भारत में जल्द ही लांच हो सकती है D2M service
यह अपने आप में बहुत खास सर्विस है। बताया गया है की इसकी मदत से आपको अपने मोबाइल पर वीडियो कंटेंट देखने में मोबाइल डाटा की जरूरत नही पड़ेगी।. इसके साथ ही सभी OTT प्लेट फार्म और वीडियो कॉलिंग जैसी सर्विसेज बिना मोबाइल इंटरनेट के आप इस्तेमाल कर सकेंगे।.इतना ही नहीं विशेषज्ञों का दावा है की वीडियो ही नही इंटरनेट पर जीतना भी कंटेंट है जैसे facebook,Twitter,youtube,सभी को एक्सेस कर सकेंगे।.दरअसल हाल ही में IIT kanpur,DEPARTMENT OF TELECOMMUNICATIONS,PRASAR BHARTI मिलकर इस प्रोजेक्ट पे काम कर रहे है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि इस टेक्नोलॉजी का अविष्कार हमारे भारत में हुआ है।. जानकारों का कहना है कि यह सेम उसी तरह काम करेगा जैसे आप अपने फोन पर FM REDIO सुनते है।
D2M service से होने वाले फ़ायदे:
1.इस तकनीक के आने से काल ड्रॉप की समस्या कम होगी। 2.हमे किसी मोबाइल टावर पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। 3.बिना बफरिंग के आप वीडियो कांटेंट उच्च क्वॉलिटी में आसानी से देख सकेंगे।.4.इसके साथ ही विकट परिस्थितियों में सरकार जब चाहेगी किसी भी सर्विस को एक्सेस कर सकेगी और उसे प्रतिबंधित कर सकेंगी।.5.उद्योग जगत को भी इस सर्विस के आने से बहुत लाभ होगा क्युकी आए दिन हम देखते है हर जगह मोबाइल टावर लगाए जा रहे है जिनमें टेलीकॉम ऑपरेटर को काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। इस सर्विस के लांच होते ही कही भी किसी टावर की आवश्यकता नहीं होगी।.
तकनीक का अविष्कार और सहयोग
हाल ही में iit kanpur ने रेडियो फ्रीक्वेंसी को demodulate करके एक नई फ्रीक्वेंसी की खोज की है जिसकी सहायता से मोबाइल नेटवर्क सर्विस को ब्रॉडकास्ट किया जा सकता है।अब रेडियो फ्रीक्वेंसी का नाम आते ही हमारी प्रसार भारती यानि रेडियो ब्रॉडकास्टिंग विभाग आकाशवाणी का नाम सामने आता है बीते कुछ वर्षों से प्रसार भारती का कार्य काल खराब ही चल रहा है क्युकी d2h service और internet जैसी सेवाओं ने लोगो की रेडियो से दूरी सी बना दी है। लोग ज्यादा समय इंटरनेट पर या टीवी देखने में बीता देते है।.ऐसे में प्रसार भारती कही पीछे छूट सी जाती रही है। सरकार भी इस विभाग को जल्द ही बंद करने वाली थी क्युकी इससे सरकार पर नाजायज़ आय भार बढ़ रहा था। मगर iit kanpur के इस नए इन्वेंशन ने उम्मीद की एक नई किरण जगा दी है।.इसके साथ ही डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन विभाग ने भी अपनी सहमति दे दी है।
तकनीक के मुख्य कारक और संभावनाएं
जैसा कि हम जानते है रेडियो फ्रीक्वेंसी की तीन किस्में होती है जैसे medium waves ,short waves ,और fm.
Short waves:
इस फ्रीक्वेंसी को अयन मंडल की आवेशित परमाणुओं की परत से प्रवर्तित या आवृति किया जा सकता है। आकाश में एक कोण पर निर्देशित करके छोटी तरंगों को क्षितिज से परे बड़ी दूरी पर पृथ्वी पर वापिस परावर्तित किया जा सकता है । इसे skyway या skip प्रसार भी कहा जा सकता है।.यह तरंगे 64 km य 40 km तक सीमित होती है।. यह high frequency redio waves के विपरीत सीधी रेखाओं में ( लाइन ऑफ विज़न में ) यात्रा करती है।.इस फ्रीक्वेंसी का अविष्कार 1960 से 1980 के बीच cold war के दौरान हुआ था।.ज्यादा उम्मीद है की लोकल नेटवर्क सर्विस की ब्रॉडकास्टिंग इसी फ्रीक्वेंसी पर होगी।.
