9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: निलावंती किताब

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रविवार, 23 जुलाई 2023

निलावंती किताब

nilavanti-granth

परिचय

दोस्तों हमारा भारतीय इतिहास कितना रहस्यमई है कि इसका अनुमान लगाना एक आम व्यक्ति के बस की बात नही है। इन्ही रहस्यों में से एक निलावंती नामक किताब है। बताया जाता है कि किताब को पढ़ने वाला व्यक्ति संपूर्ण प्रकृति से बात कर सकता है इतना ही नहीं भूत,भविष्य,वर्तमान में होने वाली घटनाओं के बारे में जान सकता है,व एक प्रभावशाली व्यक्ति बन सकता है।.

श्रापित किताब

कहते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है इसी मुहावरे के सामान यह किताब भी है बताया जाता है कि इस किताब को आधा अधूरा या पढ़कर ना समझ पाने वाला व्यक्ति पागल हो जाता है और जो पूरा पढ़कर समझ लेता है या तो वह बहुत बड़ा विद्वान हो जाता है या अनैतिक परिस्थिति में उसकी मौत हो जाती है। स्वामी विवेकानंद जी ने इस किताब को पढ़ा था।.

स्वामी विवेकानंद जी से किताब का संबंध

स्वामी विवेकानंद जी अपने समय काल के एक प्रभावशाली व्यक्ति थे।.10 भाषाओं के ज्ञान के साथ-साथ ही उन्हें अनेक पुस्तकों का भी ज्ञान था अपने भाषण के दौरान वे भारतीयों पर ही नहीं विदेशी लोगों पर भी अपना प्रभाव डालते थे।.जानकारों का मानना है कि उन्होंने भी इस किताब को पढ़ा था अनिश्चित समय में मृत्यु को प्राप्त होने की वजह से,भी लोग उनका नाम इस किताब के साथ जोड़ते रहते हैं।.

किताब से संबंधित अन्य बातें

1.बताया जाता है कि किताब को पढ़ा व्यक्ति पशु पक्षियों से बात कर सकता था,उनकी भाषा समझ सकता था।.और समय आने पर अपना काम निकलवा सकता था।.
2.वह भविष्यवक्ता बन जाता है यानी भविष्य की घटनाओं के बारे में जान सकता है।
3.सबसे पहले इस किताब की रचना कन्नड़ भाषा में हुई थी जो कि पेड़ के पत्तों पर लिखी गई थी।.बाद में विद्वानों ने इसे किताब का रूप देते हुए संस्कृत भाषा में लिखा।.
4.श्रापित किताब के बारे में यह एक अफवाह है कि इसे पढ़ने वाला व्यक्ति या तो पागल हो जाता है या मर जाता है।.
5.किताब के श्रापित और रहस्यमयी होने के कारण इस किताब को 1935 में भारतीय ब्रिटिश गवर्नमेंट द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था।.
6.यह किताब उत्तर प्रदेश के गांव में रहने वाले एक विद्वान मुंशी भगवानदास की पुत्री निलावंती द्वारा लिखी गई 1733 में।.
7.मान्यता अनुसार मुंशी भगवानदास की पुत्री द्वारा लिखी गई किताब (गणित सूत्रों) की किताब थी ।.जबकि कुछ लोगों का मानना है कि उसके नाम के आधार पर इस किताब का नाम निलावंती था,यह गणितीय सूत्र की किताब नहीं थी।.
8.निलावंती किताब अन्य किताबों की अपेक्षा बहुत बड़ी हैं।.

