9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए चुनौतियां

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मंगलवार, 14 मार्च 2023

भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए चुनौतियां

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चर्चा का विषय क्यों है

हाल ही के वर्षो में सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी है जिसके तहत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक हम इस क्षेत्र में सबसे आगे निकल जाए।. सरकार के साथ साथ बोहत सारी सरकारी और गैर सरकारी कंपनिया भी इस क्षेत्र में काम कर रही है।.
जैसे-1.एनटीपीसी पहली भारतीय कंपनी है जिसने cng में ग्रीन हाइड्रोजन को ब्लेंड किया है।2.इसके साथ ही गेल और आईओसी ने भी cng के साथ ग्रे हाईड्रोजन को ब्लेंड किया है।निजी क्षेत्रों की बात करे तो रिलायंस,अदानी ग्रुप, ACME ने भी ग्रीन हाइड्रोजन बड़ी योजना में निवेश कर रखा है।

प्रदूषण रहित ईंधन ग्रीन हाइड्रोजन हमारी धरती पर उपलब्ध सबसे साफ ईंधन है ।

अगर भविष्य में इसकी अनिवार्यता बढ़ा दी जाए तो पर्यावरण संरक्षण में एक अहम कदम हो सकता है। क्योंकि इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार कार्बन उत्सर्जन नहीं होता ।1.SAFAR ( system of air quality and weather forecasting and research) ने अपनी 2019 की रिपोर्ट जारी करते हुऐ बताया दिल्ली का air quality index (aqi) 412 था।जबकि अभी भी सरकार पर्यावरण प्रदूषण को कंट्रोल करने में सफल नही हो पाई।2.वही 7नवंबर 2022 में ये इंडेक्स lockdown की वजह से 381 रहा जोकि safar के मुताबिक फिर बढ़ने की आशंका है।जिसके तहत सरकार ने कुछ समय के लिए पेट्रोल और डीजल वहानो पर रोक लगा दी साथ ही सरकारी कर्मचारियों को वर्क टू होम का आदेश दिया । एक आरटीआई के जवाब में बताया गया कि दिल्ली सरकार ने air purifiers पर लगभग 470 करोड़ से अधिक पैसा बर्बाद किया।.प्रदूषण का मुख्य स्रोत कारखाने भी है जो पर्यावरण प्रदूषण बढ़ावा दे रहे है ग्रीन हाइड्रोजन के प्रयोग से प्रदूषण के इन सभी कारकों को
खतम किया जा सकता है।


हाइड्रोजन कैसे बनती है

सोलर और wind project's की बिजली से पानी को इलेक्ट्रोलाइज करके ग्रीन हाइड्रोजन को बनाया जाता है। जिसकी वजह से यह पूरी तरह से कार्बन रहित ईंधन है।इसके साथ ही हाइड्रोजन के और भी कई प्रकार है
जैसे ब्राउन,ग्रे और ब्लू हाइड्रोजन।
1.ब्राउन हाईड्रोजन कोयले के वाष्पीकरण प्रक्रिया से बनाई जाती है
2.ग्रे हाइड्रोजन प्राकृतिक गैस से निकली जाति है।
3.ब्लू हाइड्रोजन कैप्चर और सील्ड पैक स्टोरेज
फैसिलिटी में बंद ग्रीन हाउस गैस से बनाई जाती है।

