9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: आरक्षण को नौवी सुची मे डालने कि गुजरिश

सोमवार, 15 मई 2023

आरक्षण को नौवी सुची मे डालने कि गुजरिश

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परिचय

भारत में आरक्षण सकारात्मक कार्रवाई की एक प्रणाली को संदर्भित करता है जिसका उद्देश्य विभिन्न समुदायों के बीच ऐतिहासिक सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को संबोधित करना है। इसे शिक्षा,रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कुछ लाभ और अवसर प्रदान करके हाशिए पर रहने वाले और वंचित समूहों के उत्थान के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारत में आरक्षण प्रणाली मुख्य रूप से जाति और जनजाति की पहचान पर आधारित है। भारतीय संविधान,अनुच्छेद 15 और 16 के तहत,अनुसूचित जाति (एससी),अनुसूचित जनजाति (एसटी)और अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) के लिए शैक्षणिक संस्थानों में सरकारी विभागों में आरक्षण का प्रवधान कर दिया गया था। बीते दिनो में  मुख्य मंत्री बघेल ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपील की,कि"आरक्षण को संविधान की 9वी अनुसूची में डाल दिया जाए।" यह बात उन्होंने वंचित और पिछड़े वर्ग के समुदाय के लोगो के कल्याण का हवाला देते हुए कही।.हालाकि इस पर अभी राज्यपाल की सहमति प्राप्त नहीं हुईं है। बीते दिनों छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा आरक्षण सरंक्षण विधेयक पारित किया गया । जिसके तहत अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत,अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत,अनुसूचित जनजाति को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने रायपुर में भाषण देते हुए ये कहा कि हम लगातार इसकी मांग कर रहे है। हमने इस विधेयक को विधान सभा द्वारा पारित कर दिया है।.केंद्र सरकार लगातार भर्तियों पे रोक लगा रही है और जब राज्य सरकार भर्ती करना चाह रहीं है तो हमारा आरक्षण बिल रोका दिया गया है,इससे हित ग्राहियो को नुकसान हो रहा है।.सीo एमo बघेल ने कहा कि मैं राज्यपाल से फिर से आग्रह करता हूं कि या तो इसे वापिस कर दे य अपनी सहमति दे।.
छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन पर बवाल जारी हैं। इसे लेकर कई बार राजभवन और सरकार के बीच टकराव हो चुका हैं। गौरतलब हैं कि19सितंबर को हाईकोर्ट बिलासपुर  कि तरफ से राज्य के 58 प्रतिशत आरक्षण को मंजुरी नही दि गई थी।.जिसके बाद आदिवासी समुदाय ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।.सड़को पर रोजाना हो रहे प्रदर्शन के कारण,मुख्य मंत्रि ने 2 दिसंबर को st,obc और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया,(विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर)।.इसके बाद राज्य में आरक्षण 76 प्रतिशत हो गया,मगर तत्कालीन राजपाल ने इस विधेयक मंजूरी नहीं दी।.मुख्य मंत्रि बघेल कि पर्टि ने बुलाकर विशेष सत्र आरक्षण विधेयक बिल पास कर दिया और इस बिल को हस्ताक्षर के लिए राजपाल के पास भेज गया।.लेकिन इस बिल पर राजपाल ने हस्ताक्षर नही किया। राजपाल ने तर्क देते हुए कहा!कि आरक्षण की यह सीमा उच्चतम न्यायालय के अधिकतम कैप 50 प्रतिशत से अधिक है।.इस प्रकार यह विधेयक संविधानिक नियमो के खिलाफ है।.यहि वजह है कि छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री ने आरक्षण को नौवी अनुसूची ने डालने की गुजरीश प्रधानमंत्री जी से करी थी।.

आरक्षण की नौवी अनुसूची

नौवी अनुसूची में शामिल कानूनों को न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती।.इस अनुसूची को 1951 में संविधान के पहले संशोधन अधिनियम के तहत जोड़ा गया था। नौवी अनुसूची में शामिल विभिन्न कानूनों को संविधान के अनुच्छेद 31 बीo के तहत संरक्षित किया गया है।.सोमवार को कर्मा महोत्सव पर कांकेर पहुंचे सी0 एम0बघेल ने अपने भाषण में कहा कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को न्याय दिलाने के लिये राजपाल को नए विधेयक पर हस्ताक्षर करना होगा।.मंत्री जी ने आगे कहा कि जल्द हि अलग-अलग विभागो में रिक्त 27 हजार पदों पर भर्तियां प्रारम्भ होंगी। हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित था जिसके कारण भारतीयों पर रोक लगी हुई थी।. उन्होंने कहा की अब सुप्रीम कोर्ट का स्टे आर्डर आने के बाद ही भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ की जायेगी ।.राजपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिया हैं और सुप्रीम कोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण पर लगी रोक को हटा दिया हैं।.इसके साथ ही 58 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर भर्ती प्रक्रिया और प्रमोशन के निर्देश भी दिए हैं।.सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकारी नौकरियों में भर्ती,प्रयोजन और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश का रास्ता साफ हों गया। 