निलावंती किताब से संबंधित कहानी

कहानी के अनुसार बताया जाता है कि सदियों पहले उत्तर प्रदेश के एक गांव में मुंशी भगवानदास नाम के विद्वान रहा करते थे उनकी एक बेटी थी जिसका नाम निलावंती था बचपन से ही निलावंती रहस्यमयी लड़की थी,सामान्य बच्चों की तरह वह खिलौनों से नहीं खेलती थी।.उसने अपनी अल्पायु में ही सांप तथा अन्य हिंसक जीवों के साथ खेलना प्रारंभ कर दिया था इसके अलावा वे चिड़िया और पेड़ों के साथ बात भी किया करती थी।.शुरुआत में भगवान दास को यह सामान्य लगा मगर सांप जैसे हिंसक जीव के साथ खेलते देख उन्हें डर लगने लगा।.

उन्हें एहसास हुआ कि उनकी बेटी कोई सामान्य लड़की नहीं है।.लेकिन शास्त्रों का अच्छा ज्ञाता होने के कारण उनको पता था कि प्राकृतिक से बात करना कोई असामान्य घटना नहीं है गहन प्रयासों से इसे सीखा जा सकता है।. उस समय के दौरान काला जादू जैसी प्रथाएं चलन में थी। इसलिए जीवों की अपेक्षा अपने समाज से उन्हें अधिक डर था।.क्योंकि उस समय काल में सामान्य प्रतिभा से अधिक प्रतिभाशाली व्यक्ति को आसमान,दैत्य,राक्षस या चुड़ैल की उपाधि दे दी जाती थी।.और उन्हें लोगों द्वारा मार दिया जाता था क्योंकि भगवान दास की पत्नी भी ऐसी ही एक घटना का शिकार होकर मर चुकी थी।.

ऐसे मे उन्हें अपनी बेटी को भी खोने का डर सताने लगा।.उनके संपूर्ण जीवन का आधार उनकी बेटी नीलावंती ही थी। अतः उन्होंने वन में जाकर रहना प्रारंभ कर दिया यहां पर उन्हें अब कोई रोकने-टोकने वाला ना था।.धीरे-धीरे बिटिया बड़ी हो गई।उसके सीखने की लालसा और बढ़ने लगी भगवान दास को जो ज्ञान था वह बिटिया को देते,मगर जो उनके ज्ञान से परे था उसके लिए वह कहते कि तुम प्रकृतिक से इसके बारे में पूछो यह तुम्हारे हर सवाल का जवाब देगी।.अब निलावंती अपना ज्यादा समय जंगलों में बिताने लगी।.

निलावंती अंधेरी रात में उठकर जंगल में चली जाती उसे किसी चीज का डर नही था। अपने ज्ञान को एक जगह इकट्ठा करने के लिए वह बरगद के पत्तों का इस्तेमाल करती और ज्यादा समय बरगद के पेड़ के पास बिताती। धीरे-धीरे उसने दूसरी दुनिया के लोगों से भी बात करना प्रारंभ कर दिया।.वर्तमान में होने वाली घटनाओं के बारे में उसे पहले ही पता लग जाता था।. जैसे कल बारिश होने वाली है,तो वह आज ही लकड़ियों को तोड़कर संभाल कर रख देती थी। ताकि बारिश के दिनों में समस्याओं का सामना ना करना पड़े।.

दूसरी दुनिया का वजूद

दोस्तों जैसे हमारी दुनिया है उसी प्रकार एक अन्य दुनिया भी वजूद में है यहां के लोग हमारे दुनिया के लोगों से अधिक प्रतिभाशाली हैं। बताया जाता है कि हमारे देवी देवता जैसे ब्राह्म,विष्णु,महेश उसी दुनिया के वासी है जो हमारी अपने विपरीत (राक्षस-दैत्य) लोगों से रक्षा करते हैं।.जिस प्रकार हमारी दुनिया में अच्छे-बुरे लोग रहते हैं,ठीक उसी प्रकार उस दुनिया में भी अच्छे बुरे लोग रहते हैं।.जिन्हें हम देव और राक्षस के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा सिर्फ हमारे हिंदू धर्म के लोगों का मानना है लेकिन हम आपको बता दें कि मुस्लिम और मिस्र और अन्य विदेशी धर्म के लोग भी दूसरी दुनिया के वजूद को मान्यता देते हैं।.

