9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: बुंदेल खंड का चंदेल वंश (उत्तर भारत भाग 3)

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मंगलवार, 14 मार्च 2023

बुंदेल खंड का चंदेल वंश (उत्तर भारत भाग 3)

Chandel-vansh

परिचय

चंदेल राजवंश एक प्रमुख भारतीय राजवंश था जिसने बुंदेलखंड क्षेत्र पर शासन किया था,जो अब आधुनिक मध्य भारत का हिस्सा है। यह राजवंश कला,संस्कृति के संरक्षण और विशेष रूप से अपनी उल्लेखनीय मंदिर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है,जिसमें विश्व प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर समूह भी शामिल है।.

प्रशासन

चंदेल राजवंश ने 9वीं सदी से 13वीं सदी तक शासन किया,जिसका चरम 10वीं से 12वीं सदी के दौरान था। चंदेला राजवंश की राजधानी खजुराहो थी,जो उनके शासन के तहत एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र बन गया। चंदेल वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक राजा यशोवर्मन और राजा धनगा थे।.राजा यशोवर्मन को खजुराहो मंदिर परिसर की नींव रखने का श्रेय दिया जाता है,और राजा धनगा को साम्राज्य का विस्तार करने और मंदिरों के निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है। खजुराहो मंदिरों का समूह अपनी उत्कृष्ट और जटिल पत्थर की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है,जो जीवन,पौराणिक कथाओं और धार्मिक विषयों के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है।.

नोट
ये मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं और भारत में एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं,जो दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं अपनी स्थापत्य उपलब्धियों के अलावा,चंदेल राजवंश ने साहित्य,कविता और अन्य सांस्कृतिक पहलुओं में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।.वे कला के संरक्षण के लिए जाने जाते थे और उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान भारतीय संस्कृति के संरक्षण और प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।चंदेल राजवंश का पतन 12वीं शताब्दी में शुरू हुआ और उन्हें पड़ोसी राज्यों के साथ विभिन्न आक्रमणों और संघर्षों का सामना करना पड़ा। 

अंततः,13वीं शताब्दी के आसपास यह राजवंश दिल्ली सल्तनत के हाथों गिर गया,जिससे इस क्षेत्र में उनके शासन का अंत हो गया। उनकी राजनीतिक शक्ति के अंत के बावजूद,उनकी कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत का आज भी जश्न मनाया जाता है और उसकी प्रशंसा की जाती है।.इस वंश के प्रमुख शासकों में 9 लोगो के नाम सामने आते है।1.नन्नुक 2.हर्ष 3.यशोवर्मन 4.धंग देव 5.गाण्ड देव 6.विद्याधर 7.कीर्तिवर्मन 8.मदनवर्मा 9.परमर्दिदेव- वर्मन आदि।.

1.नन्नुक(831-900ई.
चंदेल वंश की स्थापना 831 ई.के लगभग नन्नुक नामक व्यक्ति ने की थी। उसको उपाधि नर्प तथा महिपति की मिलती है। वह स्वतंत्र शासक न होकर कोई सामंत सरदार रहा होगा। इस समय को सार्वभौम सत्ता प्रतिहारो की थी। नन्नूक के बाद क्रमश: वाक्यप्ति,जयशक्ति,विजयशक्ति व राहिल के नाम मिलते है।.

2.हर्ष(900-925 ई.
राहिल का पुत्र हर्ष एक शक्तिशाली शासक था। खजुराहो लेख में उसे परम भट्टार्क कहा गया है। जो उसकी स्वतंत्र स्थिति का धोतक है। हर्ष ने अपने समकालीन 2 राजवंशों के साथ वैवाहिक संबंध बना कर अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली। ये दो राजा वंश चौहान,कलचुरि थे। कलचुरि नरेश कोक्कल के साथ अपनी कन्या नट्टादेवी का विवाह किया। और चौहान वंश की कन्या कचुंका के साथ अपना विवाह किया।.

3.यशोवर्मन925-950ई.हर्ष का पुत्र यशोवर्मन एक साम्राज्यवादी शासक था। यशोवर्मन ने मालवा,चेदी और मद्यकोशल पर आक्रमण करके अपने साम्राज्य का विस्तार किया। यशोवर्मन ने खजुराहो के विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया।.

4.धंग देव950-1002ई.
यशो वर्मन का पुत्र धंग देव एक प्रसिद्ध शासक था। प्रतिहारो से पूर्ण स्वतंत्रता का वास्तविक श्रेय धंग देव को ही जाता है। धंग देव का साम्राज्य पश्चिम में ग्वालियर,पूर्व में वाराणसी तक और उत्तर में यमुना नदी तक तथा दक्षिण में चेदि व मालवा तक विस्तृत था। धंग देव ने कालिंजर पर अपना अधिकार सुनश्चित कर तथा इसे अपनी राजधानी का स्वरूप दिया। महत्वपूर्ण विजयो में से ग्वालियर विजय ने धंग देव को बहुत ख्याति प्रदान की।.

5.गण्ड देव1002-1019ई.
गण्ड देव (धंग देव) का उत्तराधिकारी था और अगला चंदेल शासक भी। अत्यधिक उम्र दराज होने के कारण ये कोई विजय तथा उपाधि न हासिल कर पाया और न ही किसी प्रकार के लेख लिखवाए।.लेकिन इन सब के बावजूद भी इनकी शक्ति पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ा। अपितु इनकी शक्ति बढ़ती ही गई। त्रिपुरी के कल्चुरी तथा कच्छ घात शासक जोकि ग्वालियर और चेदि के थे,वे इसकी शासन सत्ता को स्वीकार करते थे। यानी इसके सामंत थे।

6.विद्याधर1019-1029ई.गण्ड का उत्तराधिकारी विद्याधर था। वह चंदेल शासकों में सबसे अधिक शक्ति शाली था। विद्या धार पहला ऐसा शासक था जिसने महमूद गजनवी की महत्वकांक्षाओ का सफलता पूर्वक प्रतिरोध किया। चंदेल वंशजों की शक्ति क्षीण होने का मुख्य कारक विद्या धर की मृत्यु थी।.मुस्लिम लेखकों ने इस बात का उल्लेख अपनी रचनाओं में किया है।.रचनाओं में इनका उल्लेख नन्द और विद नाम से है।.

प्रतिहार राजा राज्यपाल पर 1019 ईस्वी में महमूद गजनवी ने हमला किया।.राज्य पाल इस समय कन्नौज का राजा था। राज्यपाल ने सरकार से बिना युद्ध लड़े आत्मसमर्पण कर दिया था। विद्या धार के पुत्र विजयपाल तथा पौत्र था। कल्चुरी वंश के शासक गंग देव तथा चेदी वंश के शासक कर्ण की अधिनस्तता (देववर्मन) ने अपने शासन काल में स्वीकार की।.

7.कीर्ति वर्मन (1060-1100 ई.)यह देव वर्मन का चिता भाई तथा अगला उत्तराधिकारी था। देव वर्मन चेदी नरेश कर्ण से हारा था। जिसके चलते चंदेल राज्य पर कर्ण का अधिकार हो गया। कर्ण की राज सभा में ही (कृष्ण मिश्र)नाम के विद्वान निवास करते थे। ये अपने समय काल में सुप्रसिद्ध शास्त्र ज्ञाता थे।.इन्होंने महोबा के निकट कीरत सागर झील का निर्माण करवाया।.

8.मदन वर्मन(1100-1163ई.)पृथ्वी वर्मन का पुत्र मदन वर्मन एक शक्तिशाली राजा था। बुंदेलखंड के 4 प्रमुख स्थानों पर कालिंजर,खजुराहो,अजयगढ़,महोबा में चंदेल साम्राज्य फिर से स्थापित हो गया।उसका साम्राज्य त्रिभूजा आकार में बढ़ गया जिसके आधार का निर्माण विंध्या भांडीर तथा कैमूर की पर्वत श्रेणियां करती थी। यमुना तथा बेतवा उसकी दो भुजाए थी। 34 वर्षो के दीर्घकाली शासन के उपरांत मदन वर्मन की 1163 ई.में मृत्यु हो गई।

9.परमर्दीदेव वर्मन(परमल)(1165-1203ई.)1175 से 1203 ईo तक शासन करने के बाद चंदेल वंश के अंतिम महान शासक (परमर्दीदेव वर्मन) का अन्त हो गया। मुख्य रूप से इनकी शत्रुता प्रथविराज तृतीय से थी।.आल्हा-ऊदल नामक चंदेल सेना के दो वीर सेना नायक थे। जिन्होंने ने पृथ्वी राज के विरुद्ध लड़ते हुए ऊदल मारा गया आल्हा ने संन्यास ले लिया। आल्हा खण्ड नामक काव्य कि रचना (जगनिक) ने की थी।पृथ्वी राज तृतीय ने परमर्दीदेव को पराजित करके महोबा पर अधिकार कर लिया।.

महोबा पर उसका अधिकार की पुष्टि मदनपुर लेख 1183ई.द्वारा हुई है।दक्षिणाधिपति उपाधि का प्रमाण 1183 ईo के मिले लेख से मिलता हैं। कलंजर के दुर्ग पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1203 में हमला कर अपना अधिकार कर लिया। परमर्दीदेव ने अपनी हार स्वीकार की और इसी दुर्ग में इनका देहावसान हो गया।.

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

सन 1182 मे खंगार क्षत्रिय राजवंश की राजधानी गढ़ कुङार बनी