9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: दक्षिण भारत एवं संपूर्ण चालुक्य वंश

यह ब्लॉग खोजें

लेबल

in

गुरुवार, 23 मार्च 2023

दक्षिण भारत एवं संपूर्ण चालुक्य वंश

Dhakshin-bharat-rajvansh

परिचय

दक्षिण भारत को दक्षिणापथ के नाम से भी जाना जाता है। यह विंध्या पर्वत से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। दक्षिणी भारत की दो भुजाए है प्रथम पूर्वी घाट,द्वतीया भुजा पश्चिमी घाट।
पूर्वी घाट: यह उड़ीसा राज्य के गंजाम से लेकर तिरूनेल्वेलि तक फैला हुआ है। पश्चिमी घाट: महाराष्ट्र के कुर्डे वर्री से प्रारंभ हो कर,कर्नाटक के दक्षिण में नीलगिरी की पहाड़ियों तक फैला हुआ है। यहीं दोनो घाटों का मिलन भी होता है।.दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों की बात करे तो नर्मदा,गोदावरी,कृष्णा,तुंगभद्रा,कावेरी आदि प्रमुख नदिया है।महाभारत में उल्लेख मिलता है कि सहदेव ने सुदूर दक्षिण के पंड्या राज्य को जीता था। महाभारत के वर्णन के ही अनुसार दक्षिणी भारत की उत्तरी सीमा विदर्भ(बरार) तथा कौशल महानदी की ऊपरी घाटी तक थी।. उत्तरी भारतके द्रविड़ राज्य को ही तमिल देश कहा जाता है।.

दक्षिण भारत के राज वंश

दक्षिण भारत के राजवंशों की बात करे तो इसमें सर्वप्रथम 1.चालुक्य वंश2.राष्ट्रकूट वंश3.कांची के पल्लव वंश,4.मदुरा के पाण्डय वंश,तथा अन्य लघु वंशों के नाम सामने आते है लघु वंशों में 5.कदम्ब वंश 6.गंग वंश,7.वारंगल के काकतीय वंश,8.देवगिरी के यादव आदि के नाम आते है।

संपूर्ण चालुक्य वंश

यह वंश संपूर्ण दक्षिणी भारत का ही नही संपूर्ण भारत सबसे बड़ा वंश है। यह चार भागो में विभाजित थे।बादामी के चालुक्य वंश,कल्याणी के चालुक्य,चेंगी यानी आंध्रा प्रदेश के चालुक्य वंश,गुजरात के चालुक्य वंश।.

बादामी के चालुक्य

1.पुलकेशीन प्रथम (535-566ई.)तक।.यह इस वंश का संस्थापक था।
2.566 से 597 ई 0 तक कीर्ति वर्मन के शासन किया। कीर्ति वर्मन पुल्केशीन प्रथम का उत्तराधिकारी था।
3.597 से 610 ई o तक मंगलेश ने शासन किया। मंगलेश "कीर्ति वर्मन" का छोटा भाई था क्युकी कीर्ति वर्मन के बेटे छोटे थे।.
4.610 से 642 ई o तक सर्वशतिशाली शासक पुल्केशिन द्वितीय के शासन किया।
5.विक्रमा दीत्य प्रथम (655-681ई.)तक। 6. विनया दित्य (681-696ई.)तक।
7.विजया दित्य (696-733ई.)तक।
8.विक्रमा दित्य द्वितीय (733-747ई.) तक।
9.कीर्ति वर्मन द्वितीय (747-757 ई.) तक
चालुक्यो की पालो से युद्ध के कारण शक्ति कमज़ोर पड़ गई। और सामंत शक्तिशाली हो गए ।.राष्ट्र कूटो के उदय के साथ चालुक्य के मूल वंश का अंत हुआ। 753 ई. में सामंत एवं राष्ट्र कूट दांति दुर्ग ने इस वंश की स्थापना की तथा अंतिम शासक कर्क द्वितीय ने 972-974 ई.तक शासन किया।