मिस्र के लोगों की मान्यता एवं देवता

मिस्र के लोगों का मानना है कि मौत के बाद हमारे अच्छे बुरे का कर्मों का लेखा जोखा करने के लिए मौत के देवता उस ओसिसिरस हिंदू धर्म में जिन्हें यमराज के नाम से जाना जाता है आते हैं मरे व्यक्ति का दिल देखकर यह तय करते हैं कि उसे स्वर्ग में जाना है या नर्क में।.यह दूसरी दुनिया के वजूद का ही प्रतीक है।.
मिस्र के देवताओं की बात करे तो रा(सूर्यदेव),अतुम,च्नूम,अमुन,पिताह,रा,ओसिसिरस(यमदेव),अनुबिस,अतेन (सृष्टादेव),मिन,थोथ(चंद्रदेव),होरस आदि है।.इसी प्रकार norse माइथोलॉजी जिसे यूरोप के देशों में माना जाता है के देवता ओडिन, थोर,लोकी,बोल्डर,फ्रिग,हेल,हैमडॉल,फ्रीयर,फ्रिघ,विडर,सिफ,वाली,फोरसेटी,क्वसीर आदि थे। जैसे थोर तूफान का देवता है,उसकी प्रकार अन्य देवता भी किसी न किसी शक्ति के मालिक हैं।

कहानी का अगला भाग (जंगल की घटना)

एक रात जंगल में लुटेरों ने एक व्यापारी का पीछा किया उसका धन लूटने के लिए।.व्यापारी भागकर बरगद के पेड़ के पास आकर छुप गया,धन तो उन लोगों ने लूट लिया था।.मगर व्यापारी अपनी जान बचाने में सफल रहा।.उसके बदन पर ढेर सारी चोटें आए थी।.जिसकी वजह से वह बेहोश हो गया,जब उसे होश आया तो उसने देखा कि कोई स्त्री उसके जख्मों पर मरहम लगा रही है। उसे देखते ही वे उसके प्रेम में पड़ गया। अतः उसने अपनी शादी का प्रस्ताव निलावंती के आगे रखा। निलावंती ने शर्त रखी कि वह रोज रात कहां जाती है इसके बारे में वे कभी नहीं पूछेगा।.व्यापारी मान गया और उन दोनों ने शादी कर ली।.

बिटिया की शादी पर भगवानदास भी खुश थे उन्हें लगा कि निलावंती में अब बदलाव आ जाएगा।.निलावंती अपने पिता के घर को छोड़कर अपने पति के घर आकर रहने लगी।.मगर रात में उसकी जंगल में घूमने की आदत न छूट पाई।. उसका पति शर्तानुसार उससे कभी यह नहीं पूछा सका।.एक रात निलावंती को पक्षी के रूप में एक अजीब जीव से मुलाकात हुई,जिसने उसे बताया कि तुम्हारी जगह इस लोक में ना होकर हमारे जैसे बुद्ध जीवो के बीच है।.मगर इसके लिए तुम्हें तप करना होगा,(यहां पर हमें काला जादू जैसी प्रथाओं के बारे में जानकारी मिलती है।जिनमें जंतुओं की बलि दी जाती थी) इधर निलावंती के गांव में 1 से 4 साल वर्ष के बच्चों के अपहरण की घटनाएं तेज होने लगी।.(काला जादू जैसी प्रथाएं वर्तमान समय में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित है)मगर उस समय यह आम बात थी मानवीय स्वभाव के कारण निलावंती ने अपने पति को अपने द्वारा रचित किताब के बारे में और उसके गुणों के बारे में बताया।