Medium waves
इन्हे लॉन्ग वेव्स तरंगे भी कहते है। क्युकी यह 200 km se 1200 किलोमीटर के एरिया को कवर कर सकती है। मगर अधिक दूरी होने पर एक ही लैटिट्यूड एरिया से कई फ्रक्वैंसी पकड़ने से ये क्लियर ऑडियो क्वॉलिटी देने में सक्षम नहीं हैं। मगर कम बैंड होने पर यह अच्छा काम करती है। 1920 के दशक से 1950 के दशक के बीच में इसका अविष्कार हुआ।.आंकड़ों की माने तो 4.5 से 10 khz फ्रक्वैंसी अनुसार Short waves से MEDIUM WAVES पीछे है।.
Fm:
1933 में Edwin Armstrong द्वारा इसका अविष्कार किया गया।. इस फ्रीक्वेंसी पर प्रसारित प्रोग्राम काफी accurate होते है ज्यादातर music और other program के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।.
Edwin Armstrong:
एडविन हॉवर्ड आर्मस्ट्रांग (1890-1954) एक अमेरिकी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और आविष्कारक थे जिन्होंने रेडियो संचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें FM (फ़्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन) रेडियो पर उनके अग्रणी काम के लिए जाना जाता है। एडविन आर्मस्ट्रांग और उनकी उपलब्धियों के बारे में कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
1.FMरेडियो: 1930 के दशक की शुरुआत में, आर्मस्ट्रांग ने वाइडबैंड फ़्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन (एफएम) का आविष्कार किया, जो आवृत्ति को अलग करके वाहक तरंग पर जानकारी एन्कोड करने की एक विधि थी। एफएम ने बेहतर ध्वनि गुणवत्ता, शोर और हस्तक्षेप के प्रति अधिक प्रतिरोध और स्टीरियो सिग्नल प्रसारित करने की क्षमता प्रदान की। एफएम रेडियो में आर्मस्ट्रांग की प्रगति ने प्रसारण में क्रांति ला दी और इसे व्यापक रूप से अपनाया गया।.
2.पुनर्योजी और सुपरहेटरोडाइन रिसीवर: एफएम पर अपने काम से पहले, आर्मस्ट्रांग ने पुनर्योजी और सुपरहेटरोडाइन रिसीवर का आविष्कार किया था। पुनर्योजी रिसीवर ने सकारात्मक प्रतिक्रिया का उपयोग करके रेडियो संकेतों को प्रवर्धित किया, जिससे रिसेप्शन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ। सुपरहेटरोडाइन रिसीवर, जो आज भी रेडियो में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, आसान प्रवर्धन के लिए आने वाले रेडियो संकेतों को एक निश्चित मध्यवर्ती आवृत्ति में परिवर्तित करने के लिए एक मिश्रण प्रक्रिया का उपयोग करता है।.3.आर्मस्ट्रांग ऑसिलेटर और फ़्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन: आर्मस्ट्रांग ने आर्मस्ट्रांग ऑसिलेटर विकसित किया,जो एक अत्यधिक स्थिर इलेक्ट्रॉनिक ऑसिलेटर है जो निरंतर आवृत्तियाँ उत्पन्न कर सकता है। उन्होंने शोर में कमी और सिग्नल निष्ठा के मामले में आयाम मॉड्यूलेशन (एएम) पर अपनी श्रेष्ठता का प्रदर्शन करते हुए, आवृत्ति मॉड्यूलेशन की समझ और अनुप्रयोग में भी महत्वपूर्ण प्रगति की।
अतः D 2 M service इन्हीं फ्रीक्वेंसी मे से किसी एक पर आयेगी ।.हम जानते है की हमारा देश काम budget में उत्तम कार्यों के लिए जाना जाता है ।.यह तकनीक भी हमारी इसी नीति का नतीजा है।.विदेशों में इसी तकनीक के तहत बलून टावर लगाए,मगर वह सफल न हो सके। अतः यह तकनीक अब तक की टेलीकम्युनिकेशन की सबसे उत्तम तकनीक साबित हो रही है।.क्योंकि इसमें कम लागत में सबसे फास्ट सर्विस मिलने की संभावना है।.
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