पश्चिमी कल्याणी के चालुक्य

1.तैलप द्वितीय को कल्याणी के चालुक्य वंश का निर्माण कर्ता कहा जाता है। इसका राज्य 973 से 991 ई 0 तक में सीमित रह गया। 2.सत्याश्रय (997-1008ई.)तक। 3.विक्रामादीत्य पंचम (1008-1015ई.)तक। 4.जय सिंह द्वितीय (1015-1043ई.) तक। 5.सोमेश्वर प्रथम (1043-1068ई.) तक।. 6.सोमेश्वर द्वितीय (1068-1086ई.) तक। 7.विक्रमादित्य षष्ठी (1076-1126 ई.) तक। 8.सोमेश्वर तृतिया (1126-1138 ई.)तक। 9.जगदेकमल्ल द्वितीय (1138-1151ई.) तक 10.तैलप तृतीया (1151-1156ई.) तक। 11.सोमेश्वर चतुर्थ (1156-1189ई.) तक। सामंत देवगिरी के यादवों ने इसे पारास्त किया और कल्याणी पर अपना अधिकार स्थापित किया।.

चेंगी आंध्र पूर्वी चालुक्य

1.विष्णु वर्धन(615-633ई.) तक।2.जयसिंह प्रथम (633-663ई.) तक। 3.इंद्रवर्मन (663ई.) तक। 4.विष्णु वर्धन (633-663ई.)तक। 5. मंगि युवराज (672-697ई. ) तक। 6.जय सिंह द्वितीय (697-710ई.) तक।7.कोकिल विक्रमादित्य (710) ई.तक। 8.विष्णु वर्धन तृतीय( 710-746ई.) तक।9.विज्यादित्य प्रथम (746-764ई.)तक। 10.विष्णु वर्धन (764-799ई.) तक। राष्ट्र कूट शासक युवराज गोविंद द्वितीय के सामने इसने आत्म समर्पण कर दिया।

गुजरात के चालुक्य

1.मूलराज प्रथम (941-995ई.)तक। 2.भीमदेव प्रथम (1022-1064ई.)तक। 3.कर्ण (1064-1094ई.)तक। 4.कर्ण (1064-1094ई.)तक। 5.कुमार पाल(1143-1172ई.)तक। 6.अजय पाल(1172-1176ई.)तक। 7.मूलराज द्वितीय(1178ई)तक। 8.भीम द्वितीय(1197ई.) तक।1197 ई. कुतुबुद्दीन ऐबक ने भीम द्वितीय को परास्त कर दिया। भीम द्वितीय के मंत्री लवण प्रसाद ने गुजरात में बघेल वंश की स्थापना की।. गुजरात के चालुक्यो द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य उपाधियां उपर दिए गए लिंक पर जाकर आप देख सकते है।.

राष्ट्रकूट वंश

1. दन्ति दुर्ग प्रथम 650-670ई.तक।.2.इन्द्र प्रच्छकराज 670-690ई.तक।.3. गोविन्द राज 690-700ई. तक।.4.कर्क राज (यह गोविंद राज का पुत्र था। 5.इन्द्रराज (यह कर्क राज के तीन पुत्रो में से एक था। कर्क राज के तीन पुत्र इन्द्र,कृष्ण,नन्न थे।) 6.कृष्ण 756-773ई. तक।7.नन्न्न। इतिहास में इन शासकों संबंधित विस्तृत जानकारी अभी नहीं मिल पाई है परन्तु इन्द्र राज अपने भाइयों ने सबसे शक्तिशाली शासक था। 8.गोविन्द द्वितीय 773-780ई. तक।.9. ध्रुव या धारावर्ष 780-793 ई. तक।.10 गोविन्द तृतीय 793-814 ई.तक।.11.अमोघ वर्ष प्रथम 814-878ई. तक।.12कृष्ण द्वितीय 878-914 ई. तक। 13.इन्द्र तृतिया 914-929 ई.तक। 14.अमोघ वर्ष द्वितीय 929-930ई. तक। 15. गोविन्द चतुर्थ 930-936ई. तक।. 16. अमोघ वर्ष तृतीय 936-939 ई. तक। 17. कृष्ण तृतीय 939-967 ई. तक। 18. खोट्टिग 967-972 ई. तक। 19. कर्क द्वितीय 972-974 ई. तक।.इसे चालुक्य शासक तैलक द्वितीय ने 975 ई. में हरा कर अपना शासन स्थापित किया,और इस प्रकार राष्ट्र कूट शासन का अन्त हुआ।.

