदी के किनारे स्थित है। इसकी 12 जून 1857 को 5वीं देशी अनियमित घुड़सवार सेना के कुछ जवानों ने किया था। रोहिणी में 32वी रेजिमेंट का मुख्यालय था।.

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१.1857 की क्रांति की शुरुआत किसने की
२. 1857 की क्रांति IAS Drishti
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