निलावंती ने बताया कि इस पत्तों की किताब में लिखे मंत्रों की सहायता से किसी भी पशु-पक्षी को अपने वश में किया जा सकता है।.जमीन में गड़ा सोना,धन निकाला जा सकता है।(उस समय के लोग धन को सुरक्षित रखने के लिए जमीन में गाड़ देते थे) व्यापारी के मन में लालच आ गया है उसने अपनी पत्नी से किताब लेनी चाहि मगर उसकी पत्नी निलावंती ने किताब देने से इंकार कर दिया।. व्यापारी ने किताब लेने के लिए षड्यंत्र रचा। रात में निलावंती के पीछे-पीछे उसका पति जंगल में गया।. बरगद के पेड़ के पास उसे मंत्र का जप करता देख वह डर गया।.वापस जाकर वह गांव वालों को साथ लेकर वहा आया,गांव वालों ने उसे पकड़ कर जिंदा जला दिया।.मगर निलावंती को अपने पति के रचे षड्यंत्र का पता चल गया।.

उसने किताब को श्राप दिया: उसने कहा जो भी इस किताब को पढ़ेगा वह मर जाएगा या पागल हो जाएगा।.हालांकि इसे एक नेक व्यक्ति पढ सकता है उसे इस श्राप का कोई असर नहीं होगा।.किताब तो निलावंती के पति को मिल गई मगर वह जल्द ही पागल बनकर भ्रमण करने लगा,यह किताब समय के साथ-साथ कई लोगों के हाथ में गई।.एक ब्राह्मण ने इसका संस्कृत रूपांतरण किया इसे पत्तों से किताबी पन्नों पर लिखा।.बताया जाता है आज भी यह किताब मौजूद है स्वामी विवेकानंद जी द्वारा इस किताब को पढ़ा गया था 1933 में भारत में ब्रिटिश गवर्नमेंट द्वारा इस किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया।.तब से अब तक यह किताब सरकार द्वारा प्रतिबंधित है और यह कहां है यह कोई नहीं जानता।.

15 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Nilavati Granth Kahan milega

बेनामी ने कहा…

Yah kitab abhi kanha par hai kya ise koi bhi nhi padh skta agar koi padhana chahe to ye kitab kaise mil skta hai kyoki kitab me khajane na Jadu tona balaki usse kuchh alag hai yah kitab mai padhana chahunga

बेनामी ने कहा…

मै किताब को पडना चाहता हू

बेनामी ने कहा…

Nilavnti book kaha par he

बेनामी ने कहा…

Nilavnti book kaha par he

बेनामी ने कहा…

Kahan hai koi batayega

बेनामी ने कहा…

Mujhe ashlee neelavati Granth chahie

बेनामी ने कहा…

Muze Sona chandi to nhi chahiye ...lekin me ise pdhna chhati hu ak bar ... intresting lg rhi he ye

बेनामी ने कहा…

Hme v ye kitab padhni hai pls btae kaha milega

MOKSH YADAV ने कहा…

I HAVE ORIGINAL NEELWANTI GRANTH PDF OF 1526 PAGES IF ANYONE WANTS MESSAGE ME ON 8307682853.
FIX PRICE ₹4000/-

MOKSH YADAV ने कहा…

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बेनामी ने कहा…

इस ग्रंथ को मैं भी पढ़ना चाहता हूं

बेनामी ने कहा…

Ok

बेनामी ने कहा…

Kashh ye hoti to m jarur pedta

बेनामी ने कहा…

मान्यताओ की माने तो निलावंती ग्रंथ ऐक श्रापित और खतरनाक ग्रंथ है.
लेकीन इतकी मदत से बोहत कुछ अच्छा भी किया जा सकता है. जैसे पेड, पशु, इंसान और अन्य जिवो की रक्षा उनकी सहायता
संसार मे आज भी बोहत से ऐसे व्यक्ती है जो अपने स्वार्थ के कारण दुसरो की जान देना पसंद करते है.
लेकीन इस ग्रंथ के कारण कोइ जीवो को बचाया जा सकता है.
अगर निलावंती ग्रंथ ओरीजनल मिल जाए तो मैं इसे जरुर पढना चाहुंगा...