कांची का पल्लव वंश

संस्थापक सिंह वर्मन थे। वंश का प्रथम शासक इनका पुत्र 1.सिंह विष्णु 575-600ई.तक शासन किया।.2.महेंद्र वर्मन प्रथम 600-680 ई. तक। 3.नरसिंह वर्मन प्रथम 630-668 ई.तक। 4. महेन्द्र वर्मन द्वितीय 668-670ई. तक।.5.परमेश्वर वर्मन प्रथम 670-700ई. तक। 6.नरसिंह वर्मन द्वितीय 700-728 ई. तक।.7.परमेश्वर वर्मन द्वितीय 728-730ई. तक।. 8. नंदी वर्मन प्रथम 730-800ई. तक।.9.दांति वर्मन 800-846ई. तक। 10. नंदी वर्मन द्वितीय 846-869ई. तक। 11.नृप तुंग 869-880 ई. तक।.12.अपराजित 880-903 ई.तक।.इसकी हत्या चोल नरेश आदित्य प्रथम ने की थी।.13.नन्दी वर्मा चतुर्थ 904-926 ई. तक।14. कम्प वर्मा 926 से 948 ईस्वी तक।.अंत में चोल शासकों द्वारा इस वंश का अंत कर दिया गया।.

पांड्या राज्य

अपने समय काल अनुसार पांड्या राजवंश भी दो भागो में विभाजित था। प्रथम पांड्या राज्य के संस्थापक कुंडु योग थे तथा द्वितीय पांड्या राज के संस्थापक जटा वर्मन कुलशेखर थे।प्रथम पांड्या राज्य के शासक 1.कुंडु योग 590-620ई. तक।. 2.मा वर्मन अवनिशूलमणि 620-645 ई. तक। 3.जयंत वर्मन या सोलियन सेदन 645-670ई. तक। 4.अरि केसरी मार वर्मन 670-700ई. तक। 5. कोच्चडय्यन 700-730ई.तक।6.मार वर्मन राजसिंह प्रथम 730-765ई. तक।7.वर गुण प्रथम 765-815ई.तक।.8.श्री मार श्री वल्लभ 815-862ई. तक।.9.वरगुण द्वितीय 862-880 ई.तक।.10. परांतक वीर नारायण 880-900ई. तक।11.मार वर्मन राजसिंह द्वितीय 900-920ई.तक।.12. वीर पांड्या 920-949ई.तक।.चोल शासक सुंदर चोल ने इसे चेबूर के युद्ध में हराकर इसकी हत्या कर दी।.द्वितीय पांड्या राज्य 

1. जटा वर्मन कुलशेखर 1190-1216ई.तक।.2.जटा वर्मन सुन्दर पांड्या प्रथम 1251-1268ई.तक।.3.मार वर्मन कुलशेखर पांड्या प्रथम 1268-1309 ई.तक।.4.वीर पांड्या चतुर्थ 1309-1345ई. तक।.5.जटा वर्मा सुन्दर पांड्या तृतीय(केरल के राजा राशि वर्मन ने इस पराजित किया।.)ये शासक तो नहीं बन पाया मगर पांड्या राज्य को निर्बल बनाने में सबसे बड़ा हाथ इसका था,इसने अलाउद्दीन खिलजी से हाथ मिला कर पांड्या राज्य पर आक्रमण करवाया।.क्युकी ये अपने भाई वीर पांड्या चतुर्थ से ईर्ष्या करता था। अलाउद्दीन ने अपने सेनापति मलिक काफूर द्वारा पांड्या राज्य पर आक्रमण करवाया। मलिक काफुर पांड्या राज्य को लूट कर,ढेर सारा धन लेकर दिल्ली लौट गया।अंत में केरल राजा रवि वर्मन ने इसको पराजित कर अपने साम्राज्य की स्थापना की।.


देव गिरी के यादव

ये चालुक्य साम्राज्य के सामंत थे। संस्थापक 1.भिल्लम 1187-1991ई. तक। 2.जैतुगी 1191-1210ई.तक।.3.सिंघन 1210-1247ई. तक। 4.राम चन्द्र अंतिम शासक था।.1309 ई.में अलाउद्दीन खिलजी ने इसके साम्राज्य पर आक्रमण किया,यादव इस युद्ध में पराजित हुए। रामचंद्र के सेनापति ने मलिक काफूर के सम्मुख आत्म समर्पण कर दिया।.