हाइड्रोजन कैसे बहुत खास ईंधन है

दोस्तो जहा एक लीटर पेट्रोल में एक कर ज्यादा से ज्यादा 26 किलो मीटर की दूरी तय कर सकती है वही एक लीटर हाइड्रोजन में कार 250किलो मीटर की दूरी तय कर सकती है।.हर साल भारत सरकार पेट्रोल आयात पर लगभग 60अरब डॉलर खर्च करती है हर वर्ष हमारा देश 21.22करोड़ टन कच्चा तेल का आयात करता है।इस तरह हाइड्रोजन ईंधन को ला कर अर्थव्यवस्था के साथ पर्यावरण में भी सुधार किया जा सकता है।भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की चुनौतियांदोस्तो ग्रीन हाइड्रोजन हमारे उद्योग जगत और पर्यावरण के लिए फायदेमंद तो है लेकिन इसका उत्पादन प्रक्रिया, रख रखाव और ट्रांसपोर्ट बहोत ही जटिल है।हमारा देश एक विकासशील देश है ऐसे में इस प्रकार की परियोजना को बड़े पैमाने पर लाने के लिए इस से होने वाली जान माल को होने वाली हानि,आर्थिक हानि और आने वाली अपदाओ से निपटने के लिए सक्षम होना आवश्यक है।अतीत में हाइड्रोजन से संबंधित बोहत बड़ी-बड़ी दुर्घटना हुई है।.

1.1937में एक बड़े एयरशिप में आग लग गई थी जिसकी वजह से उसमे सवार 97 लोगो में से 36 लोगो की मौत हो गई थी।जिसकी वजह से एयरशिप इंडस्ट्री का बिजनेस पूरी तरह बर्बाद हो गया।.2.2011 में जापान में सुनामी और भूकंप आने की वजह से फुफुशिमा न्यूक्लियर पावर स्टेशन में हाइड्रोजन की वजह से एक बड़ा धमाका हुआ जिसकी वजह से रेडियो एक्टिव लीकेज हुआ लाखो लोगो की जाने गई अभी भी उसका असर वहां देखने को मिलता है।.3.1986 में चारणोबिल परमाणु दुर्घटना हाइड्रोजन की ही वजह से हुई थी ।जिसमे भी अजारो की संख्या में जाने गई थी।अर्थव्यवस्था पर बुरा असरअतीत में होने वाली घटनाओं से हमे पता लगाता है की ग्रीन हाईड्रोजन पर खेला गया दाव अगर निशाने पर लगा तो भारतीय अर्थ व्यवस्था में बड़ा बूस्ट आयेगा मगर फेल हुए तो आपदा के साथ अर्थव्यवस्था पर गंभीर चोट आएगी।जोशी मठ में ntpc का ग्रीन हाइड्रो प्रोजेक्ट इसका सही उदाहरण है सरकार को बड़ी कंपनियों को भारी सब्सिडी देनी पड़ेगी इस से भारतीय अर्थव्यवस्था पे काफी बोझ बढ़ेगा । एक्सीडेंट होने पर राहत शिव के साथ साथ पीड़ितों की सहायता लिए राहत राशि भी देनी पड़ेगी।.इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार कड़े नियम बना कर हाइड्रोजन फ्यूल का सीमित उपयोग करने पर सहमति दे सकती है ।

1.शुरुवाती दौर में फैक्ट्री और कारखाने तक सीमित रखा जाए।
2.आए दिन परिवहन दुर्घटनाओं को देखते हुए गाड़ियों में हाइड्रोजन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाए।
3.प्रयास किया जाए की हाइड्रोजन को कम से कम ट्रांसपोर्ट किया जाए।
4.इसके साथ ही सोलर पैनल परियोजना और विद्युत् परिवहन परियोनाओ पर भी ध्यान दिया जाए क्योंकि इनमें आर्थिक संकट और पर्यावरण प्रदूषण के खतरे पेट्रोल और डीजल की अपेक्षा कम है।
5. दोस्तो ग्रीन हाइड्रोजन पैट्रोल के अपेक्षा दस गुना महंगी है यानी अगर पेट्रोल 100का है तो हाइड्रोजन 1000से 1200 रुपए प्रति लीटर होगी जो आम आदमी के बजट में नहीं आयेगा जिसकी वजह से इलेक्ट्रिक कार या सोलर कार की ओर ध्यान देना एक सही कदम हो सकता है।दोस्तो हमारे द्वारा दी गई जानकारी अगर पसंद आए और अन्य जानकारी के लिए हमे जरूर लिखिए।.

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