58 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना जारी की गई थी 2012 में और रोस्टर जारी किया गया था प्रदेश की आबादी के आधार पर।.इसके अनुसार ओबीसी को 14 प्रतिशत और अनुसूचित जन जाति को 20 की बजाए 35 प्रतिशत,अनुसूचित जाति को 16 की बजाए 12 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था जिसके चलते आरक्षण दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ कर 58 से ज्यादा हो गया था।.इसी के कारण इस विधेयक पर रोक लग गई थी।.वर्तमान समय में इस विधेयक को सहमति मिल गईं है।.दोस्तो भारत में आरक्षण पे बात करना (यानी आरक्षण के पक्ष में या इसके खिलाफ)होने से है।ऐसे भारतीय राजनेता इस मुद्दे पर बहस करने से कतराते है। क्युकी अगर आरक्षण दिया तो जनरल कैटेगरी के लोग नाराज होंगे। जोकि भारतीय जनसंख्या के हिसाब से लगभग 20 प्रतिशत है। और बाकी में sc,obsतथाst कैटेगरी आती है। इसमें सेobc कैटेगरी की जनसंख्या सबसे अधिक है।.यानी कुल जनसंख्या का लगभग 40obc कैटेगरी में आता है। बचे 40 प्रतिशत में sc,stकैटेगरी के लोग आते है। ऐसे में अगर आरक्षण के खिलाफ बोला जाए तो 80 प्रतिशत वोटो से हाथ धोना तय है। हालाकि की संविधान में 50 प्रतिशत आरक्षण देना अनुमन्य किया गया है।.मगर इस नए आरक्षण से इसका प्रतिशत 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है। संविधान के निर्माण कर्ताओं ने आरक्षण को समाज के पिछड़ा वर्ग या शोषित वर्ग को समाज के विकसित वर्ग के समक्ष लाने के लिए इसका प्रावधान किया। मगर आज के समय में इसकी स्थिति उल्टी पड़ती नजर आ रहीं है।. 

आरक्षण नीति में निम्नलिखित प्रमुख घटक शामिल हैं 

1.अनुसूचित जातियाँ(एससी)

ये ऐसे समूह हैं जिन्हें ऐतिहासिक रूप से "अछूत" माना जाता है और अत्यधिक सामाजिक भेदभाव के अधीन हैं। वे अपने सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आरक्षण लाभ के पात्र हैं।.

2.अनुसूचित जनजाति(एसटी)

ये स्वदेशी आदिवासी समुदाय हैं,जो अक्सर दूरदराज और आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में रहते हैं।उन्हें अपनी जीवन स्थितियों में सुधार करने और अपना प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण मिलता है। 

3.अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी)

इस श्रेणी में विभिन्न समुदाय शामिल हैं जिन्होंने सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का सामना किया है।ओबीसी को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में कुछ प्रतिशत आरक्षण मिलता है।आरक्षण कोटा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकता है और समय-समय पर इसकी समीक्षा और अद्यतन किया जाता है। कुछ मामलों में एससी,एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रतिशत 50% से अधिक हो सकता है,जिससे आरक्षण नीतियों की सीमा और प्रभाव के बारे में बहस हो सकती है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि आरक्षण प्रणाली की हाशिए पर मौजूद समूहों को अवसर प्रदान करने के लिए प्रशंसा भी की गई है और विभिन्न कारणों से इसकी आलोचना भी की गई है,जिसमें विपरीत भेदभाव और जाति-आधारित पहचान को कायम रखने की चिंताएं भी शामिल हैं। वर्षों से,भारत में आरक्षण नीति की प्रभावशीलता और दायरे के बारे में चर्चा और बहस चलती रही है।हम जल्द ही इस विषय पर एक नया ब्लॉग ले कर आएंगे जिसमें इस विषय पर विस्तृत चर्चा कि जाएगी। आप भी अपने विचार हमसे साझा करना न भूले।.यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर आपको निष्पक्ष तथा अपने फायदे को एक तरफ रख कर सोचना होगा तभी आप सही तथ्य तक पहुंच पाएंगे।.

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