द्वार समुद्र के होयसल

यह भी चालुक्य सामंत थे। यह यादव की एक उप शाखा थी। 1.विष्णु वर्धन 2.नरसिंह तृतीय 3.वीर बल्लाल तृतीय

कदम्ब वंश

ये पल्लव वंश के सामंत थे। 1.मयूर शर्मन 345-360ई. तक।.2.काकुत्सवर्मन 3. कंगवर्मन 4.भगीरथ 385-410 ई. तक 5. रघु 6.ककुत्सवर्मन 425-450 यह रघु का छोटा भाई था। 7.शांति वर्मन 450-475 ई. तक।.काकुत्सु वर्मन का पुत्र था।.8.कृष्ण वर्मन (यह शांति वर्मन का छोटा भाई था,शांति वर्मन ने इस अपने साम्राज्य का दक्षिण का भाग दे करा युवराज बनाया।.) 9मृगेश वर्मन 470-488ई.तक।.यह शांति वर्मन का पुत्र होने के साथ उसका उतराधिकारी भी बना। 10.रविवर्मा 500-538ई.तक।.11.हरिवर्मा 538-550ई.तक।.

545ई.चालुक्य नरेश पुलकेशीन प्रथम ने कदम्ब राज्य पर आक्रमण किया और उत्तरी भाग को जीत लिया। कदम्बो में पारिवारिक कलह के कारण एकता नहीं थी। कदम्बो की दूसरी शाखा जो कृष्ण वर्मा प्रथम द्वारा स्थापित की गई उसके उतराधिकारी ने वैजयंती पर आक्रमण कर हरी वर्मा को हराया। 12.कृष्ण वर्मा द्वितीय 550-556 ई.तक ।.13.अज वर्मा (पुत्र कृष्ण वर्मा द्वितीय)।.प्रथम चालुक्य वंश के संस्थापक पुलकेशिन प्रथम के पुत्र कीर्ति वर्मा ने इस पर विजय हासिल करके इस वंश का अंत किया।.


गंग वंश

1.कोंकणी वर्मा 400ई.तक।.2.माधव प्रथम 425ई.यह कोंकणी वर्मा का पुत्र था।3.अय्य वर्मा 450ई.यह कृष्ण वर्मा का भाई था। इसके और इसके भी के बीच राजसिंहासन को लेकर ग्रह युद्ध हुआ।.और अंत में साम्राज्य दो भागो में विभाजित हो गया।.दोनो के ही पुत्र का नाम सिंह वर्मा था।.4.सिंह वर्मा (यह अय्यवर्मा का पुत्र था इस पल्लव नरेश स्कन्द वर्मा ने राजा बनाया था।.)5.आर्वनीत यह सिंह वर्मा का पुत्र था।.6.मंगनरेश दुर्विनित 540-600 ई.तक।.7. श्री पुरुष 728-788 ई.तक।. 8.शिवमार द्वितीय।.9.नीतिमार्ग 837-870 ई.तक।.10.कृष्ण तृतीय 839-967 ई.तक।.11.भूतुग द्वितीय।.1004 ई. में चोलो के राजा राजराज प्रथम गंग पर विजय हासिल की ओर चोलो की अधीनता स्वीकार कर ली।.

वारंगल के काकतीय वंश

1.बेत प्रथम 2.प्राेल प्रथम(यह पश्चिमी वातापि चालुक्य का सामंत था)3.बेत द्वितीय 1079 से 1090 तक शासन किया।4.मण पति।.5.रुद्राम्बा देवी 1261-1288 ई.तक।.यह गण पति की पुत्री थी।.एक महान महिला शासिका थी।.रुद्राम्बा देवी पर 26 जून 2015 में फिल्म भी बन चुकी है।. इन्होंने प्रतिरूप देव को गोद लिया था। 6. प्रतिरूप देव (इसके शासन काल में मुहम्मद बिन तुगलक ने1322 ई.में काकतीय साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया और युवराज को बंदी बन लिया।.कारागार में प्रतिरूप देव ने आत्म हत्या कर ली।.इस प्रकार काकतीय वंश का अंत हुआ।.इस वंश की मुख्य विशेषताः नायंकर प्रणाली का उदय इसी वंश द्वारा सर्वप्रथम हुआ।.

कोई टिप्पणी नहीं: