9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: प्राचीन भारतीय मुद्रा प्रणाली

शनिवार, 13 मई 2023

प्राचीन भारतीय मुद्रा प्रणाली

indian rupee

परिचय

नमस्कार दर्शको आपने अक्सर दोस्तो से ,घर,परिवार य सिनेमा मे अक्सर इस तरह के मुहावरे सुने होंगे,जैसे पाई पाई का हिसाब लूंगा।,एक फूटी कोड़ी भी नहीं देने वाला। या बात सोलह आने सच है,चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।.आज हम इस ब्लॉग में प्राचीन भारत में प्रयोग होने वाली (दमड़ी,पाई,आने,कोड़ी,फूटी कौड़ी) के बारे में बात करने जा रहे हैं। शायद ही किसी ने इनका इस्तेमाल होते हुए अब देखा हो मगर नाम सब जानते है।.दोस्तो प्राचीन मुद्रा की बात करे तो सबसे पहले आती है क्रमवार देखे 1. फूटी कौड़ी, 2.कौड़ी 3.दमड़ी 4.धेला 5.पाई 6.पैसा 7.आना 8.रुपया।. 

प्रयोग में कैसे लेते थे।

 I दोस्तो 3 फूटी कौड़ी मिलाकर = 1साबुत कौड़ी बनती थी।. 

II इसी क्रम में  10 कौड़ी मिलकर = 1 दमड़ी।. 

III 2 दमड़ी =1धेला के।.

IV 1धेला = 1.5 पाई के।.

V 3 पाई= 1 पैसा के।.

VI 4 पैसा= 1 आना के।.

VII 16 आना= 1 रुपया के होता था।.

यानी 1 रुपया = 265 दमड़ी, 192 पाई ,128 धेला, 64 पैसा और 16 आने के बराबर होता था।.रूपए शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग शेरशाह सूरी ने अपने 1540 से 1545 शासन काल के दौरान किया था। इन्होने रुपए का जो सिक्का चलाया वह चांदी का था जिसका वजन लगभग 11.543 ग्राम का था।. ताम्बे के सिक्के ! जिन्हे हम दमडी भी  कहते है,और सोने के सिक्के जिन्हे हम मोहर कहते थे शेरशाह सुरि द्वारा हि चलाये गये थे।.जब रुपया बना तो इसका दशमलवी करण नही हुआ था। 1957 ईस्वी में रुपए का दशमलवी करण भारत में हुआ।. इसी क्रमवार 1869 में श्री लंका में और 1961 में पाकिस्तान में रुपए का दशमलवी करण हुआ।.इस प्रकार हम देख सकते है कि एक समय काल में रुपया एक बड़ी मुद्रा था। और फूटी कौड़ी सबसे छोटी मुद्रा थी।.

1950में ही रुपए का पहला सिक्का बन के तैयार था मगर 19अगस्त 1757 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कलकत्ता में रुपए का पहला सिक्का बनाया।. बंगाल के नवाब के साथ , ईस्ट इंडिया कंपनी की सन्धि के बाद कलकत्ता में पहली टक्साल का निर्माण 1757 में ही हुआ।. जो की 1791 तक ही रही।.इसके बाद इसका स्थान अंतरण किया गया।. 1947 में रुपए की सबसे छोटी इकाई को बंद कर दिया गया यानी (कौड़ी,दमड़ी, धेला,पाई ) को बंद कर दिया गया।.इसी क्रम 1 पैसा 1957 से 1972 तक चलन में रहा।. दोस्तो ३ पैसे क सिक्का लगभग 1974 से पहले और 5 पैसे का सिक्का 1994 मे बनाया गया।. 2011में इन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया।. 2 रूपए का सिक्का 1982 में , 5 रुपए का सिक्का 1992 में , 10 रुपए का सिक्का 2006 में ढाला गया ।.

विदेशी मुद्रा पर भारतीय मुद्रा का असर

दोस्तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कभी रुपया डॉलर से बडा हुआ करता था। 
1. 1917 ने 1 रुपया = 13 डॉलर के होता था।
2. मगर 1947 में 1रुपया = 1डॉलर हो गया । 
3. 1948 से 1966 तक रुपया से डॉलर 4.66 रुपए बड़ा हो गया । 
4. 1951 में सरकार ने पहली पंचवर्षीय योजना के लिए कर्ज लिया।. 
5. 1975 में डॉलर 8.39 रुपए बढ़ गया।. 
6. 1985 तक डॉलर 12 रुपए अधिक बड़ा हो गया।.
7. 1991 में बेतहाशा महंगाई, विकास दर में कमी, और विदेशी मुद्रा भंडार कम होने से  डॉलर 17.90 रुपए तक पहुंच गया।.
8. 1993 में 1 डॉलर 31.37 रुपए हो गया।
9. 2000 से लेकर 2010 तक डॉलर की कीमत 40 से 50 तक हों गई।.
10.2013 में डॉलर की कीमत65.50 रुपए तक पहुंच गई।
11. वर्तमान समय यानी 2023 में 1 डॉलर 82.26 रुपए के बराबर है।.

रूपए की कीमत गिरने के प्रमुख कारण

1.बेताहाशा महंगाई 2.विकास दर में कमी 3. विदेशी मुद्रा कोष का कम होना 4. 1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध। 5.चौथी पंचवर्षीय योजना का लागू होना।.

1. बेतहाशा महंगाई 
कम समय में वास्तु का दाम काफी बढ़ जाना।. प्राकृतिक आपदा के कारण गरीबी बढ़ना क्युकी अगर फसल नहीं होगी बची हुई फसल की कीमत बढ़े गी।. काला बाजारी के कारण।.वास्तु की मांग बढ़ने और निर्माण कम होने के कारण । परियोंजाओ का सुचारू रूप से न चलना।.

2. विकास दर में कमी
इसका अर्थ आर्थिक संकट से है यानी सकल घरेलू उत्पाद में कमी आने से हैं। इसके अलावा विदेशी मुद्रा कोष,सोना, SDR(special drawing right),
IMF(international monetary fund, आरक्षित भंडार में कमी से है। इसके साथ ही उद्योगिक नीतियों में तकनीकी विकास की कमी। सरकार पर विदेशी कर्ज का अधिक होना। आयात अधिक और निर्यात काम होना। शिक्षा दर में कमी या जानकारी में कमी आदि मुख्य कारक है।.

3.विदेशी मुद्रा कोष का कम होना
इसका प्रयोग अंतराष्ट्रीय लेन देन के लिए किया जाता है यह एक बॉन्ड के रूप में होता है जैसे केरल का मसल बांड आदि।.विदेशी से आयात निर्यात के लिए ,किसी परियोजना को लागू करने या प्रस्तावित करने में लगी राशि के रूप में । या केंद्रीय बैंक से लिए कर्ज के निपटरण के लिए किया जाता है।.

4.1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध
1971 में भारत पाकिस्तान के बीच तीसरा युद्ध प्रारम्भ हों गया। युद्ध सदैव ही किसी देश के लिए आर्थिक हानि के साथ, महंगाई के बढ़ने का मुख्य कारक राजा है। इस युद्ध के दौरान ब्रिटेन, अमेरिका,पाकिस्तान,चीन एक जुट हों गए।.लेकिन फिर भी भारत की जीत हुई।. मात्र रुस ने भारत का सहयोग किया । 1948 की सन्धि में सहायता की। लगभग 94000 सैनिक बंदी बनाए गए। इस युद्ध के परिणाम स्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ। जो पहले भारत और अब पाकिस्तान के अंतर्गत आता था।.

5.चौथी पंचवर्षीय योजना
1969-1974 में प्रधान मंत्री इंद्रा गांधी ने लागू किया। जिसके तहत पी एम साहिबा ने 1.सर्वप्रथम बैंको का राष्ट्रीय करण किया। 2.हरित क्रांति से कृषि उन्नत की।3.1874 में बंगाल की खड़ी में सातवे बेड़े के रूप में (स्माईलिंग बुद्धा भूमिगत परमाणु परमाणु परीक्षण सफलता पूर्वक किया गया)। इस योजना के दौरान ही 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध हुआ ये भी एक कारण था।

6.विदेश नीति
दोस्तो भारत सदैव विकसित देशों का गुलाम रहा है। विकसित देशों की सहमति से ही भारत अपनी योजनाओं को अंजाम देता आया है यह देश हमेशा किसी न किसी परियोजन से देश के निजी कार्यों में हतक्षेप करते रहे है।.चाहे किसी परियोजना में तहत या सामूहिक संगठन के तहत जैसे पर्यावरण प्रदूषण,बढ़ती जनसंख्या,मानव समनता के अधिकार को लेकर अंतराष्ट्रीय संस्थाएं बनाते रहे है जिसके तहत देश को उनके सर्वे के तहत अपनी योजना को अंजाम देना या रोकना होता है। जिसमे भारत किसी नहीं चलती हैं।.अतः उपरोक्त कारणों से देश की आर्थिक स्थिति डगमगा गई। भारत सरकार पर पढ़ते कर्ज को देखते हुए 1957 इंद्रा गांधी की मौजूदा सरकार ने रुपए में को कीमत में बदलाव किया । रूपए को 100 पैसे का बना कर इस से छोटी मुद्राओं को बंद कर दिया। इसी बीच 2010 रुपए के चिन्ह की खोज उदय कुमार ने की। जिसके लिए उन्हें 2.5लाख का इनाम दिया गया। इसके साथ ही भारत ने मुंबई∆,कलकत्ता, नोएडा•, हैदराबाद *, टक्साल का निर्माण हुआ।.अंग्रेज तो रुपए को भारत से विलुप्त कर अपनी मुद्रा पाउंड को भारतीय मुद्रा बनाना चाहते थे। मगर एक समय में रुपए का पाउंड से बड़ा होने के कारण ये संभव न हो सका।.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें